बुधवार, मार्च 13, 2013

जी क्यों है

कोई ये कैसे बताये, के ये 'जी' क्यों है 
वो जो अपने हैं, वही 'जी' 'जी' करते क्यों है 
यही बातें हैं,  तो फिर बातों में, 'जी' 'जी' क्यों है 
यही होता है तो, आखिर ये, 'जी' होता क्यों है 

एक ज़रा बात बढ़ा दे, तो समझ लें 'जी' को 
उसकी बातों से समझ जायेंगे, हम भी 'जी' को 
इतनी फुर्सत में हैं, समझा तो ज़रा, तू 'जी' को 

शब्द-ए-बर्बाद से,  वाबस्ता है अब तक कोई 
उम्र-ए-दर्द दिया करता है, अब तक वोई  
शब्द जो भूल गए, फिर से सुनाता क्यों है

दिल-ए-उल्फत कहो, या कहो, अफ़सुर्दा
कहते हैं 'जी' का ये रिश्ता है, कसक का रिश्ता 
है कसक का, जो ये रिश्ता, भला कहते क्यों है ...... 

वाबस्ता - get stuck/attached
उल्फत - love
अफ़सुर्दा - sad/sorry/dismal/withering

4 टिप्‍पणियां:

  1. कहते हैं 'जी' का ये रिश्ता है, कसक का रिश्ता है
    कसक का, जो ये रिश्ता, भला कहते क्यों है ...
    जी ! जबाब मिलना मुश्किल है जी (*_*)
    शुभकामनायें !!

    जवाब देंहटाएं
  2. गजब भाई-
    इकदम कनफुजिया दिए थे आप तो=
    आभार-

    जवाब देंहटाएं

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