लेखन सफल हो जायेगा, जो फ़ोल्लोवेर मिल जाएँ
जो फोल्लोवेर मिल जाएँ, सोचता रहता है 'निर्जन'
करता इंतज़ार, कब आयेंगे श्रोतागण
लो श्रोता भी आ गए, चक्कर काटें रोज़
सूना फिर भी पेज है, बिन मीठे का भोज
बिन मीठे का भोज, बता देता है 'निर्जन'
आए तो टिपण्णी करें, जो बन जाये बंधन
प्रेम आपका देख, लिख डालीं कविताएँ
अब आगे क्या और कहूँ, मन में हैं दुविधाएँ
मन में हैं दुविधाएँ, लिखता रहता है 'निर्जन'
बस खुश हो जाएँ, मिले सबसे अपना मन
ब्लॉग प्रमोशन हेतु ही, फेसबुक पेज बनाए
कुछ मित्र नए हैं ऐड किये, के अनुकम्पा मिल जाए
के अनुकम्पा मिल जाए, विनती करता है 'निर्जन'
ब्लॉग पसंद जो आए, लाइक भी कीजिए रघुनन्दन
जन मानस दिल पैठ को, अग्रीगेटर जाएँ
अनगिनत अग्रीगेटर पर, ब्लॉग रजिस्टर करवाएँ
ब्लॉग रजिस्टर करवाएँ, दिखता भी है 'निर्जन'
ब्लॉग जाग्रति हेतु ही, बैज चिपकाते है त्रिभुवन
सर्च इंजन सबमिशन है, सबसे ज़रूरी काम
चलाना है ब्लॉग अगर, और कमाना है नाम
और कमाना है नाम, जुगाड़ करता है 'निर्जन'
नित नए विजेट और कोड, अपडेट करता है हर पल
गूगल सर्किल से जोड़ कर, मेसेज करने का रूल
पढ़वाकर अपनी पोस्ट को, प्रशंसा करो वसूल
प्रशंसा करो वसूल, यही तरीका है 'निर्जन'
जो न माने प्यार से, पढ़वाओ जबरन
लिखते हो गर आप भी, ना आएगा काम
पोएम, स्टोरी, आर्टिकल, सब है एक सामान
सब है एक सामान, पते की बात है 'निर्जन'
बेचना है गर मॉल, मार्केटिंग चलेगी स्पेशल
सुनकर गुरुजन वाणी को, फ़ैसला 'निर्जन' लेत
कर्म सदा तू किये जा, मत तू हिम्मत टेक
मत तू हिम्मत टेक, पायेगा तू भी सफ़लता
होगी वाहवाही, भाग जाएगी विफ़लता
खेमेबाजी चरम पर, तगड़ा तम्बू खोज ।
जवाब देंहटाएंरविकर से दूरी बना, आ जाता है रोज ।
आ जाता है रोज, नहीं दस टिप्पण पाता ।
कर नौ सौ अनुसरण, समर्थक सौ पहुँचाता ।
या तो चिंता छोड़, रचे रविकर ज्यों रचना ।
स्वान्त: रचो सुखाय, लालसा से तू बचना ।।
ताऊ की कर बन्दगी, चाची चरणस्पर्श |
जवाब देंहटाएंगुरुओं की पूजा करा, कई वर्ष दर वर्ष |
कई वर्ष दर वर्ष, हर्ष के दिन आयेंगे |
फोलोवर सैकड़ों, टिप्पणी दे जायेंगे |
घूम-घाम कर देख, रविकर बड़ा पकाऊ |
राम राम श्रीमान, ढूँढ़ लो चाची ताऊ ||
बहुत सुन्दर कुण्डलियाँ ,हम आ गए ,आपभी फलो करे ,आभार !
जवाब देंहटाएंlatest postअनुभूति : प्रेम,विरह,ईर्षा
प्रसादजी मैं तो सभी को फॉलो करता हूँ | पोस्ट पर टिपण्णी के लिए शुक्रिया | कृपया आप भी अनुसरण करें और ब्लॉग प्रसंशक बने | आभार |
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर भावनात्मक प्रस्तुति नारी खड़ी बाज़ार में -बेच रही है देह ! संवैधानिक मर्यादा का पालन करें कैग
जवाब देंहटाएंयहा आना अच्छा लगा।
जवाब देंहटाएंखूब रंग जमा रहे हो भैया पर इतनी अरज हमारी भी सुन लो --
जवाब देंहटाएंभाई उतना लीखिए जो बहना पढ़ पाये
तुम नित् लिख - लिख इतराओ ...
और वो पढ़त पढ़त थक जाये ;)
हा हा हा ...
क्या खूब लिखा है तुषार जी ..हास्य रस है जरुर मगर हास्य नहीं है कुछ यही सच्चाई है जो आपने लिखा ...आज की दुनिया में जो दीखता है वही बिकता है ..कहानी कविता article कुछ भी हो मार्केटिंग सबसे ज्यादा जरुरी है ....और आप इस कार्य में काफी सफल भी हैं बधाई :-)
जवाब देंहटाएंbahut khoob
जवाब देंहटाएंवाह क्या बात है? बहुत सही लिखा। रविकर जी की टिप्पणी भी ध्यान देने योग्य है।
जवाब देंहटाएंमैं भी तलाश में हूं कि लोगों की अनुकम्पा हो।
शायद यहां लोग नए चेहरों को ज्यादा तवज्जो नहीं देना चाहते। कुछ गुटबाजी भी कहीं कहीं झलकती हैं। दमघोंटू साहित्य को ढेरों टिप्पणियां मिल रही हैं।
बढ़िया टिप्स दिए हैं इस धंधे के ..
जवाब देंहटाएंरविकर जी का आशीर्वाद ध्यान में रखें ..जल्दी नाम कमाओगे !
:)
शुभकामनायें !
कर्म किये जाइये - फल मिलेगा जरूर !
जवाब देंहटाएंसच्चाई को निगलती व्यंग | बधाई |
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया लगे रहिये ..कभी न कभी सबकी पूछ होती है ..
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया रचना बन पड़ी हैं ..
३६ का आंकड़ा बुरा समझते हैं कुछ लोग लेकिन मैं नहीं मानती इसे बुरा ...फॉलोवर ३६ के रूप में ..
जवाब देंहटाएंकविता जी ३ और ६ मेरे पसंदीदा अंक हैं :)
जवाब देंहटाएंहाय, टिप्पणी व्यथा बन गई
जवाब देंहटाएंब्लॉग जगत में जबसे आया
कुछ न कुछ लिखता ही आया
मन आनन्दित हो जाता है,जब कोई टिप्पणी मिल गई
हाय टिप्पणी व्यथा बन गई
कविता,गीत,लेख,लिख पाता
सौ-सौ बार ब्लॉग पर जाता
एक टिप्पणी ढूढ़ रहा हूँ ,गैरो की दस बीस हों गई
हाय ,टिप्पणी व्यथा बन गई
जिन ब्लागों पर मै हूँ जाता
और टिप्पणी करके आता
गणना उनकी करता रहता ,बीस किया उन्नीस मिल गई
हाय, टिप्पणी व्यथा बन गई
(विक्रम जी की रचना)
फॉलोअर और टिप्पणियों की चिंता नहीं कीजिये और यह मत भूलिये कि इसके बिना भी आपकी पोस्ट्स को दुनिया के किसी न किसी कोने से पढ़ा जा रहा होता है।
जवाब देंहटाएंइसलिए बस लिखते रहिए, फॉलोअर्स और टिप्पणियों की संख्या पर मत जाइए।
सादर
आपने तो सफल होने के सारे गुर सिखा दिए ...:)
जवाब देंहटाएंभाई यशवंत - मुझे न तो फोल्लोवेर और न ही टिप्पणियों का लोभ है | ये तो एक रीत थी जो मैंने बयां की है दूसरों को देख देख कर | ये हर ब्लॉगर के मन की पीड़ा और व्यथा है |
जवाब देंहटाएंअपने तो मलंग है भाई
अकेले आए थे,
अकेले जायेंगे,
क्या साथ लाये थे,
क्या ले जायेंगे,
टिपण्णी और फोल्लोवेर
कितने भी हों
सब यहीं धरे रह जायेंगे :)
बाकि जिन भी गुरुजनों और दुसरे सहभागी ब्लोग्गेर्स ने यहाँ टिपण्णी की है उनका बहुत बहुत आभार और धन्यवाद् | प्रणाम |
लो जी स्नेह बरसाने हम भी आ ही गए :)
जवाब देंहटाएंबढ़िया ...