रविवार, फ़रवरी 10, 2013

दिल का विसर्जन हो गया

कुछ संजोये लम्हात मेरे
कुछ धुंधली सी तेरी यादें
कुछ पल साथ गुज़ारे जो
कुछ भूली बिसरी सी रातें
कुछ मीठी मीठी थीं बातें
कुछ गीत साथ में थे गाते
कुछ शिकवे थे हमने बाटें 
कुछ खटपट थीं तेरी मेरी
कुछ नाज़ुक थे अपने वादे
कुछ आँखों में गुज़रीं रातें 
कुछ नयनो की खुमारी वो
कुछ अदाएं मोहक प्यारी वो
कुछ सीने से गिरता आँचल
कुछ मदहोशी बिखरी हर पल
इन सबको साथ समेट के मैं
लहरों में स्वाह  कर आया हूँ
इस मौनी मावश को "निर्जन"
दिल का विसर्जन कर आया हूँ

9 टिप्‍पणियां:

  1. एक रूमानी अच्छी कविता |अच्छा प्रयास

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  2. सुन्दर रूमानी सी रचना ..खासतौर पे ये पंक्तिया कुछ खटपट थीं तेरी मेरी
    कुछ नाज़ुक थे अपने वादे मुझे बहुत पसंद आई :-)

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  3. सुप्रभात,बेहतरीन प्रस्तुती।

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  4. आप सभी मेहरबानो का तहे दिल से शुक्रिया |

    जवाब देंहटाएं

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