ज़िन्दगी रो रो के बसर हो ये ज़रूरी तो नहीं
आह का दिल पे असर हो ये ज़रूरी तो नहीं
नींद बेपरवाह हो काँटों पर भी आ सकती है
मख़मली आग़ोश हो हासिल ये ज़रूरी तो नहीं
ज़िन्दगी को खेल से ज्यादा कुछ समझा ही नहीं
हर ग़म को मरहम मिल जाए ये ज़रूरी तो नहीं
मैं दुआओं में रब से क्यों मांगू उसको हर रोज़
वो मेरी थी, है औ सदा रहेगी ये ज़रूरी तो नहीं
मेरी दुनिया में बस उसकी ही कमी है 'निर्जन'
परवाह उसको भी मेरी हो ये ज़रूरी तो नहीं
--- तुषार राज रस्तोगी ---