गूँज सुनाई दी हाय राम
पहले हुआ धमाका आम
फिर जोर के फटा भड़ाम
धुएं का जब छटा बादल
तो बह निकला सारा काजल
लहू की मनका जो बहती
नीचे धरती को है छूती
कितने ही मूर्छित हुए
कितने हो गए मूक
कितने बधिर हो गए
कितने कर गए कूच
मृत्यु का हाहाकार मचा
यमराज ने कैसा वार रचा
हर एक धमाका था कैसा
आया पृथ्वी पर भूचाल जैसा
मानवता फिर से हार गई
भारत माँ शर्मसार हुई
कब तक रहेगा हाल यही
अब कौन करेगा अपने
देश के बिगड़ते हाल सही
भाई साहब इसमें शिंदे साहब का कोई कुसूर नहीं है .वह कहते हैं हमने तो एडवाइजरी ज़ारी कर दी थी .आतंकियों ने फिर भी विस्फोट कर दिया .
जवाब देंहटाएंजी हुज़ूर इसमें किसी का कोई कुसूर नहीं है | कुसूर तो आम जनता का है जो यह सब सहती है, झेलती है, जान पर खेलती है और फिर भी चुप रहती है | बेअकल जो है बेचारी | बम फटा तो शिंदे साहब नहीं उड़े बेचारी जनता उड़ गई | उन्होंने तो एडवाइज़री ज़ारी कर दी थी के मैं तो तो बचा हुआ हूँ तुम लोग अपनी देखो |
हटाएंउफ़-
जवाब देंहटाएंभावनात्मक प्रस्तुतिसही आज़ादी की इनमे थोड़ी अक्ल भर दे . आप भी जानें हमारे संविधान के अनुसार कैग [विनोद राय] मुख्य निर्वाचन आयुक्त [टी.एन.शेषन] नहीं हो सकते
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