ऐ जान अभी ना जा,
ज़रा कुछ देर तो ठहर "निर्जन",
अक्सर साथ तेरा पाया है मैंने,
तन्हाई मेरी मिटाने को,
अकेलेपन के इस विराने मे,
हक अपना जतलाने को,
गम से निजात दिलाने को,
इन होठों को हंसाने को,
दोस्ती अपनी निभाने को,
प्यार से गले लगाने को,
अपना कोई कहलाने को।
--- तुषार राज रस्तोगी ---
ज़रा कुछ देर तो ठहर "निर्जन",
अक्सर साथ तेरा पाया है मैंने,
तन्हाई मेरी मिटाने को,
अकेलेपन के इस विराने मे,
हक अपना जतलाने को,
गम से निजात दिलाने को,
इन होठों को हंसाने को,
दोस्ती अपनी निभाने को,
प्यार से गले लगाने को,
अपना कोई कहलाने को।
--- तुषार राज रस्तोगी ---