आज अपने दिल को सज़ा दी मैंने
पुरानी हर याद-बात भुला दी मैंने
बातें जिनपर वो खिलखिलाती थी
ज़हन से अल्फ़ाज़ मिटा दिए मैंने
बीता हर पल दफ़न कर दिया मैंने
गुलदस्ता यादों का जला दिया मैंने
दिल ये फिर खाख से आबाद हुआ
आतिश-ए-दिल को जला दिया मैंने
यादों की मज़ार पर फिर आई थी वो
मुंह फेर अजनबी उसे बना दिया मैंने
रिश्ता कोई नहीं दरमियां बाक़ी 'निर्जन'
एक नया रिश्ता ख़ुशी से बना लिया मैंने
--- तुषार राज रस्तोगी ---