मैं
क्या है ?
क्या कोई जानता है ?
मैं बकरी भी करती है
वो क्या है
ये भी कोई पूर्ण रूप से
नहीं जानता
न तो, वो
गाय की तुलना में
आती है
न ही आती भैंस में
फिर क्या श्रेष्ठता है ?
जो स्वयं
मैं, मैं करती है
क्यों करती है
एक स्त्री भी
अहं में
कहती है
क्या है
उससे जानने के लिए
अपने आप में
खो जाता हूँ
एक पत्नी
एक माँ
एक बहु
एक स्त्री
सिर्फ सेवा करना
सभी की
निस्वार्थ सेवा
मैं और मेरे में
सभी तो अपने है
फिर हर स्त्री
को रिश्तों से बांध कर
क्यों लक्ष्मण रेखा में
छोड़ दिया जाता है
एक माला की तरह
क्या वो, मानव सेवा
सिर्फ मानव सेवा में
समर्पित नहीं
हो सकती
जहाँ बकरी का स्वर भी
उसका दर्द भी
लुप्त हो जायेगा
कसाई से उसे भी
उसे भी तो
मुक्ति मिलेगी ।
क्या है ?
क्या कोई जानता है ?
मैं बकरी भी करती है
वो क्या है
ये भी कोई पूर्ण रूप से
नहीं जानता
न तो, वो
गाय की तुलना में
आती है
न ही आती भैंस में
फिर क्या श्रेष्ठता है ?
जो स्वयं
मैं, मैं करती है
क्यों करती है
एक स्त्री भी
अहं में
कहती है
क्या है
उससे जानने के लिए
अपने आप में
खो जाता हूँ
एक पत्नी
एक माँ
एक बहु
एक स्त्री
सिर्फ सेवा करना
सभी की
निस्वार्थ सेवा
मैं और मेरे में
सभी तो अपने है
फिर हर स्त्री
को रिश्तों से बांध कर
क्यों लक्ष्मण रेखा में
छोड़ दिया जाता है
एक माला की तरह
क्या वो, मानव सेवा
सिर्फ मानव सेवा में
समर्पित नहीं
हो सकती
जहाँ बकरी का स्वर भी
उसका दर्द भी
लुप्त हो जायेगा
कसाई से उसे भी
उसे भी तो
मुक्ति मिलेगी ।
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