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शनिवार, मई 09, 2015

उस रोज़












मुस्कुराते गुलाबों की महक वैसी ना होगी
तेरी शोख हंसी की खनक वैसी ना होगी

तितलियों जैसी शोख़ी तेरी वैसी ना होगी
ख्व़ाब लिए नैनों की चमक वैसी ना होगी

तेरी मीठी बोली की चहक वैसी ना होगी
अल्हड़ जवानी की छनक वैसी ना होगी

उस रोज़ तू होगी मगर ऐसी तो ना होगी

चांदी जैसे बालों से सर तेरा सजा होगा
दमकते चेहरे पर सिलवट का समां होगा

करारी इस बोली से गला तेरा रुंधा होगा
सूरज सी निगाहों पर चश्मे भी जमा होगा

तेज़ क़दमों में तेरे सुस्ती का आलम होगा
थक कर चूर पसीने में भीगा दामन होगा

उस रोज़ तू होगी मगर शायद ऐसी होगी

मगर उन सिलवटों में नूर तेरा यही होगा
ढ़लती आँखों में भी जवां इश्क यही होगा

सुस्त कदम सही मुझ तक ही आना होगा
गला रुंधा सही मुझे से ही बतियाना होगा

दिल से देखा सपना मेरा तब भी पूरा होगा
सांझ ढले मेरे हाथों में बस हाथ तेरा होगा

उस रोज़ भी तू ही होगी साथ तेरा मेरा होगा
तेरा और मेरा यह अब जन्मो का नाता होगा

--- तुषार राज रस्तोगी ---