कुछ धुंधली सी तेरी यादें
कुछ पल साथ गुज़ारे जो
कुछ भूली बिसरी सी रातें
कुछ मीठी मीठी थीं बातें
कुछ गीत साथ में थे गाते
कुछ शिकवे थे हमने बाटें
कुछ खटपट थीं तेरी मेरी
कुछ नाज़ुक थे अपने वादे
कुछ आँखों में गुज़रीं रातें
कुछ नयनो की खुमारी वो
कुछ अदाएं मोहक प्यारी वो
कुछ सीने से गिरता आँचल
कुछ मदहोशी बिखरी हर पल
इन सबको साथ समेट के मैं
लहरों में स्वाह कर आया हूँ
इस मौनी मावश को "निर्जन"
दिल का विसर्जन कर आया हूँ
एक रूमानी अच्छी कविता |अच्छा प्रयास
जवाब देंहटाएंसुन्दर रूमानी सी रचना ..खासतौर पे ये पंक्तिया कुछ खटपट थीं तेरी मेरी
जवाब देंहटाएंकुछ नाज़ुक थे अपने वादे मुझे बहुत पसंद आई :-)
amazing poem ..
जवाब देंहटाएंआप सभी का धन्यवाद्|
जवाब देंहटाएंwaah !! Tushar lazwaab
जवाब देंहटाएंगौर कीजिएगा....
गुज़ारिश : ''........तुम बदल गये हो..........''
बेहतरीन..
जवाब देंहटाएंसुप्रभात,बेहतरीन प्रस्तुती।
जवाब देंहटाएंआप सभी मेहरबानो का तहे दिल से शुक्रिया |
जवाब देंहटाएंबढ़िया प्रस्तुति ।
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