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शनिवार, फ़रवरी 13, 2016

तेरा इश्क़
















तेरा इश्क़, कमल का फूल है,
कोमल है, मगर अटल है।

तेरा इश्क़, वज्र की शक्ति है,
घातक है, मगर क्षम्य है।

तेरा इश्क़, रात का सपना है,
मृगतृष्णा है, मगर यथार्थ है।

तेरा इश्क़, ईश्वर का चुंबन है,
अदृश्य है, मगर प्रत्यक्ष है।

तेरा इश्क़, शिशु का सच है,
उद्दंड है, मगर विनम्र है।

तेरा इश्क़, जीवन का चलचित्र है,
कल्पना है, मगर ख़ूबसूरत है।

तेरा इश्क़, वादों का बंधन है,
अनुबंधित है, मगर शिथिल है।

तेरा इश्क़, आकांक्षा का संगम है,
विचार है, मगर मार्गदर्शक है।

तेरा इश्क़, 'निर्जन' की जुबां है,
ख़याल है, मगर सम्पूर्ण कविता है।

#तुषारराजरस्तोगी #इश्क़ #अभिव्यक्ति #कल्पना #निर्जन

Your Love
-------------------------------------------
Your Love, Is a Lotus Flower,
It's Tender, yet it's Firm.

Your Love, Is Power of Thunderbolt,
It's a Killer, yet it's Remissible.

Your Love, Is a Dream of Night,
It's a Grail, yet it's Real.

Your Love, Is Kiss of GOD,
It's Invisible, yet it's Evident.

Your Love, Is Truth of a Kid,
It's Impertinent, yet it's Humble.

Your Love, Is Movie of Life,
It's a Fairytale, yet it's Beautiful.

Your Love, Is a Bond of Promises,
It's Covenanted, yet it's Relaxed.

Your Love, Is Confluence of Intentions,
It's a Belief, yet it's a Cicerone.

Your Love, Is "Nirjan's" Language,
It's Abstract, yet it's Perfect Poem.

#tusharrajrastogi #love #expression #imaginativeness #nirjan

सोमवार, सितंबर 08, 2014

कल्पना तू ही
















तुझसे हैं सुबहें मेरी
तुझेसे ही शामें मेरी
तुझसे रातें दहकती मेरी
तुझसे हैं बातें मेरी
जिस्म में दिल की जगह
अब तू ही तू धड़कती है
आईना देखूं जो मैं
मेरे अक्स में तू झलकती है
जो तू नहीं तो कुछ भी नहीं
जो तू है तो सब कुछ यहीं
तेरा हूँ मैं और तू मेरी
‘निर्जन’ की है कल्पना तू ही
तुझसे हैं...


--- तुषार राज रस्तोगी ---

शुक्रवार, फ़रवरी 14, 2014

सनम














इज़हार-ए-इश्क़ का आया मौसम
अरमां मचलते इस दिल में सनम

महफूज़ मुद्दत से रखा हमने इन्हें
आज क्यों ना कह दें तुमसे सनम

मालूम है फ़र्क पड़ता नहीं तुमको
हम जियें या मर जाएँ ऐसे ही सनम

हसरत दिल की दिल में ना रह जाये
यही सोच लिख बयां करते हैं सनम

तुम कब समझोगी ये अंदाज़-ए-बयां
हो ना जायें हम फनाह इश्क़ में सनम

सोचता 'निर्जन' थाम हाथ मेरा भी कभी
कहेगा हूँ मैं साथ तेरे यहाँ हर पल सनम

--- तुषार राज रस्तोगी ---

मंगलवार, नवंबर 12, 2013

Love












Love is existance
Love is life
Love dear being
Is the way to paradise
Deep it with your heart
Deep it with your soul
Devote it to the one
And believe it as your pride
Love means to care
Love means to share
Caring for the Love
With your prime sacrifice
Take it as my word
Even God is with Love
The Love that is pure
Honest True and Divine
So Love but with purity
Devotion and sincerity
Surly God is with you 'nirjan'
Never never let him chide

बुधवार, नवंबर 06, 2013

दिल ये गया दिल वो गया














दिल वहाँ गया दिल कहाँ गया
बस जाने यह अहमक जहाँ गया
अरे पुछा जब उसने मुझसे ऐसे
दिल फिसल गया हाय संभल गया

कोयल बनकर दिल चहक गया
पपीहा मन के भीतर उतर गया
चहका बैठ मुंडेर पर जाकर ऐसे
दिल किधर गया हाय उधर गया

चिमटी बनकर दिल अटक गया
गेसुओं में छिपकर सिमट गया
झटका उसने जुल्फों को कुछ ऐसे
दिल लटक गया हाय चटक गया

आतिश बनकर दिल दहक गया
खलल एक दिमाग में पनप गया
हवा जो दी हसरतों को जोर से ऐसे
दिल सुलग गया हाय धधक गया

काजल बनकर दिल सज गया
नयनो में सियाही सा रच गया
मूंदी पलकें ज़ालिम ने फिर ऐसे
दिल मचल गया हाय बिखर गया

मोम बनकर दिल पिघल गया
जुगनू सा चम् चम् चमक गया
'निर्जन' वो जीवन में आया ऐसे
दिल सुधर गया हाय बिगड़ गया 

रविवार, अक्टूबर 13, 2013

क्यों ???

क्यों दिल उसके इंतज़ार में सदा रहता है
मिलता है रोज़ मगर दिल तनहा रहता है

पास है जो उसे दुनिया बुरा ही कहती है
देखा नहीं जिसे उसने उसे ख़ुदा कहती है

नफरत अपनों से अपनों को छुड़ा देती है
फासला दिलों में यह कितना बढ़ा देती है

बस चंद मासूम से शब्दों का लहू है 'निर्जन'
दुनिया जिसे मेरे ज़ख्मों की दवा कहती है

रविवार, सितंबर 08, 2013

दिल मेरा तुझ पर मरता है













तेरी मुस्कराहट में मेरा अक्स झलकेगा
नज़रें झुकेंगी तेरी तब अश्क छलकेगा
पलट के देखेगी सरे राह मुझको पायेगी
तू जो छोड़ेगी मेरा साथ बहुत पछताएगी

हर एक आहट एहसास मेरा करवाएगी
मेरी साँसों की हवा दिल तेरा छु जाएगी
बहते दरिया रोज़ किस्सा मेरा सुनायेंगे
तू ना चाहेगी तब भी मेरी याद आएगी

आज ग़म है तो कल ख़ुशी भी आएगी
रोते रोते ज़िन्दगी कभी तो मुस्कराएगी
आज हालात हैं तू भीड़ में भी है तनहा
कहता है दिल जुदा तू भी जी न पायेगी

तेरे दिल में रहूँगा मैं बस यादें बनकर
तेरे होटों पर रहूँगा मैं मुस्कान बनकर
तू रोकेगी फिर भी मैं आ ही जाऊंगा
तेरे सपनो को आसमान बन सजाऊंगा

सियाह रातों में मैं चाँद बन कर देखूंगा
अपनी चांदनी को तेरे दिल तक भेजूंगा
मोहब्बत 'निर्जन' सोच कर नहीं करता
दिल मेरा यूँ ही तो तुझ पर नहीं मरता 

सोमवार, सितंबर 02, 2013

मेरी तौबा

















गल्बा-ए-इश्क़ के गुल्ज़ारों में
खिला गुलाबी रुखस़ार तौबा

दमकता हुस्न बेहिसाब तेरा
रात में खिला महताब तौबा

खिज़ा रसीदा सहराओं में
हसरतें दिल-कुशा तौबा

आब-ए-जबीं पे परिसा जुल्फें
दमकते चेहरे पे नक़ाब तौबा

उससे मुलाक़ात यकीनन बाक़ी
है अधूरा ख्वाब 'निर्जन' तौबा

भरे हैं आब-ए-चश्म से सागर
आतिश आब-ए-तल्ख़ सी तौबा

इश्तियाक़ हसरत-ए-दीदार ऐसी
अफ़साने लिख जाएँ तो तौबा

लिखो इख्लास अब तुम मेरा
मैं कहता हूँ मेरी तौबा ....

गल्बा-ए-इश्क़ - प्यार का जूनून
गुलज़ार - उपवन
रुखस़ार - ग़ाल
खिज़ा - पतझड़
रसीदा - मिला है
सहरा - रेगिस्तान
दिल-कुशा - मनोहर
जबीं- माथा
आब-ए-चश्म-आंसू
आब-ए-तल्ख़ - शराब
आतिश-आग
इश्तियाक़-चाह, इच्छा, लालसा
हसरत-ए-दीदार - ललक , आरज़ू
अफ़साने - कहानियां, किस्से
इख्लास= प्यार, प्रेम

शुक्रवार, अगस्त 30, 2013

थी वो





















कभी लगता है ज़िन्दगी थी वो
दिल ये मेरा कहे अजनबी थी वो

वो कहती थी अजनबी हम थे
गुनाह था खुद से लापता हम थे

सोचा शरीक-ए-ग़म थी वो
कभी मुझसे मिलके हम थी वो

बावफा उम्मीद में हम थे
किस ज़माने से आशिक हम थे

दिल से बेज़ार बेज़ुबान थी वो
आरज़ू तार तार बदगुमान थी वो

घने अँधेरे में कभी हम थे
घनी रातों के चाँद भी हम थे

दिल से जुड़े लोगों में थी वो
मेरी आँखों में ज़िन्दगी थी वो

शुक्रवार, अगस्त 23, 2013

राखी का बंधन

राखी के पवन पर्व पर अपनी प्यारी बहन के लिए लिखी मेरी कविता....













राखी है बंधन जीत का
भाई बहन कि प्रीत का

रिश्तों का एहसास है 
बहन-भाई कि आस है 

बंधन बचपन के मीत का
पक्के धागे कि रीत का

पर्व राखी का पावन है
जैसे शीतल सावन है

भाई-बहन कि लाज का 
अनकहे जज़्बात का

आँखों का विश्वास है
यह अपनों कि बात है

दिलों कि धड़कन का
साथ में खेले बचपन का

राखी का यह त्यौहार है
इसमें प्यार ही प्यार है

शनिवार, अगस्त 03, 2013

इंतज़ार उसका मुझे
















वो कहते हैं इश्क नहीं
होता पहली नज़र में
मैंने जिस से भी किया
आज भी निभा रहा हूँ

सुलगते जो दिल में
जज़्बात रहते हैं मेरे
आज लिखकर उन्हें
दिलसे बतला रहा हूँ

वो आया था नज़रों में
फिर दिल को भा गया
एक निगाह डाल कर
मुझे अपना बना गया

रंग ऐसा चढ़ा उसका
छुड़ाए छुट न सका
बाद मुददतों के भी
नाम मिट न सका

पतंगा बन कर रहा
आग में जलता रहा
बरसों 'निर्जन' यूँ ही
बस पिघलता रहा

इंतज़ार उसका मुझे
आज भी है ऐ दोस्त
उम्रभर इश्क को मेरे
जो बैठा परखता रहा

शनिवार, जून 29, 2013

नमाज़ में वो थी















नमाज़ में वो थी, पर ऐसा लगा कि
दुआ हमारी, कबूल हो गई
सजदे में वो थी, पर ऐसा लगा कि
खुदा हमारी, वो रसूल हो गई
आयतों में वो थी, पर ऐसा लगा कि
ज़िन्दगी हमारी, नूर हो गई
तज्बी में वो थी, पर ऐसा लगा कि
मुख़्लिस हमारी, हबीब हो गई
मदीने में वो थी, पर ऐसा लगा कि
तसव्वुफ़ हमारी, मादूम हो गई
ज़िन्दगी में वो थी, पर ऐसा लगा कि
'निर्जन' ज़िन्दगी, ज़िन्दगी से
महरूम हो गई, महरूम हो गई

मुख़्लिस - दिल की साफ
हबीब - दोस्त
तसव्वुफ़ - भक्ति
मादूम - धुंदली हो गई 

मंगलवार, जून 04, 2013

चाँद पूनम का

















चाँद पूनम का सियाह रात में मुकम्मल देखा
सितारों को भी चांदनी में मुज़म्मिल देखा

रात चाँद की चांदनी में सिसकता बदल देखा
मैंने रात की आँखों से पिघलता काजल देखा

काजल सी रात में तेरी बातें करता रहा खुद से
गूंजते रहे अलफ़ाज़ तेरे जुदा हो गया मैं खुद से

घुमड़ आई यादों की घटा बदली बन दिल पर
भीगता रहा रात भर मैं अपने लब सिल कर

हौसला छीन लिया मुझसे ग़म-ए-जिंदगानी ने
ख़ाक कर दिया दिल जलाकर रात तूफानी ने

आबाद हो जायेगा 'निर्जन' फिर शायद मर कर
जो फकत देख लेती तू कजरारे नयनो से मुड़ के

चाँद पूनम का सियाह रात में मुकम्मल देखा
सितारों को भी चांदनी में मुज़म्मिल देखा 

बुधवार, मई 08, 2013

कर्म की मिठास














पग घुंघरू बाँध
मीरा नाची थी
केशव
की याद में, या
फिर केशव
के कर्म
रंग, रूप, गुण
की गंध में
मुग्ध हुई
मन वीणा, की
झंकार पर
नाची थी
हाँ
कर्म की
झंकार ही ने
मीरा को
बाध्य किया
नाचने पर
कर्म की मिठास ही
जीवन को सतरंगी
बनाती है 

बुधवार, मई 01, 2013

सुन रहा है ना वो














कल मैंने आशिकी २ देखी | बहुत ही सुन्दर फिल्म बनाई टी-सीरीज ने | उसका एक गाना "सुन रहा है तू" बहुत ही सुरीला और उसके बोल दिल में अन्दर तक उतर गए हैं | अब तक मैं उस गाने को कम से कम ५० दफा सुन चुका हूँ पर क्या करूँ दिल ही नहीं करता बंद करने को | तो सोचा कुछ अपना ही लिख डालूं उस गाने की धुन पर  और रिकॉर्ड कर के प्रस्तुत करूँ | तो वही पेश कर रहा हूँ | गाने की धुन को सुनने के लिए और मेरे बोल उस पर सजाकर पढने के लिए गाने का लिंक यहाँ दे रहा हूँ | गाना मेल और फीमेल दोनों आवाज़ों में हैं तो मैंने दोनों ही पर अपने बोल लिखने की कोशिश की है | उम्मीद है आपको मेरी कोशिश पसंद आएगी |




मुझको गाने दे
शब्दों को माने दे
दुखती सज़ाओं के
वो लम्हे भुलाने दे
साँसों को आने दे
अब गुनगुनाने दे
खुशियों के साज़ो पर
नए गीत बजाने दे
उसके करम की वो जफ़ाएं
फेर ली उससे अब निगाहें

सुन रहा है ना वो
हंस रहा हूँ मैं
सुन रहा है ना वो
जो हंस रहा हूँ मैं

फ़िज़ा भी, कह रही हैं
एक सुकूं, दिल को हुआ
काश वो, मिल जाए
मांगी है, जिसकी दुआ
वो दिल की चाहत है
वो मेरी अदावत है
उसके करम की वो जफ़ाएं
फेर ली उससे अब निगाहें

सुन रहा है ना वो
हंस रहा हूँ मैं
सुन रहा है ना वो
जो हंस रहा हूँ मैं

यारा...

बातें, खुशनुमा हैं
लिखी है, नई दास्तां
पाई, दिल ने मेरे
हैं, इतनी सी खुशियाँ
दिल अब भी, सलामत है
खुद ही से, खुशामत है

मुझको भुलाने दे
बीते ज़माने वे
तेरी पनाहों में जो
लम्हे गुज़ारे थे
दिल को बहलाने दे
हंसने दे, गाने दे,
बीती यादों को अब
दिल से मिटाने दे
उसके करम की वो जफ़ाएं
फेर ली उससे अब निगाहें

सुन रहा है ना वो
हंस रहा हूँ मैं
सुन रहा है ना वो
जो हंस रहा हूँ मैं

यारा...

फ़िज़ा भी, कह रही हैं
एक सुकूं, दिल को हुआ
काश वो, मिल जाए
मांगी है, जिसकी दुआ
वो दिल की चाहत है
वो मेरी अदावत है
उसके करम की वो जफ़ाएं
फेर ली उससे अब निगाहें

सुन रहा है ना वो
हंस रहा हूँ मैं
सुन रहा है ना वो
जो हंस रहा हूँ मैं

यारा...

रविवार, अप्रैल 14, 2013

शुक्रिया तेरा

शुक्रिया तेरा
प्रत्येक जतन के लिए
हर पल सुनने के लिए
परवाह करने के लिए
प्यार करने के लिए
खुद को खुद की तरह
रखने के लिए

हैरान रह जाता हूँ मैं
कैसे रहती है तू
इतनी शांत
कहाँ से लाइ है
इतनी सहनशीलता
क्यों है तेरे पास
इतना धीरज

तू पास मेरे बैठ कर
बस सुनती रहती है
जब भी अनाड़ीपन से
मैं छलकाता हूँ दिल के
जज़्बात सामने तेरे और
मुस्कराती रहती है तू
आँख मूंदे मंद मंद

पर मैं भी
चाहता हूँ करूँ
तेरे लिए कुछ ऐसा ही
चल बता तू अपने डर
और बता दे जो भी
दिल में बसी हैं
चाहतें तेरी

वादा तो मैं करता नहीं
दे सकूँगा सब कुछ तुझे
आज, कल या जिंदगी भर
पर इतना कहूँगा बस तुझे
जब तक है जां में जां मेरे
कोशिश करूँगा खुश
रहे तू उम्र भर

शुक्रिया तेरा
सब कुछ है तू
मेरे लिए
शुक्रिया कहते
नहीं थकता है
'निर्जन' आज
बस तेरे लिए

बुधवार, मार्च 20, 2013

इश्किया होली


इश्क़िया होली पर तुझे दिल पेश करूँ
इश्क़िया होली पर तुझे जां पेश करूँ
इश्क़िया होली पर तुझे जहां पेश करूँ
जो तू कहे नगमा-ए-जज़्बात तुझे 
मेरी जानिब-ए-मंजिल पेश करूँ
गर मालूम हो तेरी नियाज़-ए-इश्क 
फ़िर नगमात-ए-इश्क गाकर वही 
दिलनवाज़ दिल्साज़ मैं पेश करूँ
जो तेरी नम हसरतों को हवा दे 
जज़्बात वही सजाकर पेश करूँ 
या कोई तेरी ग़ज़ल, कविता, किस्सा 
तेरे ही अल्फाजों में तुझे पेश करूँ 
तू जो एक बार मिल जाये होली पर 
अपने नवरंग प्यार की बौछार से भिगा
सराबोर कर, तुझको तुझे ही पेश करूँ 
अबके होली....

गुरुवार, मार्च 14, 2013

मैं और मेरी तन्हाई

मैं और
मेरी तन्हाई
बस यही है
अब मेरी अपनी
इस तन्हाई में
मैं कितने
मौसम सजाता हूँ
सब कुछ
भूल कर मैं
तुझसे मिलने
आता हूँ
तेरी यादें
तेरी बातें
तेरे सपने
सजाता हूँ
फिर जब
आँख खुलती है
मुस्करा कर
सर हिलाता हूँ
तेरे ख्वाबों को
दिल से
लगाकर मैं
मुड़कर तन्हाई
में अपनी वापस
लौट जाता हूँ
मैं इस तन्हाई से हूँ
और मेरा
जादू ये तन्हाई
बस अब एक
तनहा मैं
और फ़कत
मेरी ये तन्हाई.....

मंगलवार, मार्च 12, 2013

शाद-ए-हबल्ब

फवाद-ए-फुर्सत की दुआ तू है 
अबसार-ए-मसरूर फरोग तू है  
देख तुझे दीदार-ए-दुनिया हासिल है 
शाइ तू जो दिलों जहाँ गाफ़िल है  
ख़ामोशी बयां करती अफ़साने है
लफ़्ज़ों में शामिल शोख नजराने हैं
जाकिर शोखियाँ तेरी तनहा रातों में 
क़माल जादू मयस्सर तेरे हाथों में 
घुंचालब कहते आलि-आलिम बातें 
याद है तुझसे आक़िबत वस्ल  
बहकी दिलकश मदहोश सियाह रातें 
उम्मीद-ए-फ़र्दा फ़कत तू है मेरी 
शाद-ए-हबल्ब तू ही है बस 
अब बज़्म-ए-यार में....

फवाद-ए-फुर्सत - स्वस्थ होते दिल / रिकवरिंग  हार्ट / recovering heart
अबसार - आँखें / आईज / eyes
मसरूर - आनन्दित / चीयर्फुल / cheerful
फरोग - रौशनी / लाइट / light
शाइ - गुम / लॉस्ट / lost
अफ़साने - किस्से / स्टोरीज / stories
शोख - शरारती / मिसचीविअस / mischevious
जाकिर - ख्याल करना / रेमेम्बेरिंग / remembering
शोखियाँ - शरारतें /  प्रैंक्स / pranks
मयस्सर -  मौजूद / अवेलेबल / available
घुंचालब - कली जैसे होठ / बड लिप्स / lips like bud  
आलि - अवर्णनीय / सबलाइम / sublime
आलिम - समझदार / इंटेलीजेंट / intelligent
आक़िबत - अंतिम / फाइनल / final
वस्ल - मुलाकातें / मीटिंग्स / meetings 
उम्मीद - आशा / एक्स्पेक्ट / expect 
फ़र्दा -  कल / टुमौरो / tomorrow
शाद - छाया / शैडो / shadow
हबल्ब - दोस्त / फ्रेंड / friend
बज़्म-ए-यार - दोस्तों के महफ़िल / ग्रुप ऑफ़ फ्रेंड्स / group of friends

रविवार, फ़रवरी 10, 2013

दिल का विसर्जन हो गया

कुछ संजोये लम्हात मेरे
कुछ धुंधली सी तेरी यादें
कुछ पल साथ गुज़ारे जो
कुछ भूली बिसरी सी रातें
कुछ मीठी मीठी थीं बातें
कुछ गीत साथ में थे गाते
कुछ शिकवे थे हमने बाटें 
कुछ खटपट थीं तेरी मेरी
कुछ नाज़ुक थे अपने वादे
कुछ आँखों में गुज़रीं रातें 
कुछ नयनो की खुमारी वो
कुछ अदाएं मोहक प्यारी वो
कुछ सीने से गिरता आँचल
कुछ मदहोशी बिखरी हर पल
इन सबको साथ समेट के मैं
लहरों में स्वाह  कर आया हूँ
इस मौनी मावश को "निर्जन"
दिल का विसर्जन कर आया हूँ