अहमकाना हरकतों का
दम भरते हैं अपने झूठे
अहंकार के ऊँचे पर्वतों का
गुरूर करते हैं वो आज
चाँद कागज़ के पर्चों का
जहाँ आज वो खड़े हैं
वहां वक़्त मुझको भी
एक दिन ले जायेगा
जब किस्मत बदलेगी मेरी
वक़्त उनको बतलायेगा
हैं वो भी फ़कत इंसान ही
कोई ख़ुदा तो नहीं
दुआ करता है 'निर्जन'
हर क्षण
जल्द ही गॉड का भी
मूड बदल जायेगा
bahut khub God ka bhi mood badal jayega
जवाब देंहटाएंभावपूर्ण उम्दा अभिव्यक्ति,,,,
जवाब देंहटाएंRECENT POST... नवगीत,
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जवाब देंहटाएंhttp://ehsaasmere.blogspot.in/2013/02/blog-post_11.html