मोह में सोया
तड़प के जागा
चला भिखारी तन का
और दीनता ज्यादा क्या है
पीड़ित मन जीवन का
मुक्ति दे दो
भव बंधन से
मुक्ति दे दो
जन्म मरण से
ख्वाहिश है इस मन की
पूर्ण करो हे परमपिता
मैं मांगू हर पल दिल से
दे दो मुक्ति
मुझको तुम अब
इस सारी उलझन से
कृपा करो तुम दीनदयाला
दुःख दूर करो जीवन से
bahut sunder vandnaa ....
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