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गुरुवार, नवंबर 17, 2016

खुजली खांसी देश का दुश्मन























खुजली खांसी है, देश का दुश्मन
हाय! हाय!
अपने देश का दुश्मन
हाय! हाय!
खुजली खांसी है, देश का दुश्मन
हाय! हाय!
अपने देश का दुश्मन
हाय! हाय!

पी.एम्. और जनता - राज़ी
फिर भी ना माने - पाजी
पी.एम्. और जनता - राज़ी
फिर भी ना माने - पाजी
ये खुजली ना छोड़े, चल इसको फोड़े
ये बनने ना देगा देश को एक जुट मुकम्मल

देश को बेचे ना समझे
हाँ, ये देशद्रोही है समझे
देश के गद्दारों की ये
गोद में खेले
हाँ, मुंह जब भी खोले
ये,  घटिया ही बोले
हो जाए खुजली - हां जी
ख़ुदा को प्यारा - वाह जी
तब होगी दिल्ली की, खाना आबादी
सुलझ जाएगी पल में देश की उलझन
खुजली खांसी देश का दुश्मन
हाय! हाय!
मेरे देश का दुश्मन
हाय! हाय!
खुजली खांसी देश का दुश्मन
हाय! हाय!
मेरे देश का दुश्मन
हाय! हाय!

दैया रे दैया इसका हाल तो देखो
झूठे वादे कर, इसके सवाल तो देखो
अरे झांसे, धोखे, इसके बवाल तो देखो

अजी, कुछ बरसों में ऐसे
दाल कहाँ गलती है
अजी, कुछ बरसों में ऐसे
माल कहाँ मिलता है
सबको है मालूम, कैसे, कैसे
कैसे चंदे का ये माल जमा करता है
क्या हाल बताऊँ - अरे, हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ जी
सबूत दिखाऊं - अरे, हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ जी
पलटू है दोगला कैसा रंग गिरगिट सा बदले ऐसे
गद्दारों को ऐसे ही रुसवा करते हैं मियां खों खों

खुजली खांसी है, देश का दुश्मन
हाय! हाय!
अपने देश का दुश्मन
हाय! हाय!
खुजली खांसी है, देश का दुश्मन
हाय! हाय!
अपने देश का दुश्मन
हाय! हाय!

#तुषारराजरस्तोगी #खुजली #खांसी #पाजी #पैरोडी

रविवार, सितंबर 04, 2016

दिल-ए-नादां














दिल-ए-नादां देखता जा, ज़रा रुक तो सही
अभी इश्क़ होगा आबाद, ज़रा रुक तो सही

मजनू, महिवाल, फरहाद, सारे मरीज़-ए-इश्क़
आज होंगे सब कामयाब, ज़रा रुक तो सही

सजेगी डोली, महफ़िल-ए-हुस्न कद्रदां होंगे
ले देख, वो आई लैला, ज़रा रुक तो सही

सोहनी हो गई फ़िदा, मरहबा महिवाल पे 
शीरीं का होगा फरहाद, ज़रा रुक तो सही

ले वो आए रेशमा-शेरा, डाल हाथ में हाथ
ये दोनों भी हैं बेपरवाह, ज़रा रुक तो सही

देख अंजाम होगा यही, आरज़ू का तेरी, ए दिल
हौसला तू भी बनाए रख, ज़रा रुक तो सही

'निर्जन' क्या ख़ूब बनी जिंदगी तेरी इस नादां से?
चल करता जा पीछा, ना रुक, ज़रा रुक तो सही

#तुषारराजरस्तोगी #इश्क़ #दिल-ए-नादां #निर्जन

रविवार, अगस्त 14, 2016

असली स्वतंत्रता दिवस


















आज स्वतंत्रता दिवस है, पर,
दिल यह कहने को विवश है,
क्या यहाँ है सच्ची स्वतंत्रता?
हर पथ पर है बस परतंत्रता...

जन गण मन अधिनायक जय,
शायद यह है भी, या नहीं है?
परन्तु क्या ७० वर्षों बाद भी,
अपने देश की जय है? नहीं है...

बरसों बाद भी हर एक शख़्स,
परेशानियों से लड़ रहा है,
झूठी सामाजिक अराजकता से,
चुपचाप नाक़ाम भिड़ रहा है...

यहाँ की व्यवस्था बड़ी निराली है,
जो करती चाटुकारों की रखवाली है,
जो आँखों के रहते हुए भी अंधे हैं,
कान-ज़बां रखकर भी गूंगे-बहरे हैं...

विकास तो बख़ूबी हो रहा है,
पर मज़े उसके कौन ले रहा है?
और यदि नहीं हो रहा है, तो,
कौनसा कोई ज़िम्मेदारी ले रहा है...

यहाँ गलत कोई भी नहीं है, क्योंकि,
हर बाशिंदा यहाँ समझदार-सही है,
बस, अब बचा एक लम्बा इंतज़ार है,
उसका जो देश का सच्चा पालनहार है...

जो अपने साथ सबका ख़याल रखेगा,
जो किसी की भी नोक पर नहीं रहेगा,
अपनी बनाई सही नीतियों पर चलेगा,
और इस भारतवर्ष का भला करेगा...

वो व्यक्ति हम सबके भीतर ही है,
बस जगाना है अपने इमान को,
आग जलानी है अपने दिलों में,
बाहर निकलना है अपने बिलों से...

फिर यही आग मशाल बन जलेगी,
परवाज़ देगी अधूरे सपनो को 'निर्जन',
जो दफ़न हो गए हैं सड़ी राजनीति तले,
उस दिन होगा असली स्वतंत्रता दिवस...

#तुषारराजरस्तोगी #स्वतंत्रतादिवस #१५अगस्त #७०वर्ष #निर्जन #राजनीति

समस्त भारतवर्ष को तुषार राज रस्तोगी 'निर्जन' की तरफ़ से स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें

बुधवार, जुलाई 27, 2016

सुना है























सुना है कि बारिशों जैसी हो
कुछ कहो बरसती कैसी हो
मैंने यह सुना है दुनिया से
सावन की बूंदों जैसी हो

सुना है कि गुलाब जैसी हो
कुछ कहो ज़रा तुम कैसी हो
मैंने यह सुना है दुनिया से
शायर के ख़्वाबों जैसी हो

सुना है कि इश्क जैसी हो
कुछ कहो बहकती कैसी हो
मैंने यह सुना है दुनिया से
रूबाई-ए-खय्याम जैसी हो

सुना है कि शर्म जैसी हो
कुछ कहो नाज़ुक कैसी हो 
मैंने यह सुना है दुनिया से
छुईमुई की डाली जैसी हो

सुना है कि आदत जैसी हो
कुछ कहो सआदत कैसी हो
मैंने यह सुना है दुनिया से
बेहतरीन शराबों जैसी हो

सुना है कि चाँद जैसी हो
कुछ कहों कि कहां रहती हो
मैंने यह सुना है दुनिया से
पूनम की चाँदनी जैसी हो

सुना है कि शेरनी जैसी हो
कुछ कहो गरज के वैसी हो
मैंने यह सुना है दुनिया से
रानी लक्ष्मीबाई के जैसी हो

जानता हूँ कि तुम कैसी हो
'निर्जन' की कल्पना जैसी हो
कुछ नहीं है सुनना दुनिया से
जीवन में प्राणों के जैसी हो

सआदत - Prosperity, Happiness, Good Fortune

#तुषारराजरस्तोगी #कल्पना #निर्जन #इश्क़ #मोहब्बत #जज़्बात #दुनिया #सुनाहै  #जीवन #प्राण

शुक्रवार, जुलाई 08, 2016

एक शब्द
















सनक और जूनून
वासना और प्यार
अभीप्सा और देखभाल
तुम्हारी ग़ैरहाज़िरी खल रही है
तुम्हारे बारे में सोच रहा हूँ
और सब से बहुत ही ज़्यादा
हर एक तर्क से परे
है यह सारी सोच
ये प्यार जो जलता है
आग से भी ज्यादा गर्म
तपिश इसकी है जो
ज्वालामुखी से ज्यादा
ये इबादत है जो
बंदिश नहीं है
ये दर्द है जो
कम नहीं होता
ये पीड़ा है जो
कभी जाती नहीं है
ये वफ़ादारी है जो
सच में अंधी है
ये विश्वास है जो
हर किसी प्रकार से भिन्न है
ये है डर की भावना
श्रद्धा के साथ
कि यह व्यक्ति
शायद मेरा हो सकता है
मेरी आत्मा का आत्मसमर्पण
मेरा दिल तुम्हारा है
हमेशा के लिए
यह सब कुछ
सदा के लिए
संचित है
एक शब्द में
जिसे तुम शायद ही
समझ पाती हो
लेकिन शायद
कभी किसी दिन
तुम समझ जाओगी
यह एक शब्द:
'मोहब्बत - प्यार - इश्क़'

अभीप्सा - Longing

#तुषारराजरस्तोगी #निर्जन #एकशब्द #इश्क़ #प्यार #मोहब्बत #इबादत #समझ

बुधवार, जून 01, 2016

मोहब्बत हो ही गई है















जादू-अदा बा-ख़ुदा ख़ूब उसकी
बाग़-ए-इरम ज़िन्दगी होने लगी है

ऐतबार-ए-इश्क़ ऐसा है उसका
आलम-ए-दीवानगी होने लगी है 

नज़राना-ए-शोख़ी नज़र ख़ूब उसकी
अज़ीज़-ए-दिल उल्फ़त होने लगी है

गुल-ए-विसाल मासूमियत उसकी
दीवार-ए-ज़िन्दगी होने लगी है

हसरत थामे आँचल अब उसका
जानिब-ए-गुलिस्ताँ होने लगी है

चलते हैं साथ जिस रहगुज़र पर
अब जादा-ए-हस्ती होने लगी है

लुत्फ़-ए-तसव्वुर रहता है उसका
चाँदनी अब हर रात होने लगी है

फ़िराक़-ए-यार सोचते भी अब
दहशत सी दिल में होने लगी है

लगता है 'निर्जन' रूह्दारी करते
तुझको मोहब्बत हो ही गई है

बाग़-ए-इरम - जन्नत का बागीचा
ऐतबार-ए-इश्क़ - प्यार पर भरोसा
आलम-ए-दीवानगी - दीवाने की स्थिति
अज़ीज़-ए-दिल - दिल को प्रिय
गुल-ए-विसाल - मिलन का फूल
दीवार-ए-ज़िन्दगी - ज़िन्दगी का सहारा
जानिब-ए-गुलिस्ताँ  - गुलाबों के बागीचे की तरफ़
रहगुज़र - पथ
जादा-ए-हस्ती - ज़िन्दगी की राह
फ़िराक़-ए-यार - प्रियेतम से बिछड़ना
रूह्दारी - लुका छुपी

--- तुषार राज रस्तोगी 'निर्जन' ---

#इश्क़ #ग़ज़ल #तुषारराजरस्तोगी #निर्जन #रूह्दारी #मोहब्बत

रविवार, मई 22, 2016

यही तुम हो...यही मैं हूँ


 
















इस जीवन में कुछ बातें हैं
में जिन्हें बयां नहीं कर सकता
इस जीवन में कुछ रेज़गी* हैं
क्योंकि, सब समान नहीं रहता
इस जीवन में कुछ सपने हैं!
और लोग जो उन्हें जीते हैं
इस जीवन में कुछ अपने हैं!
और लोग जो उन्हें खो देते हैं

यही मैं हूँ! यही तुम हो!
यही हैं चीज़ें हम जो करते हैं!
यही है प्यार! यही है जीवन!
यही हैं चीज़ें हम जो चुनते हैं!
यही है ख़ुशी! यही है दर्द!
यही है जीवन जो हम
बिना शर्म जीते हैं!
यदि, सिर्फ़ तुम भी देख पाते
यह दुनिया, वैसी, जैसी मेरे लिए है

यही मैं हूँ!
यही तुम हो!

इस जीवन में एक समय था,
जब कई बार मैं रोया था
इस जीवन में कभी दिल ने,
ज़िन्दगी अधमरी महसूस की थी
इस जीवन में कुछ चीज़ें हैं!
जो मैं कभी साबित नहीं कर सकता
इस जीवन में ऐसी भी चीज़ें हैं!
बहुत सी चीज़ें, जो सच भी हैं!

यही मैं हूँ! यही तुम हो!
यही हैं चीज़ें हम जो करते हैं!
यही है प्यार! यही है जीवन!
यही हैं चीज़ें हम जो चुनते हैं!
यही है ख़ुशी! यही है दर्द!
यही है जीवन जो हम
बिना शर्म जीते हैं!
यदि, सिर्फ़ तुम यह देख पाते,
यह दुनिया, हमारे चारों ओर,
बिलकुल भी खाली नहीं है!

यही मैं हूँ!
यही तुम हो!

इस जीवन में कुछ लोग भी हैं,
जिन्हें ज़रुरत है...
इस जीवन में कुछ लोग भी हैं,
जो खून बहाते हैं...
इस जीवन में कुछ लोग भी हैं,
जिन से अभी मिलना बाक़ी है
इस जीवन में, ऐसे हालात भी हैं
जब तुम्हे बस लड़ना ही होगा!
इस जीवन में, ऐसे पल भी हैं,
जिनमें जो सही है बस
वही करना होगा...!

यही मैं हूँ! यही तुम हो!
यही हैं चीज़ें हम जो करते हैं!
यही है प्यार! यही है जीवन!
यही हैं चीज़ें हम जो चुनते हैं!
यही है ख़ुशी! यही है दर्द!
यही है जीवन जो हम
बिना शर्म जीते हैं!
और, यदि भरोसा है तुम्हे
तो तुम भी वो देख सकती हो
जो 'निर्जन' देखता है सदा!
आश्चर्य होता है कभी
कि यह दुनिया,
क्या से क्या हो सकती है?

यही तुम हो...
यही मैं हूँ...
यही ज़िन्दगी है...

 रेज़गी - परिवर्तन / Change

#तुषारराजरस्तोगी #निर्जन #परिवर्तन #जीवन #सपने #दर्द #सच #शर्म #दुनिया #तुम #मैं #ज़िन्दगी

गुरुवार, मई 19, 2016

बातों बातों में













बातों बातों में ही सही
बात तो कहता है
'निर्जन' फ़क़त दिल के
हालात कहता है
नहीं मुमकिन नज़र से
खूं ज़रा सा बह जाए
ये तो शब्दों में
बयां-ए-जज़्बात कहता है
यूँ ही लग जाती है कभी
दिल की लगी दिल को
ये ख़ामोश बंद होठों से
बस एहसास कहता है

#बातोंबातोंमें #एहसास #जज़्बात #बसयूँही #तुषारराजरस्तोगी #निर्जन

बुधवार, अप्रैल 20, 2016

वो दुर्गा बनती रही

उसको ज़मी पर रौंदता
वहशीपन जब रगों में कौंधता

करती रही कोशिशें सभी
रोती बिलखती सिसकती तभी

वस्त्र कर उसके तार तार
अस्मिता पर करता रहा वो प्रहार

लड़-लड़ चलाये हाथ और लात
भिड़ती गई कुछ तो हो एहसास

चीखता रहा वो उस पर तब भी
चिचियती रही वो भयभीत सी

कलाई जकड़ निचोड़ दीं उसकी
मौन छटपटाती व्यथित नज़रें उसकी

जान जितनी बची थी डाल दी
मिटाने को कहानी उस काल की

जूँ तक ना रेंगी उसके कान पर
रोके रुका ना वो जंगली जानवर

गिड़गिड़ाती रही करहाती रही
अहम् को ठहरता रहा वो सही

चेहरे पर था उसके वो मारता
हवस को था अपनी वो सहारता

मुहं उसका हाथों से ढांपता
रोम रोम था उसका फिर काँपता

इससे पहले वो कुछ कह पाती ज़रा
ज़हर उसने था यौवन में उसके भरा

बेशर्मी कुकर्मी फिर उठ भी गया
लड़खड़ाता दरवाज़े तलक बढ़ता गया

छोड़ अधमरा अकेला नाज़ुक जां को
पटक कर दरवाज़ा वो चलता बना

बैठी सिकुड़ी कोने में वो जलती रही
एक आशा की लौ फिर भी बलती रही

शायद कोई आएगा मरहम ले हाथ में
लगाकर गले ले जायेगा उसे साथ में

टूटकर अधूरे सपनो में बिखरती रही
हर एक आहाट पर वो सिहरती रही

पीड़ा आंसू बन आँखों से छनती रही
तेज़ाब-इ-अश्क़ से वो दुर्गा बनती रही

#तुषारराजरस्तोगी #निर्जन #रेप #बलात्कार #पीड़ा #नारी #सम्मान

रविवार, अप्रैल 10, 2016

एक कहानी


सुनो सुनो - एक कहानी
सच्ची सी थोड़ी, अच्छी सी
एक ठगने वाले लुच्चे की
सुनो सुनो - एक कहानी

हिन्द नाम के गोले पर
है एक अदभुत जंगल
जंगल के थोड़े से प्राणी
भैया हैं बहुत ही मेंटल

गत वर्ष वो पगलेट हुए
चुनकर लाये रंगा सियार
फ़र्ज़ी बातों की खाकर लातें
सर चढ़ा लिए किसको यार

बिना बात के बैठे-बैठे
ख़ुद का ही उल्लू बनाया
रंग लपेट ईमानदारी का
सियार मंद-मंद मुस्काया

खुजली वाला रंगा सियार
है सच में दुर्लभ कीड़ा
साल भर से बाँट रहा वो
नित नई असहनीय पीड़ा

सबको दे धोखा सियार ने
चंदे में टाका बहुत कमाया
युटीलाईज़ेशन कर चंदे का
अपना बेलबांड भर आया

भ्रष्ट पुलिस की भ्रष्ट जेल में
अगले को जाना नहीं गंवारा
हाथ आई जंगल सत्ता पर है
अब तो एकाधिकार हमारा

चाहता तो देकर सबूत वो
जुगनू मौसा को फँसवाता
सबूतों का देकर वो फंदा
मौसा के गले में कसवाता

पर बचा लिया मौसा को
सुधरने का मौका बताया
जैसे लोमड़ी ताई को पहले
रुसवा होने से था बचाया

बूढ़े जानवर इस गोले के
समझाकर गए हैं गहरी बात
तुम नफरत करो बुराई से
ना देखो तुम बुरे की ज़ात

खुजली खुजली करते करते
खुजली की चुभ गई है फाँस
खुजा खुजा बंजर हुई धरती
अब कब उगेगी नई हरी घास ?

भैया पिछले एक वर्ष से
नाटक हो गया यह ख़ास
धूर्त सियार की ईमानदारी पर
टिक गई है सबकी आस

शिष्ट व्यवहार, मीठे वचनों से
इस सियार ने दिए हैं झंडे गाड़
कोई जिये या कोई मरे अब
इसकी बला से सब गए भाड़

कोटि कोटि नमन 'निर्जन' का
ऐसे सत्यानाशी सियार को यार
बदल दिया जिसने ख़ुद के ही 
वचनों-कसमें-वादों, का सार

धन्य हो गया गोला-ए-हिन्द
चरण धूलि से इनकी आज
ऐसे रंगे सियारों औ मूर्खों से
कौन बचाएगा हिन्द की लाज?

#तुषारराजरस्तोगी #निर्जन #राजनीति #कहानी #व्यंग #रंगासियार #गोला #जंगल #मूर्ख

मंगलवार, मार्च 29, 2016

तू ही रहे साथ मेरे



















आह! दुनिया नहीं चाहती मैं, मैं बनकर रहूँ
वो जो चाहती है, कहती हैं, बन चुपचाप रहूँ
होठ भींच, रह ख़ामोश, ख़ुद से अनजान रहूँ
रहकर लाचार यूँ ही, मैं ख़ुद से पशेमान रहूँ

बनकर तमाशबीन मैं क्यों, ये असबाब सहूँ?
कहता हूँ ख़ुद से, जो हूँ जैसा हूँ वही ज़ात रहूँ
नहीं समझे हैं वो, कोशिशें उल्टी पड़ जाती हैं
मैं मजबूर नहीं, टूटना ऐसे मेरा मुमकिन नहीं

महसूस करता है हर लम्हा, दिल-ओ-दिमाग मेरा
ख़त्म हो रहा है मुझमें, धीमे-धीमे हर एहसास मेरा
दर्द से क्षत-विक्षत है, कहने को मज़बूत शरीर मेरा
चुका रहा है कीमत जुड़े रहने की, हर जज़्बात मेरा

दिल करता है कभी, लेट जाऊं और निकल जाऊं
ले आत्मा को साथ, ऊँचे नील-गगन में विचर जाऊं
पर समय अभी आया नहीं, तो जल्दी क्यों तर जाऊं
काज ज़िम्मे हैं कई जीवन में, छोड़ इन्हें किधर जाऊं

तो जब तक मुकम्मल ना हो जाएँ, सभी मस्लहत मेरे
तुम ही संभालो 'निर्जन', पल-पल उलझते लम्हात मेरे
उम्मीद छोटी सी, अमन पसंद ज़िन्दगी की है यारा मेरे
दूर रहे दुनिया मुझसे, फ़क़त एक तू ही रहे साथ मेरे

पशेमान - repentent, ashamed
तमाशबीन - spectator
असबाब - scene, stuff
मुकम्मल - complete
मस्लहत - policy
लम्हात -  moments


#तुषारराजरस्तोगी #दुनिया #बदलाव #अहसास #जज़्बात #निर्जन #मस्लहत #उम्मीद

सोमवार, मार्च 21, 2016

ऊपर टिकट कट जायेगा















पास आरई होली अब, बचकर तू कहाँ जायेगा
रंग जो तुझ पर लगाया, बोल क्या चिल्लाएगा?

घर तेरे आए हैं मेहमां, खातिर क्या करवाएगा
सूखता है गला, ऐ दोस्त बता क्या पिलवाएगा?

होली पर पव्वा पिला, तू जाने जां बन जायेगा 
प्यार से अध्धा मंगा, माशूक़ सी पप्पी पायेगा

आज पीकर जीने दे, तू ब्लैक डॉग खम्बा लगा
बन जायेगा तू ख़ुदा, दिल से जो पैग बनाएगा 

घर को चले जायेंगे, जब नशा सर चढ़ जायेगा
धन्नो कौन चलाएगा, ये फ़ैसला भी हो जायेगा

बर्फ, सोड़ा, पानी, चिप्स, कोक बढ़ाते हैं मज़ा
ये ना हों साथ तो दिल, यारों का दुःख जायेगा

बेवड़े की हालत निराली, पैरों पे चल ना पायेगा
नाले-गटर हैं कह रहे, तू मुझमें नहा कर जायेगा

झंडूगिरी कर कर के, हर दारुबाज़ इतराएगा
हरकतों से अपनी फिर, हुल्लड़ ख़ूब मचाएगा

होली पे इंग्लिश के मज़े, तू यार के घर ले रहा
कल को फिर से फक्कड़, देसी पर आ जायेगा

बोतल के ख़त्म होने का, ग़म तू ज़रा भी ना मना
ठेका है पप्पा का अपने, कोटा बहुत आ जायेगा

आज पी जितनी है पीनी, कल से 'निर्जन' छोड़ दे
जो हुआ डेली पैसेंजर, तो, लीवर तेरा सड़ जायेगा

अमृत समझ कर पीने वाले, बात इतनी मान जा
मौका है संभल जा, वर्ना, ऊपर टिकट कट जायेगा

#तुषारराजरस्तोगी #होली #दारू #दारुबाज़ #शिक्षा #हास्यरस #बर्फ #सोड़ा #पानी #चिप्स #निर्जन

रविवार, मार्च 13, 2016

आशिक़ बड़े महान













शादी एक संग कीजिये,
दूजी संग कर के प्यार
तीजी जो मिल जाए तो,
फिर नहीं चूकना यार...

...फिर नहीं चूकना यार,
चौथी ढूंढ कर रखना
मय भी देती नहीं मज़ा,
जब तीखा ना हो चखना...

...जब तीखा ना हो चखना,
भैया दिल को तुरत बताओ,
पंचामृत का इस जीवन में,
शुभ आचमन करवाओ...

...शुभ आचमन करवाओ,
जीवन में लो तुम अब ज्ञान,
सच्चा प्रेम एक संग करके, क्या
कहलाओगे आशिक़ बड़े महान

#तुषारराजरस्तोगी #इश्क़ #मोहब्बत #आशिक़ी #हास्यरस #हास्यव्यंग #ज्ञान

शनिवार, मार्च 05, 2016

समझा दिया



 












देखता हूँ, जब मैं, नज़रों में तेरी
दिखता है, उन में, अनुभव सदा

थामता हूँ, जब मैं, हाथों को तेरे
जान पाता, हूँ तब, ताक़त है क्या

छूता हूँ, जब मैं तेरी, कोमल त्वचा
बोध होता, है मुझे, सुभीता है क्या

सुनता हूँ मैं, जो तेरे, दिल की ध्वनि
अहसास होता, है मुझे, शक्ति है क्या

पुकारता हूँ, जब भी मैं, नाम तेरा
अपार खुशियाँ, साथ देती, हैं मेरा

चूमता हूँ, जब भी मैं, लबों को तेरे
दिल क्यों, उनमुक्त उड़ता है, बता?

आगोश में, होता हूँ मैं, जब भी तेरे
'निर्जन' का थम जाता है सारा जहाँ

सर झुकाकर, इश्क़ के,
सजदे में, हूँ मैं

क्या होती है इबादत?
उल्फ़त ने तेरी, समझा दिया...

सुभीता - comfort

#तुषारराजरस्तोगी #निर्जन #इश्क़ #मोहब्बत #लम्हे  #उल्फ़त

Made Me Understood
---------------------------------------------------------
Whenever I peep into your eyes
I always see sentience

Whenever I hold your hands
I get to know what is strength

Whenever I touch your soft skin
I realize what is comfort

Whenever I listen to your heartbeat
Makes me realize what is vehemence

Whenever I call out your name
Measureless happiness acompany me

Whenever I kiss your lips
Tell me...! Why do the heart flies uninhibitedly?

Whenever I am in your embrace
Entire world of 'Nirjan' comes to a stanch

Bowing down for love
I pray for it

What is worship?
Your love made me understood that.

#tusharrajrastogi #nirjan #dearness #love #fondness #affection #passion #moments #embrace #kiss

रविवार, जनवरी 17, 2016

सार्थक अर्थ















प्यार,

किसी ने पुछा मुझसे, क्या है प्यार?, किसे कहते हैं इश्क़?
क्या यह अच्छा है, या फिर, क्या यह बुरा है?
क्या यह ग़ज़ब का है, या फिर, क्या यह ख़राब है?
सच कहूँ तो, मालूम मुझे भी नही है
इसका क्या जवाब दूं, फिर भी,
अंततः जो समझा, बस इतना, कि
प्यार सभी भावनाओं में
सबसे सरल होकर भी
सबसे ज्यादा जटिल है

प्यार भावनापूर्ण सोच है
प्यार असामयिक भूख है
प्यार शुष्क प्यास है
प्यार मोह पाश है
प्यार अपरिमित व्यास है
प्यार असीमित व्योम है
प्यार करुनामय होम है
प्यार आसक्ति है
प्यार मुक्ति है
प्यार शक्ति है
प्यार भक्ति है
प्यार दयालु है
प्यार कठोर है
प्यार रसदार है
प्यार जीत है
प्यार हार है
प्यार अनोखा है
प्यार भयानक है
प्यार एक बीमारी है
प्यार एक इलाज है
प्यार एक व्यवहार है
प्यार बस प्यार है
प्यार दोस्ती है
प्यार बैर है
प्यार सार्थक है
प्यार व्यर्थ है
प्यार द्रोह है
प्यार विद्रोह है
प्यार मुश्किल है
प्यार सुखदायक है
प्यार शांतिदूत है

प्यार सच बुलवाता है
प्यार झूठ कहलाता है
प्यार सब समझाता है
प्यार सब उलझाता है
प्यार जीवन बनाता है
प्यार ज़िन्दगी ढहाता है
प्यार आँखें चमकाता है
प्यार कितना हंसाता है
प्यार उतना रुलाता है
प्यार दिल तोड़ जाता है
प्यार गले से लगाता है
प्यार दुनिया घुमाता है
प्यार नीचे गिराता है
प्यार मारा मारा फ़िराता है
प्यार श्रेष्ठता दर्शाता है
प्यार दुष्टता दर्शाता है
प्यार मुमकिन बनाता है
प्यार नामुमकिन बनाता है
प्यार में हर शय लायक है
प्यार में हर शय नालायक है
प्यार होशियार बनाता है
प्यार बेवक़ूफ़ बनाता है
प्यार ज्ञान बढ़ाता है
प्यार अंधा कर जाता है
प्यार प्रोत्साहित करता है
प्यार में डर लगता है
प्यार झगड़े बढ़ाता है
प्यार गले मिलवाता है

...और इस सब से ऊपर
प्यार हमेशा इसके लायक है, क्योंकि
प्यार बेहतर इंसान बनने की वजह है
जब भी आप किसी से प्यार करते हैं
तो फिर चाहे वो
बुरे वक़्त में साथ निभाने वाले दोस्त के लिए हो
अंत तक दिल की गहराई से चाहने वाले महबूब के लिए हो
बिना शर्त प्यार करने वाले अपनों के लिए हो, या
प्रभु के प्रति जटिल प्रेम भावना हो
वहां...इश्क़ करने के लिए कोई अर्थ नहीं होता
वहां चाहत का मतलब...सब कुछ होता है

कुछ फ़र्क नहीं पड़ता
प्रेम में कितना दर्द होता है
प्रेम में इंसान कितना रोता है
प्रेम आत्मपरीक्षण करता है
प्रेम आत्मविभाजन करता है
प्रेम सदा इसके योग्य है, क्योंकि
जो आपको मारता नहीं है,
वो आपको मज़बूत बनाता है
वक़्त बेशक़ कितना भी लग जाये
यदि आप प्यार के साथ जी रहे हैं, तो
आप एक बेहतर इंसान ही बनेंगे, क्योंकि
आप फिर गलतियाँ करने से
कोशिश करने से
चुनाव करने से
डरेंगे नहीं
और...सब से ऊपर
यदि आप किसी को चाहते हैं, तो
कोई फ़र्क नहीं पड़ता लोग क्या सोचते हैं
आप उसके लिए जान दे सकते हैं, लेकिन
आप उसके लिए, उसके साथ ज़िन्दगी जियेंगे भी
यही है...'निर्जन' के विचार से
चाहत, प्रेमभाव, मोहब्बत, पसंद, वफ़ा,
प्यार, वात्सल्य, प्रणय, सुभगता, प्रियतमा,
प्रीति, प्रेम, मुहब्बत, रुचि, स्नेह, इश्क़
...का सार्थक अर्थ...

#तुषारराजरस्तोगी #इश्क़ #प्यार #सार्थक #अर्थ #भावनाएं #सोच

शनिवार, जनवरी 09, 2016

हर लम्हा याद मैं करता हूँ



















बस यूँ ही बैठा-बैठा, अब
माज़ी को याद मैं, करता हूँ
गुज़रे दिनों की, यादों से
मैं आज भी, बातें करता हूँ

पुराने घर का, हर किस्सा
याद, आज फिर आता है
हिस्सा, एक उम्र का गुज़रा
जो अब ना, भूलने पाता है

फाटक का, वो दरवाज़ा
घर की याद, दिलाता है
गुज़रता हूँ, गली से जब
दिल मेरा, भर आता है

गुलिस्तां की, कलियों पर
फ़िदा दिल, हो जाता था
बड़े, दालान की रौनक़ में
दिल ये, खो जाता था

वो बारिश, जब भी होती थी
कोना-कोना, भीग जाता था
सौंधी मिटटी, की खुशबू से
आँगन वो, महक जाता था

सूरज भी, छिप छिप कर
अटखेलियां, करता था
किरणों के, झाँकने पर भी
कमरा आधा ही, भरता था

बड़ा कमरा था, बीचों बीच
याद बहुत वो, आता है
मेरी, शरारतों का नगमा
वो, हर्फ़े-हर्फ़ सुनाता है

कई रिश्तों की, दावतों का
अकेला ही, गवाह था वो
कई अपनों की, कहानी का
ख़ुदाया, ख़ैर-ख़्वाह था वो

बड़े कमरे के, भीतर ही
पाक एक कोठरी, भी थी
मेरे ख़ुदा से मेरी, रोज़ाना
जहाँ, गुफ़्तगू होती थी

उस बड़े घर के, बड़े दिल में
बड़ी सी, माँ की रसोई थी
जहाँ माँ ने मेरी, बड़े दिल से
अरमानो की लड़ी, पिरोई थी

बड़े ही चाव से, अम्मा वहां
लज़ीज़, अरमां पकाती थी
रूह भर जाती थी, अपनी
जब हाथों से, वो खिलाती थी

शाम को, छतों पर सब
मिलकर, पतंगें उड़ाते थे
कुछ पेंचे, लड़ाते थे
तो कुछ, आंखे भिड़ाते थे

अपनी तबियत, देख मलंग
पड़ोसन भी, शर्माती थी
चुपके से, झुकाकर नज़रें 
धीमे-धीमे, मुस्काती थी

छुट्टी के दिन, चौक में
क्रिकेट का मैच, होता था 
खेलना खेल, बहाना था
इश्क़ में, दिल कैच होता था 

खिड़की पर, खड़ी महबूबा
पोशीदा एक, राज़ होती थी
ना उड़ जाये, किल्ली अपनी
के बस वही, लाज होती थी 

हर एक मौसम, को चखना
दिल-ए-दस्तूर, होता था
हर ख़वाहिश, पूरी हो जाए
एक यही, फितूर होता था

हर मौके का, लुत्फ़ 'निर्जन'
मैंने तबियत से, उठाया था
हर एक मंज़र, चहकता था
पुराने घर का, सरमाया था 

उन बातें को, उन किस्सों को
आज भी, जी भर याद करता हूँ
बिछड़े आशियाने को अब भी
हर लम्हा याद मैं करता हूँ...

#तुषारराजरस्तोगी #लम्हे #यादें #बातें #पुरानाघर #अपनाघर

शनिवार, जनवरी 02, 2016

इमोशनल फूल













कुछ अपने हुए नामाकूल
टॉक्स हैं इनकी जैसे शूल
माइंड में मतलब की चूल
अक्ल से हैं ये बैल से लूल
करें प्यार का टैक्स वसूल

भाड़ में जाएँ नियम उसूल
अपनेपन की बात फ़िज़ूल
अपने अपनों को देते हूल
पराये अब लगते जो कूल
पैसा बन गया आज रसूल

हिस्ट्री-फ्यूचर में रहे हैं झूल
प्रेजेंट में ये करते है डरूल
हसरत इनकी उल जुलूल
'निर्जन' कहते हैं ये सब से   
नही हैं ये इमोशनल फूल

भैया अपन भी गए थे भूल
सब हैं अपने में ही मशगूल
चढ़ी आज जज्बातों पर धूल
जीवन जीने का नया ये रुल
प्रक्टिकैलिटी में है अनकूल

#तुषारराजरस्तोगी #प्रैक्टिकल #इमोशनल #फूल

गुरुवार, दिसंबर 31, 2015

फ़क़त शुक्रिया



















यह कविता मेरे उन मित्रों और मेरे अपनों को समर्पित है जिन्होंने मुझे प्रोत्साहन दिया, प्रेरणा दी, मेरी लेखनी को मान दिया, मुझे सम्मान दिया और मेरी रचनाओं को अपना आशीर्वाद प्रदान किया। यह कविता मेरा तोहफ़ा है मेरे उन तमाम दोस्तों के नाम जिन्होंने मेरे ब्लॉग और फेसबुक पेज को पसंद किया है और जो निजी ज़िन्दगी में मेरे अच्छे बुरे वक़्त में किसी ना किसी रूप से मुझसे जुड़े रहे हैं। मैं आप सबका तहेदिल से शुक्रगुज़ार हूँ, आभारी हूँ और दिल से आप सबका मान करता हूँ। मेरे इस साल को यादगार बनाने के लिए, मेरी ज़िन्दगी को जिंदादिल बनाने के लिए आपके समक्ष नतमस्तक हूँ और कामना करता हूँ जीवन में आगे भी आप सभी का प्रेम और मार्गदर्शन ऐसे ही मिलता रहेगा। एक दफ़ा फिर से सभी यारों को नवाज़िश, ज़र्रानवाज़ी और प्यार वाली झप्पी। मेरे सभी दोस्तों को नव वर्ष कि हार्दिक शुभकामनायें। आप सभी के लिए आने वाला साल मंगलमय हो। जय हो – हर हर महादेव...

कुछ अपनों ने निगाह-ए-उल्फ़त बरसाई है
उनका उपकार जिन्होंने जिंदगानी बनाई है

महज़ लफ़्ज़ों में अदा ना होगा उनका सवाब
हसीं ख़्वाबों की रात जिन्होंने हिस्से सजाई है

नजरें झुका कर बैठूँगा मैं बंदगी में उनकी
दामन में सितारों की झड़ी जिन्होंने लगाई है

अब तो होने लगा है अपने होने का गुमान
कद्रदां हैं, ज़हन में उम्मीद जिन्होंने जगाई है

कितनी मायूसी थी कभी इस किरदार में
स्नेह से अपने जिन्होंने हर कमी मिटाई है

रूठ कर जा रही थी ज़िन्दगी हर पल जैसे
हाथ थाम इसका जिन्होंने इसे घर लाई है

खिलखिलाती है ख़ुशी बेधड़क इन आँखों में
हाथ थाम मेरा जिन्होंने दुनिया नई दिखाई है

फ़क़त शुक्रिया अदा करे क्या ‘निर्जन’ उनका
हर पल दिल से जिन्होंने यह दोस्ती निभाई है

#तुषारराजरस्तोगी #शुक्रिया #नववर्ष #शुभकामनायें

शनिवार, दिसंबर 05, 2015

शायद वो सोचती है



















शायद वो सोचती है
मेरे हालात सुधर गए
अब क्या बताएं उसको
हम अंधेरों से घिर गए

ऐसी भी नहीं है बात कि
हौंसले अपने बिखर गए
वक़्त को मुताज़ाद देख
हम ख़ामोश कर गए

जब दिल में थे जज़्बात
तब अलफ़ाज़ नहीं थे
आज लफ्ज़ बेक़रार हैं
पर कोई साथ नहीं है

बात यूँ भी नहीं है कि
एहतराम अपने घट गए
दामन अपना देख कर 
हम ख़ुद ही सिमट गए

चन्दन का मैं नहीं था
दरख़्त फिर किस लिए
दोज़ख़ के दो मुंहे सांप
सब मुझसे ही लिपट गए

'निर्जन' गुफ़्तगू में उससे
अंदाज़ अपने सुलट गए
मासूम वो सोचती है मेरे
बेज़ारी के दिन पलट गए

मुताज़ाद - विपरीत / opposite
एहतराम - इज्ज़त / respect
दरख़्त - पेड़ / tree
दोज़ख़ - नरक / hell
बेज़ारी - बेसरोकार / to be sick of


#तुषारराजरस्तोगी

बुधवार, नवंबर 25, 2015

ज़रा अंजाम होने दो



















अभी तारे नहीं चमके
जवां ये शाम होने दो
लबों से जाम हटा लूँगा
बहक कर नाम होने दो

मुझे आबाद करने की
वजह तुम ढूंढती क्यों हो?
मैं बर्बाद ही बेहतर हूँ
नाम ये बेनाम रहने दो

अभी मानी नहीं है हार
मुझे अंगार पे चलने दो
मैं हर वादा निभाऊंगा
ज़िद्दी हालात संवारने दो

मेरा इमान है अनमोल
उन्हें अंदाज़ा लगाने दो
मैं ख़ुद को बेच डालूँगा
नीलामी दिल की होने दो

इब्तदा-ए-इश्क में तुम 
हौंसला क्यों हार बैठे हो
जीत लेगा तुम्हे 'निर्जन'
ज़रा अंजाम होने दो

#तुषारराजरस्तोगी