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शनिवार, जून 06, 2015

दे देते














दिया पानी क्या आँखों का रवानी खून की देते
दिलाती याद उम्र भर निशानी दो जून की देते

जो देनी थी तो होठों की मुस्कराहट ही दे देते
कलाम-ए-पाक रच इश्क़ का तुम साथ दे देते

कोई यादों की नज़्म लिख ज़ुल्फ़ में टांक ही देते
बीते लम्हों की काट कर एक आदा फांक ही देते

छिपाकर दिल में जो संजोये वो एहसास दे देते
तनहा रातों की बेचैनी से भरे वो जज़्बात दे देते

देना ही था कुछ 'निर्जन' जिगर की आग दे देते
दम तोड़ती मोहब्बत का दीवान-ए-ख़ास दे देते

--- तुषार राज रस्तोगी ---