हर सुबह
सोकर उठता हूँ मैं
करवट लेकर
तुम्हारा मुस्काता
चेहरा देखता हूँ
हर समय
लब चूमता हूँ मैं
आँखें बंद कर
तुम्हे अपने पास
बाहों में ढूँढता हूँ
हर पल
याद करता हूँ मैं
इस इश्क़ को
कितने जतन से
संजोये रखता हूँ
हर लम्हा
महसूस करता हूँ मैं
तुम्हारी आँखें को
भीतर गहराई तक
इरादे जानता हूँ
हर जन्म
चाहता हूँ मैं
सिमटी रहो तुम
बाहों में 'निर्जन'
रब से मांगता हूँ
--- तुषार राज रस्तोगी ---