अंदर से कुछ टूट रहा है
अपनापन अब छूट रहा है
कहते थे जिनको हम अपना
रिश्ता हर वो मूक रहा है
हालातों की बलि वेदी पर
अरमानो का खून बहा है
मानवता की गरिमा कर छिन्न-भिन्न
इंसान रिश्तों पर थूक रहा है
दुखी ह्रदय से कहता है "निर्जन"
अश्रु बन यह फूट रहा है
अंदर से कुछ...
अपनापन अब छूट रहा है
कहते थे जिनको हम अपना
रिश्ता हर वो मूक रहा है
हालातों की बलि वेदी पर
अरमानो का खून बहा है
मानवता की गरिमा कर छिन्न-भिन्न
इंसान रिश्तों पर थूक रहा है
दुखी ह्रदय से कहता है "निर्जन"
अश्रु बन यह फूट रहा है
अंदर से कुछ...
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