पब्लिक का बैंड बजाया
जब पांच लाख हो कमाई
दो हज़ार की छूट है पाई
जो एक करोड़ कमाया
१० परसेंट सरचार्ज लगाया
तेल में आग लगाई
सरकार ये बाज़ न आई
गाड़ियाँ कर दीं महंगी
अब पैदल घूमेंगे क्या जी
एग्रीकल्चर के नाम पर
कुछ ही परसेंट बढ़ाये
डायरेक्ट टैक्स कोड के
बिल इंट्रोडयूस कराये
लेडीज का बैंक खुलेगा
नया डेवलपमेंट दिखेगा
करोड़ों का फण्ड बनाया
निर्भया प्रति प्यार जताया
ड्यूटी फ्री गोल्ड कराया
माशूका के दिल को भाया
एक्साइज रेट बढाया
तम्बाकू में आग लगाया
चिमनी अब तो सुधरेंगे
और नहीं बिगड़ेंगे
खाने पर बढ़ गए पैसे
मियां रेस्तरां जाओगे कैसे
एंटरटेनमेंट रूचि दिखाया
ऍफ़ एम्म स्टेशन बढ़वाया
डीजीटाईजेशन के दौर मैं
सेट टॉप बॉक्स मेहंगाया
फाइनेंस मिनिस्टर बौराया
बकवास बजट है लाया
और भी ना जाने क्या
अगड़म बगड़म फ़रमाया
जनता है रोती धोती
इनके कान पे जूं न होती
बजट को मारो गोली
आई अब पास है होली
कांग्रेस को जलाएंगे
होली खूब मनाएंगे
बजट, इन्सान, बस्ता
सबका हाल है खस्ता
अब हम आवाज़ उठाएंगे
जनता को जगायेंगे
देश को बचायेंगे
नई सरकार बनायेंगे...
hasyaras liye hue hai kavita kintu dard hai ...aisa budget hoga to dard hi hoga hum log apna gussa bas kavitaao mei hi nikal sakte hain ... good composition ..aji aur miya jaise shabdo ka istemal mujhe rochak laga :-) mehngai badh rahi hai aapki rachna bhi kafi mehngi(high rated) hai :-)
जवाब देंहटाएंधन्यवाद् पारुल |
हटाएंहास्य-व्यंग मेरा बहुत प्रिय विषय है .....आपकी रचना बहुत चुटीली लगी ...
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग पर एक नजर डालेगें तो मुझे बहुत ख़ुशी होगी
तुम्हारी आवाज़ .....
ये पब्लिक है सब जानती ,,,, हराने जिताने का अधिकार जनता के पास है,,,
जवाब देंहटाएंRecent post: रंग,
गुरूजी धन्यवाद्
हटाएंBahut Khoob...
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार
हटाएंबहुत ही सार्थक प्रस्तुति,कोई भी सरकार आये हाल यहीं रहेगा.
जवाब देंहटाएंYou have portrayed the perfect picture of budget-2013 .
जवाब देंहटाएंकहाँ से लायेंगे नयी सरकार
जवाब देंहटाएंनए भी हो जायेंगे लाचार
सबका हाल बुरा है जी..बढ़िया लिखा
जवाब देंहटाएंbahut badiya...
जवाब देंहटाएंबजट का डिसेक्शन कर दिया .. चीर लगा कर कांट छांट दिया ...
जवाब देंहटाएंबहुत उत्तम ...
कल भूल ना जाना
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें !!
बहुत रोचक ....
जवाब देंहटाएंनयी सरकार बनायेगें .....सबै चिल्लावत हैं
वोट देने की बारी आये तै ...पिकनिक मनावत हैं
bahut umda aur sarthak lekhan...bahut bahut badhai.
जवाब देंहटाएंवाह! बजट का बंटाधार कराया.
जवाब देंहटाएंKAVYA SUDHA (काव्य सुधा)
सोचते सब हैं,पर विकल्प क्या है,फिर चुनाव के समय सब भूल जातें हैं ,कि इस सरकार ने हमारे साथ क्या क्या किया है.बढ़ी अजब हालत है लोगों की जाएँ तो जाएँ कहाँ ?
जवाब देंहटाएंबजट पर कविता की जगह लेख लिखते तो बेहतर होता। कविता इतनी सस्ती नहीं कि उसे बजट जैसे आर्थिक मुद्दे से भी खरीद लो।
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