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शनिवार, जून 06, 2015

दे देते














दिया पानी क्या आँखों का रवानी खून की देते
दिलाती याद उम्र भर निशानी दो जून की देते

जो देनी थी तो होठों की मुस्कराहट ही दे देते
कलाम-ए-पाक रच इश्क़ का तुम साथ दे देते

कोई यादों की नज़्म लिख ज़ुल्फ़ में टांक ही देते
बीते लम्हों की काट कर एक आदा फांक ही देते

छिपाकर दिल में जो संजोये वो एहसास दे देते
तनहा रातों की बेचैनी से भरे वो जज़्बात दे देते

देना ही था कुछ 'निर्जन' जिगर की आग दे देते
दम तोड़ती मोहब्बत का दीवान-ए-ख़ास दे देते

--- तुषार राज रस्तोगी ---

बुधवार, दिसंबर 10, 2014

कलयुग घोर कलयुग















आज का युग बहुत ही बेढंगा युग है
कलयुग है गुरु जी घोर कलयुग है

बताओ तो -

आज प्यार भी एक मलिन व्यापार बनता जा रहा है
आज इसमें लड़की क्या लड़का भी मात खा रहा है

८० की उम्र में ३० की कली से निकाह पढ़वा रहा है
कब्र में लटक रहे हैं पाँव जान मर्दानगी दिखा रहा है

मर्यादा को त्याग हर कोई मद में धंसता जा रहा है
पाखंड दिखा निन्न्यांवे के फेर में फंसता जा रहा है

चार दिवारी छोड़ सड़क पर कामुकता दिखा रहा है
इंसानियत को हैवानियत का जामा ये पहना रहा है

अश्लीलता का नंगा नाच चैनलों पर होता जा रहा है
ओछेपन की चसक में मनुष्य ज्ञान खोता जा रहा है

अपना, अपनों को यहाँ बेख़ौफ़ धोखा दिए जा रहा है
जोंक बनकर अपनों के प्यार का खून पिए जा रहा है

धन के लोभ में इंसानियत छोड़ मन मारे जा रहा है
तन के मोह में गरिमाओं की अस्मत हारे जा रहा है 

मतिमंद है वो जो रोज़ इनको समझाता जा रहा है
जन्तु भी मानस की हरकत से घबराता जा रहा है

'निर्जन' सोचे देश में ये क्या अनर्थ होता जा रहा है
अश्व को नसीब ना घास गधा ज़ाफ़रान उड़ा रहा है

--- तुषार राज रस्तोगी ----

सोमवार, अक्टूबर 28, 2013

कौन निभाता किसका साथ















कौन निभाता किसका साथ 
आती है रह-रह कर यह बात 

मर कर भी ना भूलें जो बातें 
कोई बंधा दे अब ऐसी आस 

गुज़रे लम्हों को लगे जिलाने  
रो रो दिनभर कर ली है रात

सूना यह दिल किसे पुकारे 
दया ना आती जिसको आज 

आना होता अब तो आ जाता 
अपनी कहने सुनने को पास 

कह देता इतना मत रो अब 
यह अपने आपस की बात 

झूठी हसरत सुला कब्र में 
सुबह हुई 'निर्जन' अब जाग 

आती है रह-रह कर यह बात 
कौन निभाता किसका साथ 

सोमवार, अक्टूबर 21, 2013

धोखेबाज़ दोस्त

















अब ऐतबार के लायक रहा नहीं जहाँ
दोस्त बन के देते हैं धोखा कहाँ कहाँ

दर्द-ए-दिल बताओ जो अपना जान के
दो मुंहे डसते हैं ये फन अपना तान के

ना करना भरोसा दुनिया पर तुम कभी
दुखेगा दिल तुम्हारा सोचो ये तुम अभी

छिपा कर दिल के घाव रखो सबसे जुदा
दुनिया में मिलेगा पगपग पर नया खुदा

बातों में उनकी आकर पछताओगे तुम
सीने में खंजर घोंप के हो जायेंगे ये गुम

गुज़ारिश 'निर्जन' करता तुमसे है यही
भरोसा न करना ऐसों पर रहेगा सदा सही