तेरी दोस्ती गरचे सच नहीं होती
मेरी जिंदगी बर्बाद हो गई होती
कुछ अपने पशेमान हो गए होते
जो बात ज़बां से निकल गई होती
ग़द्दारों ने सही किया दूर रहे मुझसे
पास होते तो जान उनकी गई होती
'निर्जन' तुझे भी कमज़र्फ़ मान लेता
जो ये दोस्ती पुख़्ता ना हो गई होती
मैं ज़िन्दगी के आज़ाबों में फंसा होता
जो दोस्ती में मोहब्बत ना हो गई होती
गरचे - If
पशेमान - Embarrassed
पुख़्ता - Strong
कमज़र्फ़ - Mean
आज़ाबों - Pain
--- तुषार राज रस्तोगी ---