अपने मुस्तकबिल में चाहता हूँ
जान-ए-इस्तिक्बाल में वही
ख़ुदाया सवाब-ए-इश्क़ मिल जाए
इश्क़ से लबरेज़ दिल को मेरे
वो शान-ए-हाल मिल जाए
उनकी मदहोश आंखों में
मेरा खोया ख़्वाब मिल जाए
गुज़रते हुए लम्हातों में
इंतज़ार-ए-सौगात मिल जाए
सरगर्म मोहब्बत को मेरी
ख़ुशनुमा एहसास मिल जाए
अछाईयां जो हैं दामन में मेरे
उनका वो कारदार मिल जाए
आरज़ुओं से तरसती नज़रों को
वो गुल-ए-गुलज़ार मिल जाए
जो हैं ज़िन्दगी से ज्यादा अज़ीज़
वो यार-प्यार-दिलदार मिल जाए
अपने मुस्तकबिल में ढूँढता हूँ
जान-ए-इस्तिक्बाल में वही
ख़ुदाया सवाब-ए-इश्क़ मिल जाए
जान-ए-इस्तिक्बाल - Life of our future
सवाब - Blessing
शान-ए-हाल - Dignity of our present
सरगर्म - Diligent
कारदार - Manager
--- तुषार राज रस्तोगी ---