बुधवार, मई 29, 2013

आईपीएल की खुल गई पोल

















हल्ला बोल हल्ला बोल
आईपीएल की खुल गई पोल
अन्दर खाने कित्त्ते हैं झोल
हो रही सबकी सिट्टी गोल

ये मैच नहीं ये फिक्सिंग है
लगता मुझको तो मिक्सिंग है
बीमारी है अड़ियल अमीरों की
ये नसल है घटिया ज़मीरों की

नैतिकता ताख पे रक्खी हैं
ये खिलाड़ी हैं या झक्की हैं
जो चंद करोड़ पर नक्की हैं
लगते गोबर की मक्खी हैं

नारी गरिमा पर धुल पड़ी
आधी नंगी हो फूल खड़ी
चीयर गर्ल बन इतराती है
मैदान में कुल्हे मटकाती है

बस संत इनमें श्रीसंत हैं जी
आईयाश बड़े महंत हैं जी
फिक्सिंग में पकड़े जाते हैं जी
रंगरलियाँ खूब मनाते हैं जी

फ़िल्मी बकरे भी जमकर के
आईपिएल में मटर भुनाते हैं
विन्दु सरीखे पूत यहाँ पर
पिता की लाज गंवाते है

मैच के बाद की पार्टी में
आईयाशियों के दौर चलते हैं
दारु, लड़की, चिकन, कबाब
हर एक के साथ में सजते हैं

जीजा, साले, और सुसर यहाँ
एक दूजे की विकेट उड़ाते हैं
सट्टेबाजी के बाउंसर पर
बेटिंग अपनी दिखलाते हैं

मोहब्बत, जंग और राजनीति में
कहते हैं सबकुछ जायज़ है
आईपीएल की नई दुनिया में
सुना है खेल में सबकुछ जायज़ है

मैं पूछता हूँ अब आपसे यह
क्या जायज़ है ? क्या नाजायज़ है ?
जनता करेगी यह फैसला अब
कौन लायक है ? कौन नालायक है ?

बल्ला बोल बल्ला बोल
हल्ला बोल हल्ला बोल
आईपीएल की खुल गई पोल
आईपीएल की खुल गई पोल 

रविवार, मई 26, 2013

किसकी सज़ा है ?
















ऐ वादियों
मैं तुम से पूछता हूँ
झरनों में भी देखता हूँ
नदियों में ढूँढता हूँ
ये नयन न जाने
किसे खोजते हैं
किसकी सज़ा है
ये किसकी सज़ा है
प्रभाकर जब आएगा
चमक उठेगा मन
डोल उठेगी आत्मा
पर्वतों पर कूदती
झरनों को लूटती
सरिता से फूटती
रौशनी समेटे
तब 'निर्जन'
दूंगा अंधियारे को सज़ा
किसकी सज़ा है
ये किसकी सज़ा है

गुरुवार, मई 23, 2013

दुःख




















दिल लगे तब दुःख होता है
दुःख होता है तो तू रोता है
जो रोता है तो चैन से सोता है
सोता है तो सपनो में खोता है

बातें जो तप चुकी दिन में
शब्द जो पक चुके मन में
अब सपनो में दिख जाते है
सियाह रात में बहे जाते है

बाल सफ़ेद हो गए तेरे
काले अनुभवों के लिए घेरे
कब तक तू यह सह पायेगा  ?
क्या आंसु से लकीरें बदल पाएगा ?

दुखी होना हल नहीं जीवन का
दुःख में जीना बल है जीवन का
कह दो बात जो कही नहीं जा रही
बतलाओ बात जो सही नहीं जा रही

मुंह से बोल कर ही निजात पायेगा
वरना घुट घुट का बिखर जायेगा
दुःख के बवंडर में घिरता जायेगा
'निर्जन' खुद को खुद से जुदा पायेगा

शनिवार, मई 11, 2013

धोखेबाज़




















यारों इस बरस
तो गर्मी खूब है
इसी लिए अपने
दिमागी की बत्ती
एकदम फ्यूज है
कशमकश में
अपनी ज़िन्दगी है
दिल का करें
वो भी कन्फूज है
कनेक्ट करने की
जो कोशिश की
हर कनेक्शन का
फ्यूज भी लूज़ है
आलम अब तो
ज़िन्दगी का जे है की
अपनों के साथ भी
डिस-कनेक्शन
हो रहा है
कहीं भी कुछ भी
क्लिक नहीं हो रहा है
जीवन के इस  मोड़ पर
'निर्जन' तुझको ही क्यों
कठिनाइयाँ मिल रही हैं
भाग्य, समय, मानव
सब एक साथ मिलकर
चौक्कों-छक्कों सा
तुझे दबादब धो रहे है
गॉड जी के यहाँ भी
हो रहा है इलेक्शन
अपने जो खास थे
दिल के पास थे
बचपन में गुज़ारे
लम्हे जिनके साथ थे
चल दिए वो भी
करवा कर सिलेक्शन
उम्र आने से पहले ही
भर आये हैं यह
नॉमिनेशन फार्म
ताख पर रख कर
ज़िन्दगी के सारे नॉर्म
हो लिए अचानक से
गो, वेंट, गॉन
मैं खड़ा देखता रहा
बस हाथ मलता रहा
जीवन के मोती रहे
हाथों से मेरे रेत की
भांति फिसलते
सोचता हूँ बस
बैठ कर अकेला
अपने ही ऐसे
धोखेबाज़
क्यों हैं निकलते ?

शुक्रवार, मई 10, 2013

रसीले रंगीले हास्य से भरे काइकू

अपमान करना तकनीक का, ये मेरा मक़सद नहीं
कोशिश मेरी इतनी है बस, के हंसी आनी चाहियें
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असली हैं हाइकू
अपने हैं काइकू
पढ़ो न पढ़ो न
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सूरत अपनी बदल
खिलखिलाता चल
टैक्स नहीं लगता
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भूकंप आया
सोते को जगाया
गुड मोर्निंग मामू
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फेसबुक चैट
नहीं कोई वैट
खूब करो खूब करो
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मिल प्यार से
गिला यार से
दिल से कर
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संजू स्टार
बाक़ी बेकार
हुए तड़ीपार
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तेरी बेवफाई
खूब रंग लाइ
ज़िन्दगी बदल गई
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दिल का दर्द
निभा तू फ़र्ज़
निकलने दे
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दर्द से जीत
मुश्किलों से प्रीत
करके रिलैक्स कर
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पैग लगा यार
धुंए में संसार
चिल्ल कर चिल्ल कर
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सोना हुआ सस्ता
हालत अपनी खस्ता
डार्लिंग कहें खरीदो  
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वफ़ा का सिला
बेवफा मिला
दिल पे मत ले यार
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इश्क का बुख़ार
हाय मारा यार
बचाओ बचाओ
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हर दफा नया यार
वल्लाह तेरा प्यार
जान बचा गई
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कलयुगी रिश्ते
नहीं हैं सस्ते
महंगाई बढ़ गई
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खुनी मंज़र
एहसास हैं बंजर
करते दिल वीरान
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इश्किया तूफ़ान
बचो गुलफाम
हाय मारा गया
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किसी का उधार
सर न रख यार
चुका दे चुका दे
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गले का फन्दा
इसक का धंधा
यार बिजनेस बदल
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इश्क हो या मुश्क
मौसम आज ख़ुश्क
चल आइसक्रीम खिला
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मौसम का इशारा
गर्मी ने मारा
यार ठंडा तो पिला
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बहुत हुए काइकू
इजाज़त भाईकू
कहता अलविदा

बुधवार, मई 08, 2013

कर्म की मिठास














पग घुंघरू बाँध
मीरा नाची थी
केशव
की याद में, या
फिर केशव
के कर्म
रंग, रूप, गुण
की गंध में
मुग्ध हुई
मन वीणा, की
झंकार पर
नाची थी
हाँ
कर्म की
झंकार ही ने
मीरा को
बाध्य किया
नाचने पर
कर्म की मिठास ही
जीवन को सतरंगी
बनाती है 

बुधवार, मई 01, 2013

मज़दूर दिवस













आज एक मई है, दुनिया
मजदूर दिवस मना रही है
कोई उनसे जाकर भी पूछे
बेचारी मज़दूर की कौम, क्या
इस दिन से कुछ पा रही है ?
एक दिन मनाने से, क्या
भूखे पेट की आग
बुझ पा रही है ?
आज भी वही
बाजरे की रोटी,
लस्सन की चटनी,
और सूखी प्याज़
थल्ली में परसी जा रही है
क्या अपनी आब में ये
कोई इजाफा पा रहे हैं ?
अपने बच्चों के भविष्य
के लिए जगह जगह
हाथ फैला रहे हैं
हर पल हक़-इन्साफ
पाने को पिसते-तरसते
जा रहे हैं
सुना था कभी कहीं पर
इनको घर दिए जा रहे हैं
चोरों की कॉम सरकारी
अब रास्ते समझा रहे हैं
जिनको देखो, वो ही
लाला, पीले, नीले
सलाम ठोके जा रहे हैं
खा-पी हाथ चटका कर
बस आगे चले जा रहे हैं
मज़दूर 'कॉमरेड' बतला
शोषण किये जा रहे हैं
झूठे वादे, झूठी आस
झूठे सब्ज़बाग दिखा
उल्लू पर उल्लू
बना रहे हैं
बस औपचारिकता
के चलते
मज़दूरों की खातिर
मज़दूरों से ही
मज़दूर दिवस को
मज़दूरी करवा रहे हैं

सुन रहा है ना वो














कल मैंने आशिकी २ देखी | बहुत ही सुन्दर फिल्म बनाई टी-सीरीज ने | उसका एक गाना "सुन रहा है तू" बहुत ही सुरीला और उसके बोल दिल में अन्दर तक उतर गए हैं | अब तक मैं उस गाने को कम से कम ५० दफा सुन चुका हूँ पर क्या करूँ दिल ही नहीं करता बंद करने को | तो सोचा कुछ अपना ही लिख डालूं उस गाने की धुन पर  और रिकॉर्ड कर के प्रस्तुत करूँ | तो वही पेश कर रहा हूँ | गाने की धुन को सुनने के लिए और मेरे बोल उस पर सजाकर पढने के लिए गाने का लिंक यहाँ दे रहा हूँ | गाना मेल और फीमेल दोनों आवाज़ों में हैं तो मैंने दोनों ही पर अपने बोल लिखने की कोशिश की है | उम्मीद है आपको मेरी कोशिश पसंद आएगी |




मुझको गाने दे
शब्दों को माने दे
दुखती सज़ाओं के
वो लम्हे भुलाने दे
साँसों को आने दे
अब गुनगुनाने दे
खुशियों के साज़ो पर
नए गीत बजाने दे
उसके करम की वो जफ़ाएं
फेर ली उससे अब निगाहें

सुन रहा है ना वो
हंस रहा हूँ मैं
सुन रहा है ना वो
जो हंस रहा हूँ मैं

फ़िज़ा भी, कह रही हैं
एक सुकूं, दिल को हुआ
काश वो, मिल जाए
मांगी है, जिसकी दुआ
वो दिल की चाहत है
वो मेरी अदावत है
उसके करम की वो जफ़ाएं
फेर ली उससे अब निगाहें

सुन रहा है ना वो
हंस रहा हूँ मैं
सुन रहा है ना वो
जो हंस रहा हूँ मैं

यारा...

बातें, खुशनुमा हैं
लिखी है, नई दास्तां
पाई, दिल ने मेरे
हैं, इतनी सी खुशियाँ
दिल अब भी, सलामत है
खुद ही से, खुशामत है

मुझको भुलाने दे
बीते ज़माने वे
तेरी पनाहों में जो
लम्हे गुज़ारे थे
दिल को बहलाने दे
हंसने दे, गाने दे,
बीती यादों को अब
दिल से मिटाने दे
उसके करम की वो जफ़ाएं
फेर ली उससे अब निगाहें

सुन रहा है ना वो
हंस रहा हूँ मैं
सुन रहा है ना वो
जो हंस रहा हूँ मैं

यारा...

फ़िज़ा भी, कह रही हैं
एक सुकूं, दिल को हुआ
काश वो, मिल जाए
मांगी है, जिसकी दुआ
वो दिल की चाहत है
वो मेरी अदावत है
उसके करम की वो जफ़ाएं
फेर ली उससे अब निगाहें

सुन रहा है ना वो
हंस रहा हूँ मैं
सुन रहा है ना वो
जो हंस रहा हूँ मैं

यारा...