कभी कभी मेरे दिल में ख्याल आता है -
काश लोन लेकर शादी की होती -
तो ज़िन्दगी आबाद हो भी सकती थी
ये बेलन और झाड़ू से पिटाई बदन पे खाई है -
रिकवरी एजेंटों की दुआओं से खो भी सकती थी
मगर ये हो न सका और अब ये आलम है -
के बीवी ही है, जिसे मेरा दम निकालने की जुस्तजू ही है
गुज़र रही है कुछ इस तरह से ज़िन्दगी जैसे -
इससे वसूली वालों के सहारे की आरज़ू ही है
ना कोई राह, न मंज़िल, न रौशनी का सुराग -
गुज़र रही है हतौडों-थपेड़ों में ज़िन्दगी मेरी
इन्ही हतौडों-थपेड़ों से उठ जाऊंगा कभी सो कर -
मैं जानता हूँ मेरे ग़म-वफ़ात, मगर यूँही
कभी कभी मेरे दिल में ख्याल आता है
रस्तोगी जी ,आज की पीढ़ी के ख्यालों पर ...तो जवानों का ही हक है
जवाब देंहटाएंमेरे पास तो आपके लिए शुभकामनायें हैं !
स्वस्थ रहें!
शुक्रिया साब |
हटाएंआपको मेरी शुभकामनायें! ईश्वर आपकी हर इच्छा पूरी करे!
जवाब देंहटाएंसब समझेंगे कि अनुभव का मारा है
जवाब देंहटाएंक्या जाने कि कवि अभी तक कुंवारा है
भविष्य के लिए आशीर्वाद की जरुरत है
शुभकामनायें !!
हा हा हा .... बहुत खूब माँ.... आप भी सही टांग खीचें जा रही हैं मेरी :)
हटाएंसुशील सुघढ़ सुन्दर बहु की हसरत है (*_*)
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जवाब देंहटाएंतुषार राज जी ,यदि कुवांरा हो ,अपने मिसन पर ध्यान दो ,लोंन जरुर लो ,हमारी शुभकामनाएं
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bahut sundar Hasya. Tushar ji maine pahle se hi aapka blog join kiya hua hai.
जवाब देंहटाएंसब समझेंगे कि अनुभव का मारा है
जवाब देंहटाएंक्या जाने कि कवि अभी तक कुंवारा है
भविष्य के लिए आशीर्वाद की जरुरत है
सुशील,सुघढ़,सुन्दर बहु की मेरी हसरत है .... (*_*)
शुभकामनायें !!
सुघढ़ = पूरी तल्लीनता से करती है अपने सारे काम ...
आप की कविता,"कभी-कभी मेरे दिल में ख्याल आता है"को पढ़ा मजा आ गया!क्या खूब लिखते हैं आप? जितनी भी तारीफ की जाये कम है।
जवाब देंहटाएंविन्नी
bada accha khayal aata hai ...
जवाब देंहटाएंहर रंग को आपने बहुत ही सुन्दर शब्दों में पिरोया है, बेहतरीन प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंआप की कविता,"कभी-कभी मेरे दिल में ख्याल आता है"को पढ़ा मजा आ गया!क्या खूब लिखते हैं आप? जितनी भी तारीफ की जाये कम है।
जवाब देंहटाएंविन्नी
लगे रहो प्यारे ... ;)
जवाब देंहटाएंआज की ब्लॉग बुलेटिन 'खलनायक' को छोड़ो, असली नायक से मिलो - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
शुक्रिया शिवम् भाई | बस अब तो मैं वापस आ गया | कल से बुलेटिन का हुल्लड़ शुरू |
हटाएंबहुत बहुत धन्यवाद् वंदना आपका |
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंआपके ख्यालात का जवाब नहीं!
जो बीबी की मार नही झेल सकता वो जिंदगी के थपेडे क्या झेलेगा? जिंदगी को ठीक से जीने के लिये आदमी की पीठ को लठ्ठ खाने की रियाज होनी चाहिये.:)
जवाब देंहटाएंपैरोडी जोरदार है.. ख्याल उतना बुरा भी नही है.:)
रामराम.
बहुत खतरनाक ख्याल हो सकता है यह तुषार जी .... अगर बीवी के के कानों में पड जाए तो ... मजेदार प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया।
जवाब देंहटाएंहा हा. मज़ेदार प्रस्तुति.
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