उस दिन सारी रात आँखों आँखों में ही कट गई | बारिश थम चुकी थी | तूफ़ान आके गुज़र चुका था और नुक्सान भी काफी कर गया था | राम सारी रात वहीँ ठण्ड में बैठा रहा और सोचता रहा के ज़िन्दगी ऐसा मज़ाक उसका साथ ही क्यों कर रही है | हर दफ़ा मैं ही क्यों ? मेरी गलती क्या थी ? और ऐसे कई सवालों के जवाब ढूँढ़ते ढूँढ़ते न जाने कब आँखों आँखों में रात कट गई |
अचानक से सन्नाटा टूटा और एक प्यारी से आवाज़ सुनकर वो चौंक गया | सारा उसकी छोटी बेटी उसके सामने खड़ी थी | उसे देखकर वो मुस्कराया और प्यार से उसके सर पर हाथ फेरा और कहा, "गुड मोर्निंग माई एंजेल, यू वोक उप अर्ली टुडे | क्या हुआ ?"
सारा बोली, ? "पापा स्कूल का टाइम हो गया, जल्दी कहाँ ? जल्दी चलो न वरना लेट हो जायेंगे |"
राम ने तुरंत घडी देखी और ५ मिनट में तयार होकर आ गया | गाडी निकली और सारा को स्कूल छोड़ने चल दिया | रास्ते में सारा ने पुछा,
"पापा, मम्मी कहाँ है ? सोम्य और मम्मी कब वापस आयेंगे ? | आपको मालूम है सोम्य के साथ खेलने में मुझे बहुत अच्छा लगता है | वो मुझे थोडा डांटती तो है और झगड़ा भी करती है पर वो मेरी सबसे अच्छी फ्रेंड भी है | मैं उससे बहुत प्यार भी करती हूँ और वो मेरे से |"
राम के पास उसके मासूम सवालों और बातों का कोई जवाब न था | वो अपने आंसूओं को छुपाये चुप चाप हलकी सी मुस्कान चेहरे पर लिए उसकी ओर देखता और धीरे से सर हिला देता | स्कूल आ गया था | राम ने सारा के माथे पर चूमा और उसे बाय किया और वहां से निकल पड़ा |
अपने घर जाने की बजाये वो सीधा सारिका और सोम्य से मिलने उसके घर पहुँच गया | घंटी बजाई | सारिका के पिताजी ने दरवाज़ा खोला | उनके आव भाव कुछ तुनके हुए थे | वो अन्दर दाखिल हुआ तो पाया सामने सोम्या सोफे पर बैठी है | उसे देखते ही सोम्या मुस्करा दी और पापा पापा कहती उसकी गोद में आ बैठी | अभी २ मिनट भी नहीं गुज़रे थे के सारिका आई और उसे गोद से उठा कर अन्दर ले गई | राम चुप चाप बैठा रहा | उसके कलेजे पर सांप लोट रहे थे | बेटी के होते हुए भी वो उससे मिल नहीं पा रहा था | कुछ नहीं बोला | चुपचाप बैठा रहा और तमाशा देखता रहा | सारिका के पिताजी उसके पास आकर बैठे और कुछ बोलने की चेष्टा करने ही वाले थे , के राम उठ खड़ा हुआ, उसने भरी हुई आँखों से उनकी ओर देखा और प्रणाम कर के वहां से चल दिया | उस समय उसकी बोली से ज्यादा उसकी आँखें बहुत कुछ कह चुकी थी जिसे समझना अब सारिका के पिताजी को था |
राम ऐसा ही था | अपने दिल की बात किसी से ठीक से कभी कह ही नहीं पाता था | ज़्यादातर वो खामोश ही रहता था | रास्ते भर वो गाडी में ख़ामोशी से जगजीत सिंह की ग़ज़ल सुनता रहा | घर आया और फिर से जाके अपने कमरे में चुप चाप बैठ गया | सिगरेट जलाई और इंतज़ार करने लगा के शायद सारिका का फ़ोन आ जाये | सोम्या की दूर होने की वजह से वो और ज्यादा टूट गया था | सोम्या की उन मासूम आँखों को वो भुला नहीं पा रहा था | पापा पापा की आवाज़ अभी भी उसके कानो में गूँज रही थी | बार बार सोचता के कॉल करके अपने दिल की बात कह दूं पर मोबाइल के बटन पर ही उँगलियाँ रुक जातीं | अब उसे सिर्फ उस सर्वशक्ति में ही विश्वास था | हर समय दिल ही दिल में उनसे प्रार्थना करता रहता के उसके ऊपर आए बुरे वक़्त को बर्दाश्त करने की शक्ति उसे अदा फरमाएं और उसके होंसलें पस्त न होने पायें | ऐसे समय में वो अपना संयम कायम रख पाए |
दोपहर हो गई थी | सारा स्कूल से आ गई थी | आते ही उसने फिर से पुछा पापा, "सोम्या नहीं आई ? मैं उससे नाराज़ हो गई | उसने मेरे से बात भी नहीं की कल से | कब आएगी वो?" ऐसे ही वो पूरे दिन अपने आप से बातें करती रहती और राम ख़ामोशी से बैठा चुप चाप हताशा के साथ अपने साथ होती इस नाइंसाफी को देखता और सहता रहता | उसके भरोसे का खून हुआ था | किसी पर इतना विश्वास करने की सज़ा वो आज भुगत रहा था | पर क्यों ये जवाब उससे आज तक नहीं पता था |
ऐसे ही काफी दिन बीत गए | कोई बातचीत नहीं हुई | वो इंतज़ार में था के शायद फ़ोन आएगा पर कोई खबर नहीं आई | अब उसकी बेचैनी बढ़ने लगी थी | हालाँकि सारा उसके पास थी पर सोम्या की कमी उसे हर पर कमज़ोर करती रहती थी | हर एक पल भगवान् से उसके लिए प्रार्थना करता रहता | वो जहाँ भी रहे ठीक रहे | सुखी रहे स्वस्थ रहे | और सबसे ऊपर खुश रहे |
ऐसे ही अरसा बीत गया | न उधर से कुछ बात हुई और न इधर से | आग दोनों तरफ बराबर लगी हुई थी पर बुझाने वाला कोई नहीं था | जो भी मिलता उसे भड़काने वाला ही मिलता | बात बिगड़ने वाले हज़ार थे और बात बनाने वाला एक भी न था | फिर इसी बीच एक दिन राम का जन्मदिन आया | वो भूल चुका था के आज उसका जन्मदिन है | ज़िन्दगी के इन उतार चढ़ावों के बीच उसे अपने लिए सोचने का वक़्त ही कहाँ मिला | हालात के थपेड़ों ने उससे ज़िन्दगी जीने की कला बहुत दूर कर दी थी | हर पल उसे एक ही इंतज़ार रहता था और वो अन्दर ही अन्दर घुट रहा था | न किसी से कुछ बात न किसी से कुछ गिला शिकवा करता था | बस अपने आप से और हालातों से झूझने में लगा रहता था | इसके चलते उसके काम और सेहत का भी काफी नुक्सान होने लगा था | पर वो इरादों का मज़बूत इंसान था | उसने कभी भी अपना धर्य नहीं छोड़ा | एक फाइटर था वो | बस जैसे तैसे अपने को संभाल रखा था उसने | जन्मदिन वाले दिन भी वो चुप चाप सुबह से ही बिना बताये कहीं चला गया | सारा और घर के बाकी सभी लोग हैरान थे के सुबह सुबह राम कहाँ चला गया | उसका मोबाइल भी स्विच ऑफ था | सबको फ़िक्र हो रही थी के क्या हुआ ? ऐसे क्यों और कहाँ चला गया ?
शाम तक राम की कोई खबर नहीं थी | पर फिर भी घर के सभी लोगों ने मिलकर उसका जन्मदिन मानाने की तयारी कर ली थी | अब बस उसके लौटने का इंतज़ार था | रात हो गई ९ बज गए | राम का कुछ अतापता नहीं था | सब का दम सूखा जा रहा था | तभी बहार गाडी की आवाज़ आई | सब सतर्क हो गए और घर की सभी लाईटें बंद कर दी गईं | दरवाज़े की घंटी बजी | राम घर वापस आ गया था | बार बार घंटी बजने पर भी किसी ने दरवाज़ा नहीं खोला | फिर उसका ध्यान बत्तियों पर गया | घर में घुप्प अँधेरा था | ये सब देखकर हैरान हो गया और अपनी चाबी से दरवाज़ा खोलकर अन्दर दाखिल हुआ | उसका दिल ज़ोरों के धड़क रहा था | बार बार यही सोच रहा था के लाईटें बंद क्यों है ? सब लोग कहाँ गए ? क्या हो गया ?
जैसे ही राम ने हॉल में कदम रखा तुरंत ही सारा कमरा जगमगा उठा | हर तरह रंग बिरंगी रौशनी, साज सजावट, गुब्बारे, झालर लगे हुए थे और बीच में टेबल पर केक सज़ा रखा था | सब लोग "हैप्पी बर्थडे टू यू, हैप्पी बर्थडे टू यू" गा रहे थे | पर उसकी आँखें वीरान थीं | जिसके मुहं से वो ये सुनना चाहता था वो कहीं नहीं थे | वो मूक खड़ा ये तमाशा देख रहा था | अपने को सँभालते हुए फिर उसके चेहरे पर एक मंद से मुस्कान झलकी |
"थैंक यू , थैंक यू प्लीज एंड वेलकम तो माई होम" वो सभी से बोला
सारा उसके पास आई और उसका हाथ पकड़ कर उसे केक तक ले गई | और उसके हाथ में चाकू थमा दिया और बोली,
"पापा, जल्दी से केक काटो न बड़ी जोर के भूख लगी है फिर पिज़्ज़ा और छोले भठूरे भी तो खाने हैं "
उसकी इस मासूमियत को देख कर सब हंस पड़े | राम भी जोर से हंस दिया | बोला, "ओके, मेरी माँ अभी काटते हैं चलो |"
केक काटने खड़ा ही हुआ था के पीछे से किसी ने दोनों हथेलियों से उसकी आँखें ढँक ली | वो चुप चाप खड़ा रहा, तभी एक आवाज़ आई,
"पापा, हैप्पी बर्थडे टू यू " ये आवाज़, ये आवाज़ तो सोम्या की थी |
उसकी ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा, तुरंत उसने अपनी आँखों से हाथ हटाये और मुड़ कर देखा तो सामने सारिका खड़ी थी और साथ में सोम्या भी | इससे पहले के वो अपने मुहं से कुछ कह पता सारिका की हथेली ने उसका मुहं बंद कर दिया और बस आँखों में देखती रही | जो भी गिले शिकवे दूर करने थे वो आँखों ही आँखों में दूर हो गए | सारिका राम से गले लग गई और चारों तरफ तालियों की गडगडाहट गूँज उठी | राम ने अपनी दोनों बेटियों को गोदी में उठा लिया और प्यार से चूमता रहा |
ये उसके जन्मदिन का सबसे बड़ा उपहार था | बस फिर क्या था केक भी कटा और सब ने खूब धूम मचाई | खाना पीना, हंसी मजाक, गाना बजाना सब जम कर हुआ | रात कैसे बीत गई पता ही नहीं चला | दिल ही दिल में राम भगवान् को बहुत बहुत धन्यवाद् दे रहा था और उनका आभार व्यक्त कर रहा था | उसके जीवन की माला को बिखरने से बचने वाले वही थे |
और उसके बाद आज तक उसके जीवन में ऐसी काली रात और ऐसे सियाह दिन फिर कभी नहीं आए | सभी उलझाने बिना कुछ बोले और कहे ही निपट गईं | न उसने सारिका से कोई सवाल किया और न कोई जवाब माँगा | सारिका भी हंसी ख़ुशी ख़ुद-ब-ख़ुद घर चली आई | उससे भी अपनी भूल का एहसास हो चुका था | और वैसे भी अगर सुबह का भूला शाम को वापस आ जाये तो उसे भूला नहीं कहते |
आज राम का परिवार एक हँसता खेलता, गाता गुनगुनाता परिवार है | एंड दे लिव्ड हैप्पिली एवर आफ्टर |
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आशा है कहानी आपको पसंद आई होगी | मेरी दिल से तमन्ना, उम्मीद और प्रार्थना है ऊपर वाले से जैसे राम की ज़िन्दगी में खुशियों के पल लौट आए वैसे ही संसार में समस्त प्राणियों के जीवन की उलझाने और समस्याएं बिना कुछ बोले ही सुलझ जाएँ | कभी भी प्यार करने वालो को आपस में सवाल जवाब करने की नौबत न आए | क्योंकि मेरा ऐसा मानना है के प्यार की ज़बान नहीं होती | प्यार सिर्फ और सिर्फ एक एहसास है | जो बातें एक बंद ज़बान और भरी हुई आँखें कह सकती हैं वो जीवन में कोई भी शब्द बयां नहीं कर सकते | खुश रहिये | प्यार करते रहिये |
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बढ़िया कथा-
जवाब देंहटाएंशुभ कामनाएं
आदरणीय ||
भाव प्रवण करती सुखान्त कथा .समय बड़ा बलवान वही सब घाव भरता है दूध का दूध पानी का पानी करता है ".समय करे नर क्या करे ,समय समय की बात ,किसी समय के दिन बड़े किसी समय की
जवाब देंहटाएंरात ".आल इज वेळ डेट एंड्स वेळ .कसाव दार ताना बाना शब्द चित्र हैं कथा में जीवन और व्यवहार के .
मेरी कहानी की इतनी तारीफ करने के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया साब | मुझे उम्मीद है आगे भी ऐसे ही लिखने की कोशिश करता रहूँगा | बहुत बहुत आभार |
जवाब देंहटाएंकहानी बहुत अच्छी लगी सर!
जवाब देंहटाएंसादर
प्रवाहमय,बहुत सुंदर कहानी,सराहनीय प्रयास,बधाई,,
जवाब देंहटाएंआप भी फालोवर बने मुझे हार्दिक खुशी होगी,,,,
recent post: कैसा,यह गणतंत्र हमारा,
सुन्दर लेखन ,,,,
जवाब देंहटाएंपति पत्नी के सम्बन्ध मजबूत होने चाहिए ,,,
टूटना तो आसान होता है मगर जुड़ना मुश्किल
बहुत अच्छा लगा पढ़कर
कहानी का अंत पसंद आया
बहुत अच्छी कहानी ..
जवाब देंहटाएंबधाई.
अनु
आप सबने मेरे इस छोटे से प्रयास को सराहा | बेहद ख़ुशी हुई | आगे भी ये कोशिश ज़ारी रखने का प्रयास करूँगा | आप सभी जन का तहेदिल से शुक्रिया अदा करता हूँ | बहुत बहुत धन्यवाद मेरा होसला बढाने के लिए |
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति,
जवाब देंहटाएंपिता का बेटी से लगाव सहज है और पति पत्नी के रिश्ते में मौन भी एक सुंदर भावनात्मक अभिव्यक्ति है