गुरुवार, दिसंबर 13, 2012

तलाश

हे इश्वर
हर मानव
अपने अधिकारों को
बचाने के लिए
क्या दूसरों की
आत्मा का
हनन करता है ?

या फिर अपनी
झूठी शान, अहंकार
और घमंड के लिए
अपने ही खून का खून
करने को तयार रहता है ?
क्या उम्र भर
सबके अधिकार
उसमें सिमटे रहेंगे ?
कब निकल पायेगी ?
एक सय्याद के हाथों से
एक निर्बल की जान
जिसे उसने अपनी
वसीयत में से
सिर्फ आंसू ही
के रखे हैं
जिसकी साँसे तक
सय्याद के पास
क़ैद हैं

अब जीवन किसी की
क़ैद से मुक्त
खुले आकाश में
विचरते पक्षी की तरह
उड़ना चाहता है
अनंत जीवन की
तलाश में
फिर वापस
एक सुन्दर संसार
एक सुन्दर घर
जो मानव समाज के लिए
कल्याणकारी हो
किसी सय्याद की
छाया से दूर 

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