शुक्रवार, मार्च 15, 2013

ज़िन्दगी से मुलाक़ात


आओ बतलाऊं दिल की बात
आज दिन था कितना खास
ज़िन्दगी से एक मुलाक़ात
बढ़ी गुफ्तगू की सौगात
कैसे सुबह से शाम हो गई
दिल की बातें आम हो गईं
जादू झप्पी से हुआ आगाज़
कितना सुन्दर रहा रिवाज़
शब्दों को भी पकड़ जकड़
दिए उलाहने अगर मगर
सवालात कुछ आम हुए
मियां मुफ्त सरनाम हुए
कुछ तस्वीरें कुछ तकरीरें
मिल बांटी हाथों की लकीरें
थोड़ी खुशियाँ थोड़े ग़म
सांझे किये कर आँखें नम
फिर आगे ये गज़र चली
कुदरत संग ये जा मिली
नदी, फूल, तितली के रंग
साथ खिले बातों के संग
गपियाने के जब दौर चले
जाने किस किस ओर चले
विचार, सुन्दरता, आकर्षण
अनावरण, भावना, विकर्षण
कर जीवंत आत्मा का मंथन
क्या खूब किया था विश्लेषण
हृदय द्वार जब खोल दिये
अस्तित्व शब्दों में बोल दिये
उन अपनेपन की बातों ने
जीवन में नवरस घोल दिए
द्रुतवाह अग्नि का खेल हुआ
बौद्धिक क्षमता का मेल हुआ
एक पड़ाव फिर ऐसा आया
पकवानों को सम्मुख पाया
शौक़ भोजन व्यंजन का
हृदय क्षुधा संबद्ध दर्शाया
हंसी ठीठोली खूब रहीं
कवितायेँ भी खूब कहीं
धारावाहिक, फिल्में, गाने
चर्चा इन पर ख़ास हुई
माज़ी से चुनकर लम्हात
शरीक हुए अब जज़्बात
वाह वाही भी खूब कही
ऐसे ही सारी शाम बही
वक़्त बिछड़ने का आया
दिल अपना मुंह को लाया
लम्हा काश ये थम जाता
जीवन यूँ ही चल पाता
कब होता है ऐसा यार
जाना लाज़मी उस पार
हाथ छुड़ा निमिष का
मिलने का वादा कर
निश्चल मन हुए जुदा
बिछडन के लम्हे पर
दागा गया कड़ा गोला
सवाल था बड़ा भोला
दिन पूरा कैसा गुज़रा ?
शब्दों में बतलाओ
भावनाओं को दर्शाओ
हमने कहा बतलायेंगे
हम भी कुछ जतलायेंगे
गौर थोडा फरमाएंगे
तब ही कुछ दिखलायेंगे
लो कहा दिनभर का सार
अब तुम करते रहो विचार
ज़िन्दगी से एक मुलाक़ात
दिन बना मेरा यह खास....

20 टिप्‍पणियां:

  1. शुभप्रभात :))
    डायरी की धरोहर आन्नदित कर मन को भाई
    गंभीरता चंचलता की सलोनी रंग बिखरी लगी
    जिंदगी से मुलाकात की इन्द्रधनुषी छटा छाई
    शुभकामनायें !!

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  2. खूबसूरत है जिंदगी से मुलाकात !

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  3. सुन्दर प्रस्तुति |
    आभार आदरणीय-

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  4. बहुत सुन्दर दिल से लिखी हुई दिल तक पहुँचती हुई रचना ....जिंदगी से मुलाकात मुझे तो ये शीर्षक ही मन को बहुत भा गया ..ऐसा लगा कविता पढ़ के जैसे अभी नदी पहाड़ बाग़ बगीचे ..खान पान ..बारिश का आनंद ..सब यही मिल गया हो ....बहुत भावपूर्ण लेखन ..ईश्वर ऐसे ही तुमपे अपना आशीर्वाद बनाये रखे और जिंदगी यु ही हंसती खिलखिलाती रहे :-)

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  5. जिंदगी से मुलाकात ,एक दिन का हिसाब -बहुत अच्छा
    latest postउड़ान
    teeno kist eksath"अहम् का गुलाम "

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  6. बहुत खूब तुषार बाबू ... खूब छा रहे हो आजकल ... जय हो !

    आज की ब्लॉग बुलेटिन आम आदमी का अंतिम भोज - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  7. कलकल छलछल बहती प्रवाहमयी सुंदर शब्द-सरिता...

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  8. रचना में सराहनीय प्रवाह है.

    शब्दों का सामंजस्य अनूठा है.

    ऐसी रचना प्रस्तुत करने के लिए श्रद्धावान.

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  9. वाह सुन्दर पोस्ट.........अच्छा लगा आपके ब्लॉग पर आकर।

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  10. यह मुलाकातबहुत हसीं है. सुंदर लेखन.

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