तस्वीर लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
तस्वीर लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

रविवार, अगस्त 09, 2015

राहगीर हूँ मैं














मेरी ताबीर-ए-हुस्न तेरा दिल-ए-दिल-गीर हूँ मैं
तेरे मचलते ख़्वाबों की इबारत-ए-ताबीर हूँ मैं

कल तलक थे बुझे ख़द-ओ-ख़ाल-ए-हयात मेरे
आज रौशन-रू तेरे इश्क़ की एक तस्वीर हूँ मैं

दिल-ओ-जिस्म-ओ-जाँ से तेरा हूँ तू ही संभाले
दम-ए-दीगर से महकी शोख़ी-ए-तहरीर हूँ मैं

बुझ रह था मैं हर पल ज़िंदगी-ए-क़फ़स में 
आजकल इश्क़ में तेरे सहर-ए-तनवीर हूँ मैं

शरीक-ए-हयात हो जाए काश तू जल्दी मेरी
वस्ल-ए-जानाँ को तरसता हुआ राहगीर हूँ मैं

ताबीर-ए-हुस्न: interpretation of beauty
दिल-ए-दिल-गीर
: heart attracting heart,appealing heart
इबारत
: composition
ताबीर
: interpretation, explanation, elucidation
बुझे
: extinguished
ख़द-ओ-ख़ाल-ए-हयात
: features of life
रौशन-रू
: bright faced
दम-ए-दीगर
: breath
शोख़ी-ए-तहरीर
: playfulness/mischief of writing mischievous writing, jotting
ज़िंदगी-ए-क़फ़स
: cage of life
सहर-ए-तनवीर
: morning brightness
शरीक
: a partner,a colleague,a comrade,a friend
वस्ल-ए-जानाँ
: union with beloved

#तुषारराजरस्तोगी  #ग़ज़ल  #इश्क़  #मोहब्बत  #इंतज़ार  #तड़प