गुरुवार, जनवरी 31, 2013

नीति - भाग २

रस्ते भर दीपक नीति की टांग खींचता रहा | और नीति उसे लातें, घूंसे और गलियां देती रही | और वो हँसता रहा | गज़ब की अंडरस्टैंडिंग थी दोनों में और गज़ब का प्रेम भी | आज तो सगे रिश्तों में भी ऐसी भावना और प्यार देखने को नसीब न हो | प्रताप, दीपक को  बेहद पसंद आया था | वो भी यही चाहता था के नीति को ऐसा ही जीवन साथी मिले | घर वापस पहुंचकर दीपक ने पुछा,

"आगे क्या इरादा है ? सीरियस है या टाइम पास कर रही है?"

नीति सोच में पड़ गई | उसने दीपक से ऐसे संजीदा सवाल की उम्मीद नहीं की थी | उसने खुद भी अभी तक इसके बारे में नहीं सोचा था | दीपक उसके चेहरे के आवभाव से समझ गया था के ये खुद भी अभी तक कन्फ्यूज्ड है | नहीं जानती आगे क्या करना है | उसने सिर्फ इतना ही कहा के, "अब सीरियस हो जा, मजाक का समय गया |" और इतना कह कर वो चला गया |

नीति सारी रात इस बारे में सोचती रही | पर घरवालों को बताने की उसमें ज़रा भी हिम्मत न थी | समाज से पहले उसे घर वालों से डर था | दूसरी बिरादरी का लड़का | पापा तो बिलकुल नहीं मानने वाले | उसे भली भांति ज्ञात था के पापा हार्ट पेशेंट हैं | अगर ये बात सुनकर कुछ उंच नीच हो गई तो मैं सारी ज़िन्दगी अपने आप को माफ़ नहीं कर पाएगी | इसी जद्दोजहद में पता नहीं कब सुबह हो गई पता ही न चला |

अब दिन रात उसे यही फ़िक्र लगी रहती के वो क्या करे | प्रताप से भी मिलती तो थी, दिल तो उसके पास रहता पर दिमाग इसी उधेड़बुन में लगा रहता | एक दिन हिम्मत कर के उसने प्रताप से पूछ ही लिया |

"प्रताप, हम शादी कब करेंगे ?"

प्रताप भी उसके इस सवाल से हैरान रह गया | उसने इस सवाल की उम्मीद इतनी जल्दी नहीं की थी | वो ख़ामोश रहा और कुछ नहीं बोला | दोनों की ख़ामोशी बहुत कुछ कह रही थी पर दोनों मजबूर भी थे, के क्या जवाब दें एक दुसरे को |

दिन बीतते गए  | नीति का कॉलेज भी खत्म होने को था | फाइनल इम्तिहान चल रहे थे और ज़िन्दगी की परीक्षा के लिए भी वो तयार हो रही थी | कॉलेज का आखरी दिन था | वो और प्रताप लंच टाइम पर मिले | करने को बहुत सी बातें थी पर कुछ ऐसा था भी नहीं जिस पर बात करें  | काफी देर तक दोनों खामोश बैठे एक दुसरे का चेहरा तांकते रहे |

यकायक नीति बोली, "मैं चलूँ" |

प्रताप ने चुप्पी तोड़ी और कहा, "मेरे हालत ऐसे नहीं है के अभी शादी के बारे में सोच सकूँ | पिताजी भी बचपन में ही छोड़ कर चले गए थे | अभी तो बहुत कुछ करना है | घर की जिम्मेदारियां भी पूरी करनी हैं | भाई बहनों का भी सोचना है | अभी अपने बारे में नहीं सोच सकता |"

प्रताप की ये बात तीर के जैसे नीति के दिल को अन्दर तक भेद गई | नीति की आँखों में आंसू थम नहीं पाए | फिर भी कोशिश करते हुए रुंधे गले से बोली,

"आई कैन अंडरस्टैंड, चलती हूँ |"

बस वही थी उसकी प्रताप से आखरी मुलाक़ात | कुछ समय बाद नीति के परिवार वालों ने एक लड़का देखकर उसका रिश्ता पक्का कर दिया | लड़का छोटे शहर का था पर पढ़ा लिखा था | नीति के पिता और लड़के के पिता दोस्त थे | नीति को उन्होंने मुंह से माँगा था | लड़के का नाम था रंजीत | नीति ने भी दिल पक्का कर लिया था और शादी के लिए राज़ी हो गई थी |

कुछ दिवस उपरान्त एक अच्छा दिन देख कर दोनों की सगाई कर दी गई | उस दिन आखरी बार प्रताप का फ़ोन नीति के पास आया था |

उसने फ़ोन पर सिर्फ एक ही सवाल किया था, "आर यू एन्ग्गेजड?"

नीति रिसीवर पकडे खामोश खड़ी रही और उसकी ख़ामोशी ने हर सवाल के जवाब दे दिए |

दिवस बीते और नीति की शादी का दिन आ गया | ख़ुशी  से ज्यादा उसके दिल में दर्द था | हालाँकि वो रंजीत से काफी बार मिल चुकी थी | दोनों साथ घूमने फिरने भी जा चुके थे | किन्तु वो दिल का रिश्ता अभी भी नहीं जोड़ पाई थी | इस कमबख्त़ दिल का क्या करती जो हर समय बस प्रताप के बारे में ही सोचता रहता था | इस एक रात के बाद उसकी ज़िन्दगी पूरी तरह से बदलने वाली थी | वो प्रताप से बहुत दूर जाने वाली थी | क्या उसने शादी के लिए हाँ करके सही किया था ? आगे क्या होगा ? क्या वो प्रताप को भुला पायेगी ? क्या प्रताप उसे भुला पायेगा ? शादी के बाद वो रंजीत के साथ खुश रहेगी? क्या रणजीत एक अच्छा पति साबित होगा? क्या रंजीत को प्रताप के बारे में बताना ठीक होगा? क्या वो इस बात को स्वीकार कर पायेगा?  इन्ही सब सवाल जवाब और ज़िन्दगी की उलझनों के बीच उसने रंजीत के साथ सात फेरे तो पूरे कर लिए और सो कॉल्ड शादी भी हो गई |

बिदाई हो गई | गाडी सुसराल पहुँच गई | सुसराल के दरवाज़े पर देहलीज़ पार करने को खड़ी वो अभी भी इन्ही सब सवालों से झूझ रही थी | क्रमशः

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All the characters, incidents and places in this blog stories are totally fictitious. Resemblance to any person living or dead or any incident or place is purely coincidental.

1 टिप्पणी:

  1. बहुत खूब चरित्र - चित्रण किया है ....रोचक कथा एवं पात्र ...!

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