दिल्ली की एक मस्त शाम । महरौली का इलाका । मौसम-ए-बरसात चल रहा था | माध्यम बारिश की फुहार पड़ रही थी | सारा आसमान हलके संतरी रंग से सराबोर हो रहा था | सूरज अपनी काली रॉयल एनफ़ील्ड बुलेट से उतरा और सड़क पार कर के फूटपाथ पर जाकर खड़ा हो गया | सामने वाली बिल्डिंग पर लगे शीशे की तरफ नज़रे गडा दीं | फिर इधर उधर का मुआएना करने के बाद अन्दर झाँकने लगा | अब तो उसके लिए ये रोज़ का रूटीन बन गया था | रोजाना शाम को आना और उसे उन सफ़ेद शफाक कपड़ों में नाचते हुए देखना |
बस एक वही थी जो इस भीड़ भरी दुनिया में उसकी नज़रों में समां गई थी | वही थी जिसे वो बेहद पसंद करने लगा था | जिसने उसके बेज़ार दिल को धड़कने पर मजबूर कर दिया था | जिसकी एक झलक से वो मंत्रमुग्ध हो जाता और उसके चेहरे पर एक हलकी से मुस्कराहट आ जाती थी | उसको डांस स्कूल में नाचते देखना ऐसा लगता मानो कोई मोर बारिश में थिरक रहा हो | दूसरी नर्तकियों बीच वो ऐसे लगती जैसे सूरज के इर्द गिर्द चाँद और तारे | उसका हर एक भाव और भंगिमा ऐसे प्रतीत होती थी जैसे आकाश में हवा में कोई पंख धीरे धीरे लहरा रहा हो और हिचकोले लेता इधर उधर डोल रहा हो | किरन उसके लिए आसमां थी और उसकी घरती भी | उसकी झलक पाते ही उसका दिन बन जाया करता था | उसका समस्त जीवन उस एक पल थम जाया करता था |
किरन हर लिहाज़ से बेहद खूबसूरत थी | बेहतरीन सुन्दरता | अदभुत कलापूर्ण व्यक्तित्व | ऊँचा लम्बा कद, सुडौल गठीला बदन, तीखे नयन नक्षक | लम्बे काले घने नागिन जैसे बाल | गहरी और मोहित कर देने वाली भूरी आँखें | बनानेवाले की बेजोड़ कलाकृति की मिसाल थी वो | देखने में एक दम गोरी फिरंग लगती थी पर थी सौ प्रतिशत हिन्दुस्तानी |
संभवतः वो भी अपनी ज़िन्दगी में किसी ख़ास व्यक्ति का इंतज़ार कर रही थी | और सूरज बहार खड़ा यही सोच रहा था के काश वो खुशकिस्मत इंसान वो हो |
संगीत शुरू हुआ, और उसने बड़े ही मनमोहक तरह से नाचना आरम्भ किया | डांस फ्लोर पर उसके शांतचित्त, उसकी प्रतिभा, उसके आकर्षण और उसके बला के जलवे को देख कोई भी अचंभित क्यों न हो जाये | वो दूसरी डांसर्स से एक दम अलग थी | सबसे जुदा | किरन का आत्मविश्वास, उसकी मनोहरता, उसके लुभावने अंदाज़, उसकी जिंदादिली और उसकी नैसर्गिक सुन्दरता के अभिलक्षण उसके नृत्य के हर कदम में उसके इख़्तियार की झलक दिखला रहे थे |
सूरज की आँखें लगातार उसका और उसकी हर एक गतिविधि का क्रमवीक्षण कर रही थीं | कुछ घंटों के लिए उसकी ज़िन्दगी इतनी खूबसूरत जो हो गई थी | शीशे से चिकने और चमकते डांस फ्लोर पर किरन का अक्स साफ़ नज़र आ रहा था | उसके लम्बे काले बालों की गुथी हुई चोटी और सफ़ेद ड्रेस में उसकी विशिष्टता और निखर कर आ रही थी |
सूरज उसकी तरफ नज़रे जमाये चुपचाप खड़े सोच रहा था के काश मैं इस भीड़ के बीच से रास्ता बनाकर किरन तक पहुँच सकता | और उसका हाथ थाम कर उसके साथ कुछ पल बिता सकता । तभी अचानक से संगीत बजना बंद हो गया | डांस खत्म हो गया था | किरन धीरे से आगे बढ़ी तौलिया उठा कर पसीना पोंछती हुई डांस फ्लोर पार कर के सीधा मुख्य द्वार पर आकर रुक गई | उसके रुकते ही ऐसा लगा मानो बसंत आ गया हो | उसने हाथ बढाकर दरवाज़े का हैंडल पकड़कर दरवाज़ा खोला | हाथ आगे बढाकर हथेली बहार निकाल कर देखा | बारिश अभी भी बरस रही थी | सूरज मन्त्र मुग्ध खड़ा उसकी ओर तंकता रहा | अचानक उससे लगा की उसकी नज़रें सीधा उसे ही देख रही हैं | दिल रेल के इंजन सा भक भक करने लगा | पैर जड़ हो गए । होश के होते उड़ गए । गला खुश्क हो गया । तलवों तले ज़मीन खिसक गई | सोचने लगा के अपने एहसास उसके सामने कैसे बयाँ करूँगा ?
तभी फिर से संगीत बजना शुरू हो गया और जो लोग अन्दर थे वो एक बार फिर से शुरू हो गए | किरन ने उसकी तरफ़ मुड़कर देखा और पास आकर बोली
"आप मेरे साथ डांस नहीं करेंगे ?"
सूरज शुतुरमुर्ग की तरह खड़ा भौंचक्का सा किरन की आँखों में देखता रह गया | उसके संगुप्त शब्द उसके दिल की गहराईयों में ही दबे रह गए |
"जिसकी रमणीयता, मनमोहक और अतुलनीय थी और जिसके आज तक वो सपने ही देखा करता था, उसके साथ नाचना, अत्यंत आनंदप्रद और सम्मान की बात थी |"
धीरे से लड़खड़ाती जुबान से शब्द बहार आये | अब तक जो सिर्फ सोच रहा था आज वो बोल दिया गया था | किरन सर झुकाकर मुस्कराई और चमकदर चेहरा लाल हो गया | सूरज घुटनों पर बैठ गया, सर झुका कर धीरे से हाथ आगे बढ़ा दिया | फिर दोनों बारिश में साथ नाचने लगे |
वो सोच रहा था के ये सच नहीं हो सकता | जो भी हो रहा है एक सपना है | पर सच वही था के ये लम्हा उसके जीवन में आ गया था, वो उस लम्हे को जी रहा था | वो नहीं चाहता था के ये खत्म हो | ये साथ कभी न छूटे | ये डांस यूँ ही चलता रहे | उसे अब किसी और चीज़ की कोई परवाह नहीं थी |
बारिश की बूंदों का संगीत सुना जा सकता था | रिमझिम बूँदें धरती पर गिरकर जलतरंग बजा रही थीं | जैसे जैसे बारिश तेज़ हो रही थी वैसे वैसे उनके नाच की लय भी बढ़ रही थी | उसने आगे बढ़कर धीरे से अपने गालों को सूरज के गालों के पास लाकर कान में कुछ फुसफुसाया | उसके सुन्दर चेहरे पर कृतज्ञता और करुणा से भरे भाव थे |
वो दोनों पुर्णतः जीवंत थे, परिपूर्ण थे और आनन्दित थे | चाँद मुंह झुकाए उसके काले बालों की भीगी लटों को निहार रहा था | बरसात का पानी भी उनके क़दमों की हरकतों को पहचान रहा था | बारिश के पानी में और उस पर पड़ते उसके क़दमों में तालमेल था | उसके पैरों से पानी की छपछपाहट भी छनछनाहट सी सुनाई दे रही थी | उसकी पैनी नज़रों में गज़ब की चमक थी और फिर वो ख़ुशी के मारे जोर से हंस पड़ी |
उसकी हंसी से चाँद की चमक और ज्यादा बढ़ गई | उसके सफ़ेद कपडे पूरी तरह से भीग चुके थे | भीगने के बावजूद भी वो पीछे हटने का नाम नहीं ले रही थी | बेपरवाह बस नाचती रही और सूरज उसका साथ देता गया | फिर वो थोडा पीछे हटी और स्वछंद पंछी की भांति उड़ने लग गई | सूरज की नज़रें हर जगह उसका पीछा कर रहीं थीं इस डर से के कहीं उसका ये सपना टूट न जाए | तभी अचानक वो रुकी, सूरज की ओर मुड़ी और सामने आकर खड़ी हो गई |
उसकी सासें तेज़ बहुत तेज़ चल रही थी | ऐसी आवाज़ लग रही थी जैसे इंजन की चिमनी से धुआं निकल रहा हो | उसके चेहरे पर विश्वास था | नज़रों में निश्चल प्यार था | और दोनों के दिल ख़ुशी के मारे जोर जोर के धड़क रहे थे |
"इतनी देर क्यों लगाई?" उसने धीरे से मुस्कराते हुए पुछा
"माफ़ कीजिये" सूरज ने असमंजस भरे स्वर में जवाब दिया
उसने मोतियों जैसी आँखें मूँद लीं | लम्बा सा सांस लिया | आगे बढ़ी और सूरज के गालों को चूम लिया | उसके होटों का स्पर्श किसी कोमल कलि की भांति नाज़ुक था | फिर उसने सूरज को गले लगा लिया और दोनों कुछ देर के लिए कहीं खो गए |
"मुझे और कितनी देर तुम्हारे डांस के लिए पूछने का इंतज़ार करना चाहियें था?" वो फुसफुसाई
सूरज ने अपना जैकेट उतरा और उसे पहना दिया के कहीं बारिश में उसे ठण्ड न लग जाये | फिर धीरे से उसके माथे को चूमा और उसे गले से लगा लिया | प्यार से उसकी कमर पर हाथ फेरा और फिर उसकी गीली लटों को उँगलियों से सुलझाने लगा |
"मैं मरते दम तक तुम्हारा इंतज़ार करता" सूरज ने जवाब दिया
माहौल में शांति और सुकून का वातावरण बन गया | अब सारी सच्चाई साफ़ हो चुकी थी | दोनो एक दुसरे के चेहरों पर अनुराग के भावों को पढ़ चुके थे | दोनों की आत्माएं एक हो चुकी थीं | दोनों वहीँ खड़े भीगते रहे | दोनों सोच रहे थे, के वो एक दुसरे को हद्द से ज्यादा चाहते हैं और हमेशा चाहते रहेंगे |
यकायक बिजली कौंधी | सन्नाटे की चुप्पी टूट गई | दोनों को एहसास हो गया था, दोनों ही एक दूसरे के कहने का इंतज़ार कर रहे थे |
सूरज ने किरन का हाथ थामा और कहा, "चलें?"
"हाँ", उसने जवाब दिया
और इस तरह सूरज को अपनी सफ़ेद कपड़ों वाली परी, अपने सपनो की रानी मिल गई और दोनों अपनी नई दुनिया की तरफ बढ़ चले |
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place is purely coincidental.
हमें आपको यह बताते हुए प्रसन्नता हो रही है कि ITB की सर्वश्रेष्ठ हिन्दी ब्लॉगों की डाइरैक्टरी में आपका ब्लॉग सम्मिलित किया गया है। हम नयी डायरेक्टरी आज दोपहर तक ज़ारी कर पाएंगे। हमने एक कमेंट के रूप में यह सूचना देने की गुस्ताखी इसलिए की कि आपका ईमेल ID ब्लॉग पर नहीं मिला।
जवाब देंहटाएंशुभकामनाओं सहित,
ITB टीम
main aapka tahedil se shukrguzar hoon ke aapne mera blog apni directory mein sammalit kiya. bahut bhaut dhanyavad.
जवाब देंहटाएंबहुत खूब,,,,,
जवाब देंहटाएंपढ़ते हुए मैं डूबता चला गया ...
शानदार लेखन !
सुन्दर चित्रण...उम्दा प्रस्तुति...बहुत बहुत बधाई...
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद वदन चतुर्वेदी साब
जवाब देंहटाएंदिल के बेहद करीब की रचना
जवाब देंहटाएंक्या सुन्दर शब्द चित्र प्रस्तुत किया है। पाठक पूर्णतः क्ल्पना जगत में गोते लगाने लगता है।
जवाब देंहटाएंविन्नी