ना समझो तब
जीवन कहानी है
समझो तब
जीवन अन्धकार है
ना समझो तब
जीवन दर्शन है
समझो तब
जीवन काँटा है
ना समझो तब
जीवन गुलदस्ता है
समझो तब
रिश्ते तमाशा हैं
ना समझो तब
रिश्ते ज़िम्मेदारी हैं
समझो तब
साथ दुखमय है
ना समझो तब
साथ सुखमय है
समझो तब
प्रेम मृगतृष्णा है
ना समझो तब
प्रेम अनुभूति है
समझो तब
मन निर्जीव है
ना समझो तब
मन सजीव है
समझो तब
विचार पीड़ा हैं
ना समझो तब
विचार क्रीडा हैं
समझो तब
बातें व्यर्थ हैं
ना समझो तब
बातें अर्थ हैं
समझो तब
मुलाक़ात बेमानी है
ना समझो तब
मुलाक़ात दीवानी है
समझो तब
चरित्र धोखा है
ना समझो तब
चरित्र भरोसा है
समझो तब
कसक सज़ा है
ना समझो तब
कसक मज़ा है
समझो तब
मनुष्य अज्ञानी है
ना समझो तब
मनुष्य ज्ञानी है
समझो तब
जीवन यापन अनुभव है
अलौकिक व पारलौकिक का
समझो तब, समझो तब, समझो तब...
सकारात्मक सोच जगातीं पंक्तियाँ
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर भाव!
जवाब देंहटाएंसमझदारी पर बलिहारी !!
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें !!
लंबा चिंतन किया गया है-
जवाब देंहटाएंपरिश्रम स्पष्ट दीखता है-
आभार प्रिय तुषार-
लंबा चिंतन किया गया है-
जवाब देंहटाएंपरिश्रम स्पष्ट दीखता है-
आभार प्रिय तुषार-
very meaningful ...creation ..man ke utarte chadhte bhaavo ko pratut kiya hai ..very nice tushar :-)
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार आप सभी की होस्लाफ्जाही का | प्रणाम
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