मिलेगी बहार तब मुझे न सुहायेगी
मिलेगी जब दिवाली तब मुझे न सुहायेगी
तब...
कर्म में लग जा
सुख समृद्धि तुझे
स्वयं मिल जायेगी
और
जब कोई न
रहेगा
जिंदगी तुझे सताएगी
आएगी याद
तब
याद ही
तुझे तड़पाएगी
आनसो की कीमत को
जान
अपने को
तू
खुद पहचान
नहीं तो, तेरी ही
आत्मा तुझे
सताएगी
जब बहार आएगी
तब वो
भी तुझे
शायद
नहीं सुहाएगी
जीवन का मोती
तू
क्यों सोकर खोता है
अपने को पहचान
ये मोती
अनमोल है
जिसको हम
किसी कीमत पर
न खोते न पाते हैं
दिवस गंवाकर
फिर क्या हो
जो रो रो कर
गाते हैं
किस्मत दगा
किया करती है
गाते हैं, बतलाते हैं
अपने को तू जान रे, बंदे
मोती को पहचान
अपने परखी
तू स्वयं ही मान ...
मिलेगी जब दिवाली तब मुझे न सुहायेगी
तब...
कर्म में लग जा
सुख समृद्धि तुझे
स्वयं मिल जायेगी
और
जब कोई न
रहेगा
जिंदगी तुझे सताएगी
आएगी याद
तब
याद ही
तुझे तड़पाएगी
आनसो की कीमत को
जान
अपने को
तू
खुद पहचान
नहीं तो, तेरी ही
आत्मा तुझे
सताएगी
जब बहार आएगी
तब वो
भी तुझे
शायद
नहीं सुहाएगी
जीवन का मोती
तू
क्यों सोकर खोता है
अपने को पहचान
ये मोती
अनमोल है
जिसको हम
किसी कीमत पर
न खोते न पाते हैं
दिवस गंवाकर
फिर क्या हो
जो रो रो कर
गाते हैं
किस्मत दगा
किया करती है
गाते हैं, बतलाते हैं
अपने को तू जान रे, बंदे
मोती को पहचान
अपने परखी
तू स्वयं ही मान ...
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