मंगलवार, जनवरी 29, 2013

याद तेरी दिलाते हैं

गीली घास पर चलना
नंगे पावों फिरना
घंटो बातें करना
हर एक बात पे लड़ना 
याद तेरी दिलाते हैं

पराठों पर मक्खन डलना  
आइसक्रीम का मिलना
गर्म चाय की प्याली से
पपड़ाए होठों का जलना
याद तेरी दिलाते हैं

किताबों की मचानें
कुछ भूले बिसरे से गाने
नए नए स्वादिष्ट खाने
बाक़ी सब कुछ बेमाने
याद तेरी दिलाते हैं

जीवन से तमगे पाना
चेहरे का खिलखिलाना
बालक का मुस्कराना
अपनों से दर्द छिपाना 
याद तेरी दिलाते हैं

हाथों में थामे हाथ
अमर बेला का वो साथ
निर्भर एक दूजे पर हम 
आँखों से बहते ग़म
याद तेरी दिलाते हैं

शाम का मध्यम सूरज 
अर्श पर छनती चांदनी
गमलों में नन्ही कोपलें 
सन्नाटे की रागनी
याद तेरी दिलाते हैं

हुज़ूमि दुनिया की भीड़
सियाह रात सी तस्वीर
जुगनू से टिम टिम तारे
चमकते नैन कजरारे
याद तेरी दिलाते हैं

शमां की महक
झींगुरों की चहक
इश्क़िया दहक 
ख़ुदाया रहक
याद तेरी दिलाते हैं

भूरिया सर्द पत्तियाँ
कुरकुरी हवा की मस्तियाँ
इस कविता की पंक्तियाँ
शाम-ए-जीवन की झलकियाँ
याद तेरी दिलाते हैं
याद तेरी दिलाते हैं

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