लगता है मोहब्बत होने लगी है
ज़िन्दगी ये उनकी होने लगी है
चलते हैं साथ जिस रहगुज़र पर
जानिब-ए-गुलिस्ताँ होने लगी है
गुल-ऐ-विसाल है मुस्कान उनकी
उफ़! जादा-ए-हस्ती होने लगी है
इश्क़ में उनके असीर हो गया हूँ
तौबा नज़र भी उनकी होने लगी है
ख्वाबों में ही चाहे नींद मेरी अब
आगोश में उनके सोने लगी है
'निर्जन' है साहिल मंजिल वही है
ख़ुशबू में उनकी रूह खोने लगी है
लगता है मोहब्बत होने लगी है...
रहगुज़र - पथ
जानिब-ए-गुलिस्ताँ - गुलाबों के बगीचे की तरफ़
गुल-ऐ-विसाल - मिलन के फूल
जादा-ए-हस्ती - ज़िन्दगी की राह
असीर - बन्दी
आग़ोश - आलिंगन
#तुषाररस्तोगी