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सोमवार, मार्च 21, 2016

ऊपर टिकट कट जायेगा















पास आरई होली अब, बचकर तू कहाँ जायेगा
रंग जो तुझ पर लगाया, बोल क्या चिल्लाएगा?

घर तेरे आए हैं मेहमां, खातिर क्या करवाएगा
सूखता है गला, ऐ दोस्त बता क्या पिलवाएगा?

होली पर पव्वा पिला, तू जाने जां बन जायेगा 
प्यार से अध्धा मंगा, माशूक़ सी पप्पी पायेगा

आज पीकर जीने दे, तू ब्लैक डॉग खम्बा लगा
बन जायेगा तू ख़ुदा, दिल से जो पैग बनाएगा 

घर को चले जायेंगे, जब नशा सर चढ़ जायेगा
धन्नो कौन चलाएगा, ये फ़ैसला भी हो जायेगा

बर्फ, सोड़ा, पानी, चिप्स, कोक बढ़ाते हैं मज़ा
ये ना हों साथ तो दिल, यारों का दुःख जायेगा

बेवड़े की हालत निराली, पैरों पे चल ना पायेगा
नाले-गटर हैं कह रहे, तू मुझमें नहा कर जायेगा

झंडूगिरी कर कर के, हर दारुबाज़ इतराएगा
हरकतों से अपनी फिर, हुल्लड़ ख़ूब मचाएगा

होली पे इंग्लिश के मज़े, तू यार के घर ले रहा
कल को फिर से फक्कड़, देसी पर आ जायेगा

बोतल के ख़त्म होने का, ग़म तू ज़रा भी ना मना
ठेका है पप्पा का अपने, कोटा बहुत आ जायेगा

आज पी जितनी है पीनी, कल से 'निर्जन' छोड़ दे
जो हुआ डेली पैसेंजर, तो, लीवर तेरा सड़ जायेगा

अमृत समझ कर पीने वाले, बात इतनी मान जा
मौका है संभल जा, वर्ना, ऊपर टिकट कट जायेगा

#तुषारराजरस्तोगी #होली #दारू #दारुबाज़ #शिक्षा #हास्यरस #बर्फ #सोड़ा #पानी #चिप्स #निर्जन

शनिवार, दिसंबर 19, 2015

दारूबाज़ों की रीयूनियन
















यादगार एक शाम रही, बिछड़े यारों के नाम
करत-करत मज़ाक ही, हो गया सबका काम

हो गया सबका काम, पीने मयखाने पहुंचे
बाउंसर कि बातें सुन, 'निर्जन' हम चौंके

कहें सैंडल नहीं अलाउड, नो एंट्री है अन्दर
सोचा मन ही में भाई, बन गया तेरा बन्दर

पीने आए दारु, जूते-चप्पल पर क्या ध्यान
कोई तो समझाए लॉजिक, दे इनको ये ज्ञान

खैर मामला सुलट गया, हम पहुंच गए अन्दर
साबू-चोपू को देख, बन गए हम भी सिकंदर

गले मिले और बैठ गए, बातें कर के चार
अब दारु कब आएगी, ये होता रहा विचार

होता रहा विचार, लफंडर बाक़ी भी आएं
संग साथ सब बैठ, फिर से मौज उड़ाएं

पहुंचे जौहरी लाला, रित्ति-सुब्बू के साथ
पीछे से चोटी आया, हिलाते अपना हाथ 

रित्ति भाई शुरू हो गया, ले हाथ में साज़
फ़ोटू चकाचक चमकाई, ये है सेल्फीबाज़

विंक है फ़ॉरएवर प्नचुअल, बंडलबाज़ है यार
प्रिंटर-फाइटर को लाया, इन इम्पोर्टेड कार

दो घंटा लेट से आए, बाबुजी खासमख़ास
मेहता दानव आकृति, फुलऑन बकवास

फुलऑन बकवास, करते बाबाजी बड़बोले
गला तर कर सियाल ने, हिस्ट्री के पन्ने खोले

मित्रों नॉसटेलजीया फ़ीवर, चढ़ गया रातों रात
इतनी थीं करने को सबसे, खत्म ना होतीं बात

हा हा-ही ही-हू हू करते, बस बीती सारी शाम
यारों, दारु, चिकन, मटन और सुट्टों के नाम 

मज़ा आ गया कसम ख़ुदा की, २० बरस के बाद
दारुबाजों की रीयूनियन, रहेगी जीवन भर याद


--- तुषार रस्तोगी ---