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सोमवार, अक्तूबर 05, 2015

गुलबन कर गया















रौशन चरागों को मेरा नसीब कर गया
ख़ुदा शायद मुझे ख़ुशनसीब कर गया

मंज़िलों के रास्ते मेरे आसान कर गया
हर एक मरासिम वो मेरे नाम कर गया

ज़र्रा-ज़र्रा महक उठा जिसकी ख़ुशबू से
है कौन जो शामों को सरनाम कर गया

बहक रहा हूं अब भी मैं अरमानों में तर 
वो फ़रिश्ता नज़रों से दिल में उतर गया

सजा कर राह में 'निर्जन' गुंचा-ए-ग़ुलाब
मेरा दिलबर मेरी राहें गुलबन कर गया

मरासिम - रिश्ते / Relations
गुलबन - ग़ुलाब की झाड़ी / Rosebush

#तुषारराजरस्तोगी