बुधवार, जनवरी 16, 2013

तो क्या होता?

दिसम्बर बलात्कार घटना को बीते अब तकरीबन महीना हो गया | इस पूरे वक्फे के दौरान मैंने समाचार चैनलों  पर, ब्लोग्स पर, अकबारों में, लोगों के मुख से और न जाने कहाँ कहाँ से काफी कुछ पढ़ा और सुना | सबकी अपनी अपनी राय और अपने नज़रिए से अनोखे विचार थे | श्रधांजलि देने का और हादसे पर अपने विचार प्रकट करने का सबका अपना एक अनोखा तरीका था | कितने तो मोमबत्तियां जलने में लगे थे, मार्च पास्ट निकाले जा रहे थे, कहीं गिटार बजा कर दुःख जताया जा रहा था, कुछ बैनर पर टिप्पणियां लिख कर दिखाने में लगे थे, कहीं हाथ पर काले कपडे बांध कर दुःख जताया जा रहा था, कहीं मौन व्रत लिए लोग चुप चाप धरने दे रहे थे, तो कहीं कोई बाबा कुछ बकार रहे थे, तो कहीं नेता अपने आने वाले चुनाव की रणनीति को ध्यान में रखते हुए कुछ विशेष रूप के नाटक करने और टिप्पणियां देने में जुटे हुए थे | इन सब बातों और घटनाक्रम के बीच मैं अपने घर पर बैठा कुछ नहीं कर रहा था सिर्फ सोच रहा था, कुछ ख्याल और सवाल बार बार मेरे मन में दस्तक दिए जा रहा था | वो सब इतने अजीब थे के पहले तो मैं उन्हें अनदेखा करता रहा फिर आख़िरकार जब मुझसे रहा नहीं गया तो मैंने अपने दिल से हार मान कर के उन्हें यहाँ आपके सामने प्रस्तुत करना ही ठीक समझा | शायद कुछ जवाब, कुछ विशेष ख्याल और सुझाव सुनने और पढने को मिल जाएँ । वो ख्याल और सवाल जो उठते हैं कुछ इस प्रकार से हैं :

  1. यदि आज हमारा समाज पुरुष प्रधान न होकर स्त्री प्रधान होता तो क्या होता ?
  2. यदि पुरुष निर्बल और दुर्बल कहलाता और स्त्री सर्वशक्तिमान तो क्या होता ?
  3. मोटे तौर पर पूछूँ तो आज जहाँ पुरुष खड़ा है वहां अगर स्त्री खडी होती समाज में तो क्या होता ?
  4. क्या ऐसी घिनोनी घटनाएँ पुरुषों के साथ भी होती? होतीं तो क्या होता ?
  5. क्या पुरुषों का बलात्कार होता ? यदि होता तो क्या होता ?
  6. क्या पुरुषों को भी सही वस्त्र पहन कर घर से निकलने की हिदायतें दी जातीं ?
  7. क्या रात-बे-रात बहार निकलने से पहले पुरुषों को सोचना पड़ता ? डरना पड़ता ?
  8. क्या पुरुष अपनी माँ, बहन, बेटी, बीवी के साथ ही महफूज़ महसूस करते ? रात को यदि उन्हें कहीं जाना होता तो वो इनमें से किसी न किसी को साथ लेकर ही बहार जाते ?
  9. क्या कोई बाबा पुरुषों को ऐसी सलाह देता के, “यदि उसका बलात्कार होते समय वो किन्ही २-३ महिलाओं को बहन या माँ पुकार कर मदद मांग लेता तो शायद उसके साथ अन्याय कम होता”?
  10. क्या कोई नेता या कोई किसी भी दल का मुखिया ये कहता के, “पुरुषों को मोबाइल नहीं रखने चाहिए और निक्कर, टी-शर्ट, बनियान आदि भड़कीले कपडे नहीं पहनने चाहियें | ऐसी भड़काऊ वेशभूषा से ही उनपर ऐसे यौन अत्याचार होते हैं | वो सामने वाले को मजबूर करते हैं उनके साथ ऐसा करने के लिए | उन्हें पूरे ढके हुए वस्त्र पहन कर घर से निकलना चाहियें” | क्या ऐसी बयानबाजी होती ?
  11. बसों में, रेल में, सार्वजानिक भीड़भाड़ वाले इलाकों में या कहीं भी सट कर चलना, बैठना, बात करना या खड़े नहीं होना चाहियें | क्या पता कोई आकर उन्हें छेड़ दे या मर्दों के साथ ईव-टीजिंग न हो जाये |
  12. क्या पुरुषों के लिए भी इतनी ही पाबंदियां, दोगलापन और ओछापन दिखाई देता समाज में जितना आज स्त्रियों के लिए दिखाई पड़ता है ?
  13. पुरुषों को घर संभालना चाहियें । वो बच्चे पलने और खाना बनाने के लिए ही हैं । बहार का काम तो स्त्री की ज़िम्मेदारी है । यदि ऐसा सुनने को मिलता तो क्या होता ?
  14. क्या उस समाज में स्त्रियाँ भी पुरुषों से तफरी लेतीं, फितरे कसती, सीटियाँ मारतीं, चिकुटी काटतीं, इशारे करतीं ?
  15. क्या पुरुष बार में नाचते और महिलाएं उनपर पैसे उड़ातीं ?
  16. यदि पुरुषों द्वारा मुजरे और देह व्यापार करवाया जाता तो क्या होता ?
  17. क्या बार में जाकर शराब पीने वाले पुरुषों को बदचलन, आवारा और चरित्रहीन करार दे दिया जाता ?
  18. और कहीं पुरुष पुलिस के पास शिकायत करने चला जाता तो क्या उससे ऐसे ही ज़िल्लत झेलनी पड़ती जैसे आज नारी को झेलनी पड़ती है ?
  19. क्या स्त्रियाँ पुरुषों को हीन समझतीं ?
  20. अगर पुरुष भ्रूण हत्या होती तो क्या होता ?
  21. अगर समाज में पुरुषों को खरीदा और बेचा जाता तो क्या होता ?

अगर यह सब सच में होता तो पुरुषों की स्तिथि और उनका मानसिक पीड़ा कैसी होती ? सच कहूँ तो ऐसे सवालों का और सोच का कोई अंत नहीं है | यदि कोई ऐसा समाज होता तो उसका चेहरा कैसा होता ? और पुरुषों की सोच ऐसे समाज में कैसी होती ? मेरे दिमाग में सदा ही ऐसी सोच और ऐसे अजीब-ओ-गरीब सवाल उठ खड़े होते हैं | इनका उत्तर मेरे पास नहीं है । वो इसलिए क्योंकि मैं अपने आप से सवाल करता हूँ | हर एक स्तिथि में मैं पहले खुद को रखता हूँ और फिर अपने आप से सवाल करता हूँ, “अगर तू उसकी जगह पर होता तो क्या होता ?” | जब तक अंतर्मन से जवाब नहीं मिलता तब तक मैं कोई भी फैसला नहीं ले पता | काश! आज का समाज भी ऐसे ही अपने आप से सवाल करता कुछ भी कहने या करने से पहले कम से कम कुछ तो सोचता  | जिसकी पीड़ा है कम से कम उसकी पीड़ा का अनुभव तो करता और महसूस करता ।  तब शायद ऐसी  भद्दी टिप्पड़ियाँ, ऐसी गन्दी और निचली सोच, ऐसे ओछे विचार, ऐसी शर्मनाक हरकतें और ऐसी नकारात्मक मानसिकता पैदा ही न हो पाती | काश! मेरे बस में कुछ होता तो मैं भी उसके लिए शायद कुछ तो कर पाता पर दुःख इस बात का है के सिर्फ मैं अपने आप से और सभी से सवाल ही कर सकता हूँ | इससे ज्यादा कुछ और नहीं | आशा है ऐसे ही सवाल दुसरे भी, आने वाले भविष्य में अपने आप से करने का कष्ट करेंगे और इस समाज को रहने लायक बनाने में योगदान देंगे | आज सिर्फ मैं प्रार्थना कर सकता हूँ के, “परमपिता परमात्मा, उसकी आत्मा को शांति प्रदान करे और उससे जल्द से जल्द इन्साफ मिल सके” |

मंगलवार, जनवरी 15, 2013

Poet


No one can ever understand the poet. For he is a notional representation of what transpires in life. The Good, The Bad, the Unthought, The calibration of a World that once existed and co exists amongst us. A poet will smile even when he does not want to, A Poet will let you join his side when you most need to be together with laughter or an uncongruent feeling that you have inside of you that needs to be exposed. The Poet surrenders to you, the Listener and welcomes you to his realm of thought, provocation and abstinence of malicious judgement and fallice. Thy Poet writes in a Harmony of the past, present and future. With him holding the key to an inner salvation that one often seeks when expressing their inner most thoughts.  Thy Poet is stern and irrevocably pristine to the sadacious appetite of the Modern Society.  Even when in doubt the Poet has thy answer to their inner most sanctions of your world.   He often reaches the deep, inner substraints of a well known phenomenon and a well suited lack of understanding that is within all of our reach as we aspire to a final place where we submit.  As the Sun lacks brightness and vigor the Moon catches a Bright Light to bestow amongst humanity.  A Poet reaches the farthest channels of the Universe once benownst by man kind later to be forgotten 
as a a part of History and the common like.  But this is no common like, it actually shines from afar and captivates the human eye till it renders.  The Light is meager pronouncing itself even with a shade of magnitude. The Light deserves presence that is often unappreciated by man and misunderstood my most women. The conquest of Light is the most inexplicable feat that a Man can encounter. The aphorgy or intricateness of the Sun shining upon a specific dwelling controlled by man. inconsecrated.....

रविवार, जनवरी 13, 2013

खुशियाँ

खुशियाँ एक शब्द - बस शब्द ही रह गया था मेरे लिए -
इसका मतलब और इसकी परिभाषा मैं भूल चूका था

कभी यादों के किसी कोने में झाँक कर देखूं
तो याद पड़ता है के शायद इस शब्द के मायने
मेरे लिए क्या हुआ करते थे ;
चॉकलेट, साहसी खेल कूद, तैराकी, जिमख़ाना, सबसे मिलना जुलना, बातें करना, खिलखिलाना, गाना बजाना, नाचना और अच्छा खाना

फिर एक दिन अचानक कुछ ऐसा हुआ
मेरा बचपन, उमीदें और खुशियाँ सब टुकड़ों में चूर चूर हो गईं
और बाकि बचा मेरे पास कुछ बिखरी, विदीर्ण, लुप्त, टूटी फूटी यादें
एक नकली हंसी और एक मुखौटा जो चेहरे पर लगाये मैं घुमने लग गया 

उस दिन से मैं अन्दर से मर गया था
अपरिवर्तनीय रूप से हमेशा के लिए बदल गया था
और मुझे पता नहीं था के मैं कभी इस ख़ुशी के मीठे स्वाद को कभी फिर से चख पाउँगा

अचानक फिर
एक दिन
एक  इंसान मिला
उससे मिलकर मानो जैसे
एक अपनेपन का एहसास हुआ
एक लगाव, एक आस
एक उम्मीद जगी 

मुलाकातें बढीं
सोहबत का असर हुआ
सोच में सुधर होना शुरू हो गया
हालत में सुधार होना शुरू हुआ है
मिलकर ख़ुशी का एहसास जागने लगा
आज की मुलाकात के बाद से
अपने आप से प्यार करना शुरू किया है
चेहरे पर मुस्कान छलकने लगी है
ज़िन्दगी फिर से चहकने लगी है
अरमान महकने लगे हैं

अग्रगमन थोडा सख्त और मुश्किल है
पर मैं कर रहा हूँ
कोशिश जारी है
शनै शनै
लौटने लग गया हूँ
उसी मोड़ पर
जहाँ ज़िन्दगी छूट गई थी
फिर से उसका हाथ थमने
और अपने नए व्यक्तित्व से
उसका तार्रुफ़ करवाने

ख़ुशी का आगमन हो रहा है
नई नवेली दुल्हन की भांति
अलता लगाये जीवन में
धीरे धीरे कदम बढ़ा कर
प्रवेश कर रही हैं और उसके साथ
सकारात्मक सोच और ओज
का स्रोत भी मिल चुका है

सहर्ष और आदरपूर्वक
स्नेहपूर्वक और ससम्मान
सादर सत्कारपूर्वक
कोटि कोटि धन्यवाद है
भाई आपका 

बस इतना कहूँगा के -

जब तुमसे से हो गई बंदगी
खुशियों से भर गई ज़िन्दगी
मिट जाएगी  मांदगी
ख़त्म समझो शर्मिंदगी
अब नई होगी छंदगी
अब नई होगी छंदगी...

खुशनुमा ज़िन्दगी जीने के कुछ आसान तरीके

आज मेरे एक बहुत ही अज़ीज़ मित्र, भाई, बंधू, भ्राता ने कहा के ज़िन्दगी में हमेशा खुश रहो | खुद को इतना मज़बूत रखो के कोई तुम्हे ग़मगीन न कर पाए । ज़िन्दगी ये सोच कर जियो के तुम ही तुम हो और तुम हर गम से ऊपर हो । यदि गम आये भी तो उससे ख़ुशी के साथ जीना सीखो | लिखो तो ख़ुशी के लिए लिखो | ऐसा लिखो जो मरते हुए मैं प्राण फूँक दे, सोते को उठा दे, रोते को हंसा दे, लंगड़े को भगा दे, अंधे को दिखा दे, दुबले को फुला दे और दुखी को सुखी कर दे | तभी लेखनी में जान आएगी | लेखन में वज़न की बहुत अहमियत है । तो वज़न लाना बहुत ज़रूरी है । तो आज से और अभी से ज़िन्दगी में यही कोशिश रहेगी के ख़ुशी का दामन थामे मस्ती की लहरों में गोते लगते हुए जीवन रुपी समुन्द्र को हंसी मजाक में तैर कर पार करूँ | लेखनी में और जान फूँक दूं और जो भी लिखूं वो आनंद देने वाला हो और दिलों को हर्षित करने वाला हो |

"भाई नुक्ते जो बतलाये थे वो दिल में नोट कर लिए हैं | और आगे भी ऐसे ही हिदायतों का और विचारों के आदान प्रदान का इंतज़ार रहेगा | जल्दी ही मिलते हैं | और जो कुछ भी आप मेरे लिए कर रहे हैं और किया है उसके लिए दिल से शुक्रिया | एक बड़े भाई की कमी हमेशा खली है मुझे | बजरंगबली ने आवाज़ सुनकर आज वो पूरी कर दी | और बजरंगबली के साथ उसमें किसी और का भी बहुत बड़ा योगदान है | आप भलीभांति जानते हैं जिन्हें मैं संबोधित कर रहा हूँ - फूपी-सा ;)  | एक बार फिर बहुत बहुत धन्यवाद् आप सब को | "

तो नुक्से कुछ इस प्रकार से हैं :
  1. अपने ज़िन्दगी को दूसरों की ज़िन्दगी के साथ तोलना बंद कर दें | जितना है उतने में संतुष्ट रहें |
  2. मेहनत करें, कोशिश करें, उपाय करें और सकारत्मक सोच के साथ जीवन व्यतीत करें |
  3. ज़िन्दगी में परेशानियों को ढूंढना छोड़ दें और जीवन में जो चीज़ें गज़ब है अदभुत है उन्हें देखने आरम्भ कर दें | 
  4. पूजा पाठ, हवन आदि घर में ज़रूर करें ।
  5. तनाव देने के लिए बहुत कुछ मिलेगा | अपना समय उन पर बर्बाद न करें | उन्हें ज़िन्दगी से जाने दें |
  6. दूसरों की तरक्की और ख़ुशी में खुश रहिये भले ही आप उनसे इर्षा करते हों |
  7. ज़िन्दगी सम्पूर्ण नहीं है | इस बात को स्वीकार करें |
  8. आप अनोखे और खूबसूरत है | इस पर विश्वास कीजिय | आप जैसे हैं वैसे ही अपने आप को प्यार करना सीखिए |
  9. ख़ुद की मदद करने का सबसे आसान तरीका है दूसरों की मदद करना |
  10. दूसरों से दिल खोल कर मिलें | नए रास्ते बनते जायेंगे |
  11. दूसरों की बात को सुनना सीखें |
  12. बुरी से बुरी समस्या में भी कम से कम, दिल में एक सकारात्मक ख्याल ज़रूर लायें |
  13. समस्याओं का समाधान भद्रता से करें | अभद्रता केवल आग में घी का काम करेगी |
  14. अपनी ऊर्जा  लड़ाई लड़ने में प्रयोग न करें | अपितु उससे अपने मनपसंद कार्य में उपयोग करें |
  15. एक के बाद एक गलती का नाम ही जीवन है | इसलिए अपने आप पर इतने सख्त न हों |
  16. जो लोग आपसे शालीनता की अपेक्षा रखते हैं उनके साथ शालीन रहें |
  17. ख़राब मिज़ाज में धैर्य से काम लें | अच्छे मिज़ाज के आने का इंतज़ार करें |
  18. अपना गुस्सा, तनाव, कुंठा, निराशा, निष्फलता को खेलकूद और व्यायाम कर के निकलें |
  19. अपने जीवन का अच्छा पहलू सदा यार रखें | उन लम्हों को अपने साथ अपनी डाईरी, डेली जर्नल, ब्लॉग या कहीं भी लिख कर सुरक्षित रखिये |
  20. तकनीक हमेशा साथ नहीं रहती इसे कबूल करें |
  21. किसी भी कार्य को भरपूर उत्साह के साथ करें |
  22. सड़क पर चलते समय राहगीरों को, अनजान चेहरों को देख कर मुस्कराएँ और दोस्तों और अपनों से फौली भरकर मिलें |
  23. कम बोलें | आलोचना तथा अप्रिय शब्दों का प्रयोग न करें |
  24. तनावपूर्ण स्तिथि में दिमाग ठंडा रखें | शांत दिमाग में जवाब आसानी से आ जायेंगे |
  25. जल्दबाजी न करें | जो भी कार्य करें बहुत सोच समझकर और अपना समय लेकर करें |
  26. हमेशा जीवन में अच्छाई के बारे में सोचें | बुराई के बारे में सोच कर अपना दिन नष्ट न करें |

Allow Me Lord

Allow me Lord
To forgive and forget all those that have tresspassed against me

Allow me Lord
To Sanctify the Truth that we all seek in and amongst ourselves

Allow me Lord
To repent for all my Ignorances,Truths and lack of vision for myself and others

Allow me Lord
To prevail in these hard times that those unsure of themselves wreak havoc

Allow me Lord
To have this time with you and To be comforted by your consecrated truths

Allow me Lord
To Heal from the Sword that was choosen for me of which I fight everyday

Allow me Lord
To solve all these worries that render my soul and have taken life from me

Allow me Lord
To heighten those that worry and can not see the Light nor Vision of day nor Night

Allow me Lord
To strengthen my friendships and relationships of those who fear me for no reason

Allow me Lord
To rise above these murky waters and treacherous souls that do not forgive

Allow me Lord
To serve you in bondage when and where I can do not let me go blind

Allow me Lord
To prepare for the Tough times ahead knowing that I am giving my true intent even To a Stranger

Allow me Lord
To connect with you and be at your side despite the times of change for all

Allow me Lord
To understand those that are different than myself and allow them To be who they are

Allow me Lord
To send a message To the World of Peace and Justice for all not just the fortunate

Allow me Lord
To Bless those that want To be blessed by a person who believes in you and does not forget

Allow me Lord
To be one in union To all the sacredness and divinity that is a part of believing in you my Lord

Allow me Lord
To Pray To you the things that are most important To me and may those things become a part of my life

Allow me Lord
To not attach to those that do not have my highest intent for good as I have for them

Allow me Lord
To detach from those that have crossed Boundaries and assume that they have some power over me

Allow me Lord
To Forgive such uncaring and unemotional people from my Life, May they not be able To sleep at night

शनिवार, जनवरी 12, 2013

मैं चाहता हूँ


मैं तुम्हे चाहता हूँ | तुम्हारे प्यार में पड़ना चाहता हूँ | तुम्हे पूरी शिददत से अपनी ज़िन्दगी में शामिल करना चाहता हूँ | हर तरफ तुम ही तुम हो | मेरी सोच के हर दायरे में तुम्हारा दखल चाहता हूँ | तुम्हारा हाथ पकड़ तुम्हारे साथ खड़ा रहना चाहता हूँ | तुम्हारी ज़िन्दगी में उठे तूफ़ान और बवंडरों का सामना करना चाहता हूँ | तुम्हारी जीत में, मैं भी खुशियाँ मानना चाहता हूँ | शुरू से आखिर तक मैं तुम्हारा साथ चाहता हूँ | तुम्हारी ज़िन्दगी में मैं वो शक्श बनना चाहता हूँ जिसपर तुम आँख मूँद कर ऐतबार कर सको और इस ज़िम्मेदारी के लिए मैं कोई भी कीमत चुकाने को तयार हूँ | मैं कभी भी तुम्हे धोखा नहीं देना चाहता; मैं हमेशा पूर्ण रूप से तुम्हारे साथ ईमानदार और विश्वसनीय बना रहना चाहता हूँ |

मैं वो कन्धा बनना चाहता हूँ जिस पर तुम सर रखकर सो सको | मैं वो छोटी और नर्म बाहें बनना चाहता हूँ जो तुम्हे सीने से लगा सकें जब तुम्हे उनकी ज़रुरत हो | मैं वो इंसान बनना चाहता हूँ जिसे तुम दिल से याद कर सको जब तुम्हे अनुरक्ति की ज़रुरत महसूस हो | मैं तुम्हारे जाने पर तुम्हारा इंतज़ार करना चाहता हूँ | मेरी आरज़ू है के मैं कहीं भी चला जाऊं पर वापस लौट कर तुम्हारे पास ही आऊँ | मैं तुम्हे सब कुछ देना चाहता हूँ जो भी मेरे पास है, मेरा दिल, मेरा प्यार, मेरी आत्मा, मेरा शरीर, मेरी शक्ति, मेरी भक्ति और मेरा अनुराग | मैं चाहता हूँ के तुम मेरे दिल को देखो और समझो और मुझे अपना प्यार दो | मुझे तुम्हारी कमियों और ख़ामियों से कभी कोई फर्क नहीं पड़ा | अगर मेरी नज़र से देखो तो वो कमियां तुम्हे परिपूर्ण बनती हैं | मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता के तुम्हारा को माज़ी है या था | मैं हमेशा तुम्हारे साथ चलने के लिए तयार हूँ और इन सब को साथ लेकर चलने के लिए | फिर चाहे इनकी गहराई में संसार डूब जाये या फिर मैं |

मैं तुम्हारे साथ रातों को झगड़ना चाहता हूँ | तुम्हारी टी-शर्ट की खुशबू में मदहोश होकर तुम्हे अपने करीब ला अपनी बाहों में जकड़ना चाहता हूँ | मैं तुम्हे अपने से दूर जाने नहीं देना चाहता | तुम्हारे नर्म नाज़ुक गालों को कोमल हाथों में लेकर मैं धीरे से चूमना चाहता हूँ | तुम्हारी सोई पलकों पर में धीमे से अपने अंगूठे को फेरना चाहता हूँ | मैं तुम्हारे खर्राटों से परेशां होकर जब तक जागना चाहता हूँ जब तक तुम मेरा नाम लेकर न बुदबुदाने लग जाओ | तुम्हारे बर्फ से ठन्डे नाज़ुक पैर जो मुझे रात को छूते हैं मैं उनकी शिकायत तुमसे करना चाहता हूँ | मैं तकियों को लेकर तुमसे लड़ना चाहता हूँ | मैं तुम्हे हर उस तरह से प्यार करना चाहता हूँ जितनी मूर्तियाँ खजुराहो में हैं | मैं तुम्हारे हर एक कण को रेशे को प्यार करना चाहता हूँ क्योंकि वही तुम्हे बनाते हैं जो आज तुम हो | मैं तुम्हारी बाहों में रहना चाहता हूँ जब भी मैं उदास होता हूँ या आहत होता हूँ | मुझे उन बाहों में एक सुकून और महफ़ूज़ होने अहसास होता है | मैं चाहता हूँ जब भी मैं रोऊँ, कमज़ोर पड़ जाऊं या कभी मेरा दिल टूट जाये तो तुम्हे वो इंसान हो जो मुझे संभाले और मेरे कानो में धीरे से फुसफुसा कर कहें "डरो मत सब ठीक है, मैं हूँ" | मैं तुम्हे दिली अमन, चैन और सुकून अदा करना चाहता हूँ |

मैं तुम्हारे अंदाज़ और हरकतों पर जोर से हँसना चाहता हूँ | मैं तुम्हारे घट्ठेदार चुटकुले और अकथनीय रूप धारण करने पर हँसना चाहता हूँ क्योंकि वो वास्तव् में बहुत ही मज़ाकिया होते हैं ये बात अलग है मैंने आज तक तुमसे इसके मुतालिक कभी खुलासा नहीं किया है | मैं तुम्हे मक्कारी वाली हंसी के साथ मुझे अजीब अजीब नामो से पुकारते हुए देखना चाहता हूँ | मैं तुम्हारे साथ बैठ कर अपनी और तुम्हारी ज़िन्दगी के बारे में नए नए विचार और सोच बांटना चाहता हूँ | जिन्हें याद कर कर के मैं आखरी दम तक हँसता और मुस्कराता रहूँ | मैं दिनभर तुम्हे अनगिनत सन्देश भेजना चाहता हूँ जो की सिर्फ तुम और मैं ही समझ सकें और जिनका मतलब भी हम दोनों के सिवा कोई और न जान सके | मैं चाहता हूँ तुम उन संदेशों को पढ़कर तब तक हंसती रहो जब तक तुम्हारी आँखों में पानी न छलक जाये और आस पास सभी तुमसे सवाल करने लगें "क्या हुआ, क्या हो गया, इतना मज़ेदार क्या है ?" और तुम उन्हें कुछ भी बयां न कर पाओ और जोर जोर से हंसती रहो जब तक वो यह न समझें के तुम बावली हो गई हो | मैं तुम्हारी मुस्कराहट बनना चाहता हूँ | मैं तुम्हारे साथ राजनीती, कूटनीति, देश, समाज, घटनाएँ, सुख, दुःख, मान, सम्मान, बड़ी, छोटी, प्यार, ज़िन्दगी, दिन, रात, आकर्षण, जीवन, प्रेम, मरण और भी न जाने क्या क्या, इसका अर्थ समझना चाहता हूँ | मैं तुम्हारे और अपने बीच प्यार का एक नया फ़लसफ़ा इजाद करना चाहता हूँ | मैं तुम्हे साथ जीवन के कुछ बहुत ही महत्त्व और ज़िन्दगी बदलने वाले फ़ैसले लेना चाहता हूँ |

मैं हर पल में तुम्हारा साथ देना चाहता हूँ, तुम्हारे लिए फेवर करना चाहता हूँ पर ये कहते हुए के, "ओके...बट यू ओ में," इसलियें नहीं के इसकी एवज़ में मुझे कुछ चाहियें, अपितु इसलिए के इसके बदले में मुझे तुम्हारे साथ और ज्यादा वक़्त बिताने का मौका मिल जायेगा | मैं कभी कभी तुम पर इतना गुस्सा करना, झल्लाना चाहता हूँ के अंत में मुझे वो शर्म वाली भावना आये और मैं तुमसे अपनी गलती के लिए माफ़ी मांगूं | और मैं चाहता हूँ के तुम भी मेरे साथ ऐसा ही करो | मैं चाहता हूँ के तुम अपनी बड़ी बड़ी आँखों को गोल गोल घुमाकर मेरी तरफ़ा देखकर मुझे कहो के "यार, माफ़ करो, मेरा पीछा छोड़ो" जब मैं तुम्हे हद्द से ज्यादा परेशान करूँ और बदले में मैं तुम्हारे पास आकर धीरे से तुम्हे चुटकी काट लूं | मैं चाहता हूँ के तुम भी वापस मुझे चुटकी काटो | मैं चुटकी काटने की एक छोटी से जंग लड़ना चाहता हूँ | मैं चाहता हूँ के तुम मुझसे कहो के मैं गलत कर रहा हूँ जिससे मैं दोबारा से चुटकी काट सकूँ और यह सिलसिला ऐसे ही चलता रहे | मैं तुम्हारे साथ बैठक में कुश्ती लड़ना चाहता हूँ और तुम्हे चित्त कर ज़मीन पर गिराकर मैं तुम्हे बड़ी चाह से देख कर चिढाना चाहता हूँ "मैं जीत गया, मैं जीत गया" | जबकि ये हुम दोनो जानते हैं के ये तुमने मुझे सिर्फ इसलिए करने किया जिससे हम साथ में ज़िन्दगी का एक और प्यारा सा नज़ारा ज़िन्दगी भर के लिए अपनी स्मृतियों में याद रखें |

मैं अपना सर तुम्हारे कंधे पर रखना चाहता हूँ इसलिए नहीं के मुझे नींद आ रही है पर इसलिए के मैं चुपचाप से तुम्हारे करीब आना चाहता हूँ | मैं चाहता हूँ के तुम मुझे पीछे से आकर अचानक पकड़ लो और मोहकता से लुभाते हुए मेरे कंधे को चूम लो | मैं तुम्हारी गर्दन के पीछे अपना चेहरा छिपाकर अचानक से अपनी पलकों से तुम्हे गुदगुदाना चाहता हूँ | मैं चाहता हूँ तुम मेरी इस हरकत के लिए तुम मुझे "बेवक़ूफ़" कहो और फिर धीरे से कहो, "पर इन सभी हरकतों के लिए मैं तुम्हे चाहती हूँ और तुमसे बेंतेहा बेशुमार प्यार करती हूँ" | मैं सारा शनिवार और इतवार तुम्हारे साथ एक चादर में एक ही आधार में बिताना चाहता हूँ | मैं तुम्हारे साथ अच्छी, बुरी, मीठी, खट्टी, बेतुकी, मज़ेदार, हस्याद्पद, उपहास योग्य, मूर्खतापूर्ण, विचित्र, बदमाश, नटखट, नाज़ुक, और न जाने कैसी कैसी यादें बनाना चाहता हूँ जिन्हें हम आपस में अपने अकेले समय में बाँट सकें और अपनी अपनी प्रतिक्रिया एक दुसरे से कह सकें |

तुम्हारे न होने पर मैं दर्द में तड़पना चाहता हूँ; अपने दिल की गहराई में उस पीड़ा को महसूस करना चाहता हूँ | तुम्हारे चले जाने पर में अपने आपको इस दुनिया का सबसे अकेला इंसान होना कैसा लगता है वो महसूस करना चाहता हूँ | और तुम्हारे वापस आने की वो बेक़रारी मैं ख़ुशी से महसूस करना चाहता हूँ | मुझे यह अच्छी तरह से जानकारी है के मैं तुम्हारा हूँ और तुम मेरी हो | और मैं तुम्हे ये बताना चाहता हूँ के मैं हमेशा तुम्हारे पीछे हूँ जिसे तुम कभी भी मुड़कर देख सकती हो और हमेशा अपने पास पाओगी | अगर किसी को हमारा साथ पसंद न भी हो तब भी मैं तुम्हारा हाथ थामे रहूँगा | मुझे हर वो तनाव, निराशा और कुंठा चाहियें जो मुसीबत के समय में एक रिश्ते में होती हैं क्योंकि इनसे पता चलता है के आप संबद्ध है | मैं चाहता हूँ तुम हमेशा मेरे साथ रहो बावजूद इस कारण के कुछ लोग हमारे खिलाफ खड़े है | मैं उन सब स्तिथियों का सामना तुम्हारे साथ मिलकर करना चाहता हूँ | मैं अपनी बाकि की सारी ज़िन्दगी तुम्हारे साथ बिताना चाहता हूँ पर मैं चाहता हूँ के तुम भी मेरे साथ अपने भविष्य के बारे में सोचो | मैं तुम्हे ज़िन्दगी में आगे बढ़ते देखना चाहता हूँ | न सिर्फ आर्थिक रूप से बल्कि मैं तुम्हे जीवन को खुल के पूरी तरह से ख़ुशी के साथ जीते हुए देखना चाहता हूँ | मैं ये आश्वासन चाहता हूँ के तुम अपनी संभावित ज़िन्दगी खुल कर अपनी शर्तों पर जियो और मुझे उस पर गर्व हो जिस तरह मुझे तुम पर गर्व है |

मैं तुम्हारे साथ युवा प्रेम का अनुभव करना चाहता हूँ | मैं तुम्हारे साथ हाथ में हाथ डाल कर लोगों के बीच घूम कर उन वयोवृद्ध जोड़ों को सुनना और देखना चाहता हूँ जो जवानों के बारे में बातें करते हैं और उनकी खामियां निकलते रहते हैं | मैं चाहता हूँ के तुम मुझ खूब पर जोर से हंसो जब मैं तुमसे कहूँ, "देखो कभी हम दोनों भी इनकी जगह होंगे और ऐसे ही बातें करेंगे" | मैं चाहता हूँ के मैं और तुम मिलकर एक पूरा दिन अपनी गाडी धोने से शुरू करें और मैं पानी के पाइप से तुम्हारे चेहरे पर पानी छिड़क दूं और तुम्हे गीला कर दूं और तुम मेरे पीछे भागो और मुझे ज़मीन पर गिरा दो और साबुन की बाल्टी मेरे सर पर उंडेल दो | मैं चाहता हूँ हम साथ में बैठ कर हॉरर मूवी देखने और जब तक देखने मैं मशगूल रहें जब तक हमें एहसास न हो के अब डर के मरे सोयेंगे कैसे | मैं चाहता हूँ के तुम मेरे पास चुपचाप बैठो और मुझे गिटार बजाते हुए वो गीत और कवितायेँ गाते देखो जो मैंने तुम्हारे लिए लिखे हैं | मैं चाहता हूँ के तुम ऐसा सोचो के मेरे से अच्छा तुम्हारे लिए कोई और लिख नहीं सकता | मैं चाहता हूँ के मेरे गीत, मेरे बोल तुम्हे रुला दें और मैं धीरे से तुम्हारे आंसू पोछ दूं | मैं चाहत हूँ के इसके बाद मैं तुम्हारा फ़ायदा उठाऊं और मैं चाहता हूँ के तुम भी यही चाहो के मैं तुम्हारा फायदा उठाऊं | और बदले में मैं चाहता हूँ के तुम भी मेरा फायदा उठाओ |

मैं चाहता हूँ के हम दोनों चुपचाप के स्वच्छंद, सुविधापूर्ण, आरामदायक ख़ामोशी में बैठे रहे | वहां मैं चुपचाप बिना तुम्हारे जाने तुम्हारा एक चित्र बनाऊं | मैं चाहता हूँ के तुम्हे मालूम हो के मैं क्या कर रहा हूँ पर फिर भी तुम ख़ामोश रहो ताकि वो पल ख़त्म न हो जाए | मैं तुमसे घंटो बैठ कर फ़िज़ूल की बातें करना चाहता हूँ और तुम्हारी उलूल जुलूल बातें सुनकर उन पर धीरे से मुस्कराना चाहता हूँ | अख़बार में आये क्रॉसवर्ड पजल सोल्वे करना चाहता हूँ और कार्टून स्ट्रिप देख देख कर मजाक करना चाहता हूँ | मैं तुम्हे हँसते और मुस्कराते देखना चाहता हूँ क्योंकि इसी एक कारण की वजह से मैं बार बार तुम्हारे इश्क में गिरना चाहता हूँ | मैं अपनी आँखों से तुम्हे अनाभूषित और असज्जित होते देखना चाहता हूँ |

मैं चाहता हूँ के तुम मुझे समझाओ के तुम्हे शृंगार की ज़रुरत नहीं है क्योंकि तुम बिना उसके भी बेहद खूबसूरत दिखती हो | ये बात दीगर है के तुम्हारी उस ख़ूबसूरती को देखकर बहार बच्चे डर के मारे खाना पीना छोड़ देते हैं | मैं चाहता हूँ के तुम मुझे बताओ के जब तुमने अपनी नाक छिदवाई थी और कान छिदवाए थे तब तुम्हे कितना दर्द हुआ था | और मुझसे पूछ के टैटू बनवाते वक़्त मुझे कैसा लग रहा था | मैं तुमसे छोटी छोटी चीज़ों पर झगड़ना चाहता हूँ जैसे कौन सा फ.म रेडियो चैनल सुनना है या फिर टीवी पर कौनसी पिक्चर देखनी है | मैं तुम्हारे साथ बहस करना चाहता हूँ के डोमिनोस का पिज़्ज़ा खाने चला जाये या फिर मकडोनालड का बर्गर जब तलक हम दोनों एकमत न हो जाएँ के आज तो लोटन के छोले कुलचे खाने चलते हैं क्योंकि हम दोनों में से किसी को भी अंग्रेजी खाना पसंद नहीं है | मैं चाहता हूँ के तुम मेरे साथ विडियो गेमस खेलो जिस तरह मैं तुम्हारे साथ घर के काम में हाथ बंटाता रहता हूँ | मैं चाहता हूँ के मैं तुम्हे अपने पसंदीदा खेल खेलना सिखाऊं और तुम अचानक एक दिन मुझे उसमें हरा दो | और मैं चाहता हूँ के तुम इसके बारे में शेखी बघारना शुरू कर दो और कहो के, "यह कोई नौसिखिये का लक नहीं है ये तो मेरी मेहनत से मिली सफलता है" | और फिर मैं तुम्हारे साथ मुक़ाबला करना शुरू कर दूं | और मैं तुम्हारे साथ नई नई चीज़ों पर शर्तें लगाना शुरू कर दूं |

मैं चाहता हूँ के तुम्हे साथ एक बढ़िया सा सालसा डांस करूँ | बार मैं बैठकर तुम्हारे साथ मदिरा पान करूँ और यह देख कर खुश हो जाऊं के तुम मेरे लिए ज़रुरत से ज्यादा फिक्रमंद हो के कहीं मुझे कुछ हो न जाए | मैं चाहता हूँ के हमारी इस बात को लेकर बहुत नोकझोंक हो और हम फ़िज़ूल की बातों पर बहस करें जिनका कोई मतलब नहीं हो | फिर घर आकर तुम्हे मानाने के लिए मैं तुम्हे प्यार करूँ | मैं चाहता हूँ के तुम्हारे दोस्त मुझे पसंद करें | मैं चाहता हूँ के मैं तुम्हे रोज़मर्रा के काम करते देख निहारता रहूँ | मूल रूप से स्वभावतः मैं हर पल तुम्हारे साथ व्यतीत करना चाहता हूँ | मैं सिर्फ तुम्हारे साथ रिश्ता बनाना चाहता हूँ और किसी के साथ नहीं | मुझे मालूम है के मैं अक्सर मीन मेख नीकालता हूँ और मेरे में बहुत सी कमियां है पर तुमने मेरे दिल को कुछ इस तरह से छुआ है जैसे पहले कभी किसी ने नहीं छुआ और अब तुम्हारे प्यार में जो मैं गिर पड़ा हूँ तो अब उठ नहीं सकता और सिर्फ तुमसे ही प्यार कर सकता हूँ | मैं चाहता हूँ के तुम भी मेरे इस सच को स्वीकारो और अपने प्यार का इज़हार मेरे से कुछ ऐसे ही अंदाज़ में करो | मैं हमेशा तुम्हे ऐसे ही चाहूँगा बिना किसी शर्त के क्योंकि अब तो बस तुम हो और तुम्ही हो दूसरा कोई नहीं | मैं सोचता हूँ के जीवन में हर एक को तुम्हारे जैसा प्यार मिलना चाहियें क्योंकि तुम सिर्फ तुम हो और तुम मेरी हो सिर्फ मेरी |

मैं चाहता हूँ के मैं तुम्हे अपने इस प्यार का एहसास इस तरह से करवाऊं के तुम उससे स्वीकार करो, समझो, और सबसे बड़ी बात जो खास है वो ये के तुमने कभी ख्वाबों में ही ऐसे प्यार की परिकल्पना नहीं की होगी इसलिए मैं चाहता हूँ के तुम भी मुझे ऐसे ही शिददत से चाहो और अपना लो |

इन्ही सभी उपमाओं, विचारों और प्रेमालाप से भरी सोच के सपने देखता लोटन अपनी खाट पर पैर पसारे घोड़े बेच कर सो रहा था के तभी अचानक मालिक ने आकर एक ज़ोरदार और झन्नाटेदार लात उसके पिछवाड़े पर जमा दी और कहा के, "हरामखोर आज क्या सोता ही रहेगा, काम पर नहीं जायेगा क्या? देख कितना दिन चढ़ आया है, सूरज सर पर नाच रहा है और तू सपनो में बकड़ बकड़ का कर रहा है और फिलम बना रहा है" |

लोटन बेचारा आधी खुली और आधी बंद भौंचक्की और अलसाई आँखों से तुरंत उठ खड़ा हुआ और लडखडाता, डगमगाता, बडबडाता जी मालिक.. जी मालिक करता हुआ रसोई की ओर निकल गया |

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ये कहानी लेखन का मेरा प्रथम प्रयास था । उम्मीद करता हूँ आपको पसंद आएगा और आशीर्वाद प्राप्त होगा । कोई त्रुटी हो गई हो तो क्षमा चाहूँगा और आपके सुझाव और विचार सादर आमंत्रित हैं । 

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इस ब्लॉग पर लिखी कहानियों के सभी पात्र, सभी वर्ण, सभी घटनाएँ, स्थान आदि पूर्णतः काल्पनिक हैं | किसी भी व्यक्ति जीवित या मृत या किसी भी घटना या जगह की समानता विशुद्ध रूप से अनुकूल है |

All the characters, incidents and places in this blog stories are totally fictitious. Resemblance to any person living or dead or any incident or place is purely coincidental.

मैं और मेरी बिटिया

मैं और मेरी बिटिया दोनों का कुछ ऐसा रिश्ता है जिसे मैं बयां नहीं कर सकता और न ही करने की कोशिश करता हूँ | इस बंधन को समझाना या बतलाना कठिन होगा मेरे लिए | फिलहाल मैं आपको वो दिखा रहा हूँ जिसे देखकर शायद आप भी अपनी हंसी न रोक पायें | जी बिलकुल मैं अपने नए अवतार का परिचय आपसे करवा रहा हूँ जो मेरी छोटी से ४ वर्षीय गुडिया द्वारा बनाया गया है | यूँ तो वो अक्सर ही अपनी चित्रकला में मेरा वर्णन करती रहती है या मेरे नए नए अवतारों को प्रस्तुत करती रहती है परन्तु यह जो चित्रकारी मैं यहाँ प्रदर्शित करने जा रहा हूँ वो मेरे व्यक्तित्व से बहुत ही मेल खाती है | आप भी एक नज़र डालें और मेरी परी के कलात्मकता का आनंद लें |

मेरी बेटी के नज़रिए से मेरा सुन्दर और मनमोहक चित्रण :



























हाँ जी ये महाशय मैं ही हूँ ऐसा मेरी राजकुमारी का कहना है | अब आप सभी समझदार है | मैं तो बिलकुल मान चूका हूँ के ये मैं ही हूँ सौ फीसदी क्योंकि उसने अपनी प्यार भरी और दुलार भरी दलीलों से मुझे मानने के लिए मना ही लिया | बस अब वो खुश हो गई है | वो खुश तो मैं खुश | और मेरी दुआ है के वो सदा ऐसे ही खुश रहे मुस्कराती रहे |

आप सोचते होंगे की ये कलाकृति आज क्यों पोस्ट कर रहा हूँ दरअसल परिवार के साथ वो गई है घुमने और मैं अकेला बैठा उससे याद कर रहा था | नींद भी गायब है आँखों से | तो इस तस्वीर को देखकर ही मुस्करा रहा हूँ और उसकी बातें याद कर रहा हूँ | आशीर्वाद के साथ ढेर सारा प्यार, लाड़ और दुलार |

शुक्रवार, जनवरी 11, 2013

तलाश

हे करुनामय
रात के अँधेरे में
जब तुम
सो जाते थे
तब एक आत्मा
भटकती थी
एक घर की
तलाश में
जहाँ मुझ
प्यासे
को पानी, पानी
चाहियें था
कुएं की
छाँव चाहियें थी
पीपल के वृक्ष की
छैया पर
जब तुमने
दिन के
उजाले में
वो घर दिया
तब वहाँ
न तो
पीपल ही था
न था वह
कुआँ
मेर प्यास
एक प्यास ही
रह गई
रह गई
एक भटकन
जो मेरे शरीर में
रहते हुए भी
अहसास कराती है
उस स्वप्न की
जिसकी छाँव
जिसकी प्यास
की मुझे
अनंत जीवन तक
तलाश थी
क्यों
हे नियति
मैं तुझसे
पूछता हूँ
क्या ज़रुरत
थी मुझे
उजाले में
स्वप्न दिखने की
जबकि तू
जानता था
कुआँ और पीपल
मुझे कभी
वापस नहीं
मिल सकता

गुरुवार, जनवरी 10, 2013

गुलगुले जन्म दिवस की शुभकामनायें

आज जीवन का एक और आनंदमय दिवस बीता | छोटी बेटी जिसे मैं अक्सर गुलगुला, गोलू राम, बम का गोला, जिआन, लालाजी सरीखी उपमाओं से संबोधित कर प्रेमपूर्वक सहज भाव से पुकारता रहता हूँ और वो हंसती और खिलखिलाती, शरारत करती मस्त होकर गजराज की भांति आकर मुझसे लिपट जाया करती है | जी हाँ आज मेमसाब का जन्म दिवस है | ९ जनवरी, ऐसा लगता है के मानो अभी तो छोटी सी वो आई थी मेरी गोद में और आज इतनी बड़ी की भी हो गई  | सुबह से बहुत ही खुश थी | खूब उछल कूद मचा रही थी | हर तरफ़ा धमाचौकड़ी  | मानो आज हाथी की लाटरी लग गई हो |
"आज मेरा हैप्पी बर्थडे है न! हैप्पी बर्थडे टू श्रेया" कहती खुद ही इधर उधर शैतानी करती कूद काद रही थी | जी 'श्रेया' नाम है उसका | आप सोचते होंगे के ये क्या, अजी तो बताये देता हूँ के आज उसने अपने जीवन के ३ वर्ष हर्षोल्लास के साथ सम्पूर्ण किये | सुबह से उसके चेहरे के वो मुस्कान और खिलखिलाहट देखने लायक थी | सुबह से नया सिला हुआ फ्रॉक पहन कर इतरा रही भवरे की भांति गुंजन करती, मुझे और घर के दुसरे सदस्यों को बताती, इठलाती-इतराती मटक रही थी मानो कोई खज़ाना हाथ आया हो | मेरी बड़ी बिटिया के साथ मिलकर न जाने क्या क्या खिचड़ी पका रही थी | हालाँकि वो श्रेया से सिर्फ १ वर्ष बड़ी है पर फिर भी वो ऐसे बर्ताव करती है जैसे न जाने कितनी बड़ी है |
 "श्रेया आज तुम्हारा हैप्पी बर्थडे है | आज तुम्हे केक मिलेगा और गिफ्ट भी | आज शाम को पिज़्ज़ा पार्टी होगी | पापा पिज़्ज़ा लायेंगे | पापा ने बहुत अच्छा डोरेमोन और जिआन वाला केक बनवाया है तुम्हारे लिए | तुम अपना होमवर्क जल्दी से फिनिश कर लो फिर पार्टी होगी पार्टी |"
उत्तर आता है "नहीं आज होमवर्क नहीं करना | कल करुँगी प्रॉमिस | आज तो मेरा बर्थडे है आज हॉलिडे है | होमवर्क का टाइम नहीं है अभी | आजा 'सिद्धि' बहन खेलते हैं |"
बस आज सुबह से यही सब देखदेख कर और सुन सुन कर दिल ख़ुशी के मारे फूला नहीं समां रहा था | दोनों के लिए दिल से दुआएं निकल रही थी के दोनों का प्यार सदैव ऐसे ही बरक़रार रहे | किसी की नज़र न लगे | दोनों की नज़र उतरने का दिल कर रहा था और बालाएं लेने का भी | तो साब इस सब कौतुहल के साथ शाम ने कदम रखा और जी आ गया मेमसाब का केक और होम मेड पिज़्ज़ा का सारा सामान | मैंने घर के अन्य सदस्यों के साथ मिलकर थोड़ी बहुत सजावट भी की | थोड़े से गुब्बारे और कुछ साजो-सज्जा का सामान सजाया गया | बस हम घर के ही सदस्य थे तो फटाफट टेबल सजा कर केक लाकर रख दिया | कुछ फोटो शोटो भी खींच डाले गए | पर वहां तो जल्दी मच रही थी की केक कब खाने को मिलेगा | जब केक काटने का समय आया तो भोलूराम का मन नहीं माना, जितने मैं मोमबत्तियां लगता उतने में तो श्री गणेश भी हो गया | हाँ जी वो आई और झट से एक ऊँगली लगा कर चख लिया केक को | उसका उतावलापन देख इतनी ज़ोर के हंसी आई के पूछो मत | ज़रा सा गुस्सा भी आया क्योंकि अभी तक केक का फोटो तो लिया ही नहीं था | फिर मैंने सोचा के चलो कोई नहीं नज़र का टीका लग गया केक को | अब अच्छे से होगा सब | तो हुज़ूर मोमबत्तियां लग गईं, छुरी थमा दी गई हाथों में और शमा बुझाने को कहा था तो मोटूराम की तो हवा ही निकल गई | दरअसल वो 'मैजिक कैंडल्स' थीं | आप बुझाते रहिये और वो बुझने का नाम भी नहीं लेंगी |
मेरी ओर देख कर बड़े मासूम अंदाज़ में वो तुरंत बोलीं "यह गन्दी कैंडल है, केक कब खाने को मिलेगा" | बस फिर क्या था, आनन फानन तुरंत केक कटवाया गया और हाज़िर कर दिया गया प्लेट में सजा कर | अभी केक खत्म भी न हो पाया था, फरमाइश आई
"अरे मेरा पिज़्ज़ा कहाँ है, अभी वो भी तो खाना है | जल्दी करो न | वो कब बनेगा ? |" हँसते हँसते लोटपोट होते हुए मैंने कहा, "अरे पहले यह तो फिनिश करो | पिज़्ज़ा भी आ रहा है पहले केक तो खा लो |"
फिर साब क्या था डिनर में पिज़्ज़ा परोसा गया और इस तरह आज का दिन संपन्न हुआ |
बस मेरी दुआ इतनी सी ही है के ऐसे ही हँसते-गाते  खेलत-कूदते ज़िन्दगी के सभी दिन बीत जाएँ तो ज़िन्दगी का सफ़र कैसे कट जायेगा पता भी नहीं चलेगा | भगवन हम सभी पर ऐसे ही अपनी कृपा बनाये रखें और अपना आशीर्वाद देते रहें यही मनोकामना है प्रभु से |
हैप्पी बर्थडे टू यू गोलू, मेरा आज का दिन और जीवन का हर एक दिन सुन्दर बनाने के लिए बहुत बहुत लाड़, प्यार और ढेरों आशीर्वाद | मेरी दो छोटी छोटी गुड़ियाँ, चिडकली, मनभावनी, मनमोहिनी, परियां सदा ऐसे ही चहकती रहो, खिलखिलाती रही, मुस्कुराती रहो और मुझे गुदगुदाती रहो |
बहुत बहुत बहुत ढेरों-मटेरों सारा प्यार और आशीर्वाद |





















राष्ट्र भाषा "हिंदी"

लो जी आज फिर से नींद ग़ाफूर हो गई है आँखों से | अभी अभी बिग बॉस देख कर बैठा था | सोचा क्या करूँ तो पुरानी स्कूल वाली डाईरी खंगालने लग गया | सोचा कुछ तो ऐसा होगा जो मज़ेदार हाथ लगेगा और मैं उससे ब्लॉग पर पोस्ट कर दूंगा | तो ये एक कविता सामने आई | पढ़कर लगा के आजकल के माहौल के मुताबिक सटीक बैठेगी | सो आपके सम्मुख प्रस्तुत है पढ़ें, आनंद लें और बताएं के कैसी लगी?

लाड़ेज़ और जेंटलमैन
इंडिया एक बहुत बड़ी कंट्री है
इसमें मैनी लैंग्वेज बोलने वाले लोग हैं
हम सब इंडिया के सिटीजन हैं
हिंदी हमारी मदर लैंग्वेज है
इसलिए हिंदी बोलना कंपल्सरी है
एंड हिंदी लिखना नेसेसरी है
पर आज की यंग जनरेशन
हिंदी बोलने और लिखने में शर्म फील करती है
जब भी अपना माउथ खोलती है
इंग्लिश में ही बोलती है
किसी पर्सन की पर्सनेलिटी को
अन्ग्रेज़ीअत में तोलते हैं
लेकिन हिंदी के इम्प्रूवमेंट के लिए
हमें डेली लाइफ में उसे करनी है हिंदी
हमें हिंदी को वर्ल्ड वाइड पहुँचाना है
हिंदी में इंग्लिश मिलाकर
उसका मिक्सचर मीन्स हिंगलिश नहीं बनाना है
दैन ओनली भारत माता के
ड्रीम होंगे सच एंड हमारी
मदर लैंग्वेज हिंदी की होगी इज्ज़त...

बुधवार, जनवरी 09, 2013

वीणा

मेरे मन मस्तिष्क
के तारों को
वीणा मत बनने देना
भगवन
क्योंकी वह वीणा 
जो स्वर निकलती है
ये परिवेश उसे
नहीं स्वीकार पायेगा
स्वयं मैं भी
पथराया सा
अनजान रास्ते
पर बिना स्वर के
उस वीणा को
छेड़ देता हूँ
जिसके स्वर से
ईश्वर तुझे भी रोना
न आ जाये
वो दर्द तेरी
पत्थर की बुत
को भी तोड़ देगा
देख अपनी वीणा को
जो तूने मुझे सौंपी है
बजाने के लिए
एक नियत
स्वर दे
जिससे मैं
आठों पहर
तेरी वीणा से
तेरे ही राग
गया करूँ
मेरे मन मस्तिष्क
को आयाम दे
जिससे मैं कोई
मंजिल देख सकूँ

मंगलवार, जनवरी 08, 2013

पीड़ा के तोशक

चंद कोमल सासें चुराकर
भवितव्यता से भौहें भिगोकर
हारते खेल की बाज़ी खेलकर
इश्क में परवाह का जुआ लगाकर

कसक की रजाई ओढ़क्रर
ग़म-ए-ज़िन्दगी की नुमाइश
धोखा देते ज़िन्दगी के साल
खोई युवावस्था के दाग़
परिपक्वता की अभिरंजित सरसराहटें

विद्युन्यय तरंगे
व्यंग्यात्मक फुसफुसाहट
पानी का चटकना
बुखार में तेज़ तपना

शठ कड़कड़ाहट
सरकती झनझनाहट
निष्प्रभ अश्रु
बायां खयाल

मायावी मृगतृष्णा
मतिभ्रम उपभोगन
दिमाग़ी शस्त्राभ्यास
विस्फ़ोटक धडकन

अंततः संगीतमय
अंतिम आकलन
फिर निस्तब्धता
कुछ रुकी श्वास
ख़ामोश वृन्द

इस सबका क्या अर्थ है?

पीड़ा के तोशक ओढ़े
हताशा में भी शांत रहना

मैंने सोचा

मैंने सोचा
मैं रो दूंगा
तुम्हारे जाने पर
पर नहीं

मैंने सोचा
मैं मर जाऊंगा
तुम्हारे जाने पर
पर नहीं

पर अब
मैं सोचता हूँ
उन खुशनुमा
पलों के बारे में
जो कभी साथ बिताये थे
मैं रोता हूँ

मैं रोता हूँ
क्योंकि
मुझे पता है
हम कभी खुश थे

मैं रोता हूँ
क्योंकी
मुझे पता है
अब कभी
नहीं मिलेंगे

मैं रोता हूँ
क्योंकि
मुझे पता है
अब एक दुसरे को
कभी देख नहीं पाएंगे

अब दर्द
धीरे धीरे
कम हो रहा है
दिल भी
मेरे और
ज़िन्दगी से साथ
मर गया है

रविवार, जनवरी 06, 2013

The Power of Silence


Are you there? 
Can you hear me?
Possibly not because I am silence
My authority reigns over me and keeps me reserved
The atrocities I see and hear keep me silent
The violence overwhelming or souls keep me silent
The dispute And uncommon regard has me silent
Your wealth and greed have kept me silent
The lack of wisdom and fairness keep me silent
I do not shed a tear when silent
Because to cry would show my inner emotion
And that is silent
You rule the world as if
You only exist not seeing the truth
You have consumed us of a life
Your silence has confused and belittled us
Because your silence equals authority
What happened to you?
You were kind, compassionate and very loving
I understand how our silence has led us
To knowing what we are feeling
What we are thinking
What we love
What we want
And most of all
What is important
Your silence has led me to my ruin
Your silence has led me to my confusion
Your silence has led me to our disputes
Your silence has led me to a world without love
Your silence has killed many before and after me

हे स्त्री

हे स्त्री
तुझे
आर्थिक रूप से
सामाजिक रूप में
कब तक
दासता में
जीना होगा
जगत धारिणी
जगत जननी
नाम से तुझे
सभी जानते हैं
तुलसी भी
सीता का
पुजारी पर
ढोल, गंवार
पशु के साथ
उसने भी
जोड़ा था
तुझे
क्यों
क्या तू
कोई चल अचल
संपत्ति है
एक सवाल
हर स्त्री
पूछती है
पर
पुरुष प्रधान
समाज में
कोई भी
तुझे
मुक्ति नहीं देगा
कभी पिता, पति
कभी पुत्र
कभी भी
दासता से
नहीं छोड़ सकते
शायद तेरे से
ग़ुलाम ही
बेहतर हैं
एक स्तिथि तक...

पुत्र मोह या मोक्ष मोह

हे पुत्र तुम्हारे कंदन में
शायद
किसी के
सहारे की
या
किसी को
कर्त्तव्य एहसास
करने की
शक्ति थी
तभी तो
मैं
अपनी समृद्धि
के बाद भी
न भूल
पायी
वो आँखें
वो सपना
वो घर
जिसका खोजना
शायद
भगवन के
लिए भी
मुश्किल था
जहाँ
सूरज को भी
आते जाते
शाम हो जाती है
पर उस
उत्तम घर का
स्वामी एक
रत्न है
जिसकी चमक शायद
सूरज से
ज्यादा भी
तभी तो, मैं
अनजाने
परिवेश में
उस को पा गई
तुम्हारे कंदन में
मेरे हृदय की धड़कन
मानो खुद भी
कंदन करने
लगती है
आँखे पथराई सी
धड़कन को
देखना चाहती हैं
सुनना चाहती हैं
पर पुत्र वो
चाहती हैं, अपना
छोड़ा हुआ, वो
सलोना सा मुखड़ा
जिसमें मेरे
दोनों जहाँ थे
अब अपने
कंदन को
कर्म बना डालो
दे दो मुक्ति
मेरे ह्रदय की
धड़कन को
जो शरीर के
रहते भी
उसको विचलित
किये रखती है
मन मस्तिष्क को
मैं तुम्हें
अपार स्नेह स्वरुप
उपहार में देती हूँ
क्योंकि ये शरीर
तुम्हारी ममतामयी का नहीं है

दामिनी की मौत की कहानी, दोस्त की जुबानी (पढ़िये पूरा सच)

दिल्ली गैंगरेप की पीड़ित लड़की जिसकी मौत हो चुकी है उनके पुरुष मित्र और इस केस में एकमात्र गवाह ने शुक्रवार को पहली बार इस मसले पर ज़ी न्यूज़ से बात की। बातचीत में पीड़िता के दोस्त ने बताया कि 16 दिसंबर 2012 की रात हैवानियत वाली घटना के बाद भी उनकी दोस्त जीना चाहती थी। 
उस भयावह रात क्या-क्या हुआ, उसे विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि छह आरोपियों ने जब उन्हें बस से बाहर फेंक दिया तो कोई भी उनकी मदद के लिए आगे नहीं आया। यहां तक कि पुलिस की तीन-तीन पीसीआर वैन आई और पुलिस थानों को लेकर उलझी रही। उन्हें अस्पताल ले जाने में दो घंटे से अधिक का समय लगा दिया गया।
पीड़िता के दोस्त ने कहा कि छह आरोपियों ने जब उन्हें बस से बाहर फेंक दिया तो कोई भी उनकी मदद के लिए आगे नहीं आया। यहां तक कि पुलिस आई और उन्हें अस्पताल ले जाने में दो घंटे से अधिक समय लगा दिया। उन्होंने कहा कि 16 दिसंबर से विरोध-प्रदर्शन हो रहे हैं। गैंगरेप के खिलाफ लोग सड़कों पर हैं। 
उन्होंने कहा, ‘इस भयावह घटना पर मीडिया में बहुत सारी चीजें आई हैं और लोग इसके बारे में अलग-अलग बातें कर रहे हैं। मैं लोगों को बताना चाहता हूं कि हमारे साथ उस रात क्या हुआ। मैं बताना चाहता हूं कि मैंने और मेरी दोस्त ने उस रात किन-किन मुश्किलों का सामना किया।’  उन्होंने उम्मीद जताई कि इस त्रासदपूर्ण घटना से अन्य लोग सबक सीखेंगे और दूसरे का जीवन बचाने के लिए आगे आएंगे। 
उन्होंने कहा कि छह आरोपियों ने 16 दिसंबर की रात उन्हें बस में चढ़ने के लिए प्रलोभन दिया। पीड़ित लड़की के दोस्त ने बताया, ‘बस में काले शीशे और पर्दे लगे थे। बस में सवार लोग पहले भी शायद अपराध में शामिल थे। 
ऐसा लगा कि बस में सवार आरोपी पहले से तैयार थे। ड्राइवर और कंडक्टर के अलावा बस में सवार अन्य सभी यात्री की तरह बर्ताव कर रहे थे। हमने उन्हें किराए के रूप में 20 रुपए भी दिए। इसके बाद वे मेरी दोस्त पर कमेंट करने लगे। इसके बाद हमारी उनसे नोकझोंक शुरू हो गई।’
उन्होंने बताया, ‘मैंने उनमें से तीन को पीटा लेकिन तभी बाकी आरोपी लोहे की रॉड लेकर आए और मुझ पर वार किया। मेरे बेहोश होने से पहले वे मेरी दोस्त को खींच कर ले गए।’ पीड़िता के दोस्त ने बताया, ‘हमें बस से फेंकने से पहले अपराध के साक्ष्य मिटाने के लिए उन्होंने हमारे मोबाइल छीने और कपड़े फाड़ दिए।’ 
पीड़िता के दोस्त ने बताया, ‘जहां से उन्होंने हमें बस में चढ़ाया, उसके बाद करीब ढाई घंटे तक वे हमें इधर-उधर घुमाते रहे। हम चिल्ला रहे थे। हम चाह रहे थे कि बाहर लोगों तक हमारी आवाज पहुंचे लेकिन उन्होंने बस के अंदर लाइट बंद कर दी थी। यहां तक कि मेरी दोस्त उनके साथ लड़ी। उसने मुझे बचाने की कोशिश की। मेरी दोस्त ने 100 नंबर डॉयल कर पुलिस को बुलाने की कोशिश की लेकिन आरोपियों ने उसका मोबाइल छीन लिया।’
उन्होंने कहा, ‘बस से फेंकने के बाद उन्होंने हमें बस से कुचलकर मारने की कोशिश की लेकिन समय रहते मैंने अपनी दोस्त को बस के नीचे आने से पहले खींच लिया। हम बिना कपड़ों के थे। हमने वहां से गुजरने वाले लोगों को रोकने की कोशिश की। करीब 25 मिनट तक कई ऑटो, कार और बाइक वाले वहां से अपने वाहन की गति धीमी करते और हमें देखते हुए गुजरे लेकिन कोई भी वहां नहीं रुका। तभी गश्त पर निकला कोई व्यक्ति वहां रुका और उसने पुलिस को सूचित किया। 
पीड़िता के दोस्त ने अफसोस जाहिर करते हुए कहा कि बस से फेंके जाने के करीब 45 मिनट बाद तक घटनास्थल पर तीन-तीन पीसीआर वैन पहुंचीं लेकिन करीब आधे घंटे तक वे लोग इस बात को लेकर आपस में उलझते रहे कि यह फलां थाने का मामला है, यह फलां थाने का मामला है। अंतत: एक पीसीआर वैन में हमने अपनी दोस्त को डाला। वहां खड़े लोगों में से किसी ने उनकी मदद नहीं की। संभव है लोग ये सोच रहे हों कि उनके हाथ में खून लग जाएगा। दोस्त को वैन में चढ़ाने में पुलिस ने मदद नहीं की क्योंकि उनके शरीर से अत्यधिक रक्तस्राव हो रहा था। घटनास्थल से सफदरजंग अस्पताल तक जाने में पीसीआर वैन को दो घंटे से अधिक समय लग गए। 
दिवंगत लड़की के दोस्त ने बताया कि पुलिस के साथ-साथ किसी ने भी हमें कपड़े नहीं दिए और न ही एम्बुलेंस बुलाई। उन्होंने कहा, ‘वहां खड़े लोग केवल हमें देख रहे थे।’ उन्होंने बताया कि शरीर ढकने के लिए कई बार अनुरोध करने पर किसी ने बेड शीट का एक टुकड़ा दिया। उन्होंने बताया,‘वहां खड़े लोगों में से किसी ने हमारी मदद नहीं की। लोग शायद इस बात से भयभीत थे कि यदि वे हमारी मदद करते हैं तो वे इस घटना के गवाह बन जाएंगे और बाद में उन्हें पुलिस और अदालत के चक्कर काटने पड़ेंगे।’
उन्होंने बताया, ‘यहां तक कि अस्पताल में हमें इंतजार करना पड़ा और मैंने वहां आते-जाते लोगों से शरीर पर कुछ डालने के लिए कपड़े मांगे। मैंने एक अजनबी से उनका मोबाइल मांगा और अपने रिश्तेदारों को फोन किया। मैंने अपने रिश्तेदारों से बस इतना कहा कि मैं दुर्घटना का शिकार हो गया हूं। मेरे रिश्तेदारों के अस्पताल पहुंचने के बाद ही मेरा इलाज शुरू हो सका।’
उन्होंने कहा, ‘मुझे सिर पर चोट लगी थी। मैं इस हालत में नहीं था कि चल-फिर सकूं। यहां तक कि दो सप्ताह तक मैं इस योग्य नहीं था कि मैं अपने हाथ हिला सकूं।’ उन्होंने कहा, ‘मेरा परिवार मुझे अपने पैतृक घर ले जाना चाहता था लेकिन मैंने दिल्ली में रुकने का फैसला किया ताकि मैं पुलिस की मदद कर सकूं। डॉक्टरों की सलाह पर ही मैं अपने घर गया और वहां इलाज कराना शुरू किया।’
उन्होंने कहा, ‘जब मैं अस्पताल में अपनी दोस्त से मिला था तो वह मुस्कुरा रही थीं। वह लिख सकती थीं और चीजों को लेकर आशावान थीं। मुझे ऐसा कभी नहीं लगा कि वह जीना नहीं चाहतीं।’ उन्होंने बताया, ‘पीड़िता ने मुझसे कहा था कि यदि मैं वहां नहीं होता तो वह पुलिस में शिकायत भी दर्ज नहीं करा पाती। मैंने फैसला किया था कि अपराधियों को उनके किए की सजा दिलाऊंगा।’
पीड़िता के दोस्त ने बताया कि उनकी दोस्त इलाज के खर्च को लेकर चिंतित थी। उन्होंने कहा, ‘मेरी दोस्त का हौसला बढ़ाए रखने के लिए मुझे उनके पास रहने के लिए कहा गया।’ उन्होंने बताया, ‘मेरी दोस्त ने महिला एसडीएम को जब पहली बार बयान दिया तभी मुझे इस बात की जानकारी हुई कि उनके साथ क्या-क्या हुआ। उन आरोपियों ने मेरी दोस्त के साथ जो कुछ किया, उस पर मैं विश्वास नहीं कर सका। यहां तक जानवर भी जब अपना शिकार करते हैं तो वे अपने शिकार से इस तरह की क्रूरता के साथ पेश नहीं आते।’
दिवंगत लड़की के दोस्त ने कहा, ‘मेरी दोस्त ने यह सब कुछ सहा और उन्होंने मजिस्ट्रेट से कहा कि आरोपियों को फांसी नहीं होनी चाहिए बल्कि उन्हें जलाकर मारा जाना चाहिए।’ उन्होंने बताया, ‘मेरी दोस्त ने एसडीएम को जो पहला बयान दिया वह सही था। मेरी दोस्त ने काफी प्रयास के बाद अपना बयान दिया था। बयान देते समय वह खांस रही थीं और उनके शरीर से रक्तस्राव हो रहा था। बयान देने को लेकर न तो किसी तरह का दबाव था और न ही हस्तक्षेप। लेकिन एसडीएम ने जब कहा कि बयान दर्ज करते समय उन पर दबाव था तो मुझे लगा कि सभी प्रयास व्यर्थ हो गए। महिला एसडीएम का यह कहना कि बयान दबाव में दर्ज किए गए, गलत है।’
यह पूछे जाने पर कि इस तरह की घटना दोबारा से न हो, यह सुनिश्चित करने के लिए वह क्या सुझाव देना चाहेंगे। इस पर दोस्त ने कहा, ‘पुलिस को यह हमेशा कोशिश करनी चाहिए कि पीड़ित व्यक्ति को जितनी जल्दी संभव हो अस्पताल पहुंचाया जाए। पीड़ित को भर्ती कराने के लिए पुलिस को सरकारी अस्पताल नहीं ढूढ़ना चाहिए। साथ ही गवाहों को भी परेशान नहीं किया जाना चाहिए।’
उन्होंने कहा कि कोई मोमबत्तियां जलाकर किसी की मानसिकता को नहीं बदल सकता। उन्होंने कहा, ‘आपको सड़क पर मदद मांग रहे लोगों की सहायता करनी होगी।’ उन्होंने कहा, ‘विरोध-प्रदर्शन और बदलाव की कवायद केवल मेरी दोस्त के लिए नहीं बल्कि आने वाली पीढ़ी के लिए भी होना चाहिए।’
पीड़िता के दोस्त ने कहा कि सरकार द्वारा गठित जस्टिस वर्मा समिति से वह चाहते हैं कि वह महिलाओं की सुरक्षा और बेहतर करने और शिकायतकर्ता के लिए आसान कानून बनाने के लिए उपाय सुझाए। उन्होंने कहा, ‘हमारे पास ढेर सारे कानून हैं लेकिन आम जनता पुलिस के पास जाने से डरती है क्योंकि उसे भय है कि पुलिस उसकी प्राथमिकी दर्ज करेगी अथवा नहीं। आप एक मसले के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट शुरू करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन यह फास्ट ट्रैक कोर्ट हर मामले के लिए क्यों नहीं।’
पीड़िता के दोस्त ने खुलासा किया, ‘मेरे इलाज के बारे में जानने के लिए सरकार की तरफ से किसी ने मुझसे संपर्क नहीं किया। मैं अपने इलाज का खर्च स्वयं उठा रहा हूं।’ उन्होंने कहा, ‘मेरी दोस्त का इलाज यदि अच्छे अस्पताल में शुरू किया गया होता तो शायद आज वह जिंदा होती।’ 
बता दें कि गैंगरेप पीड़िता का इलाज पहले सफदरजंग अस्पताल में किया गया था। इसके बाद उन्हें बेहतर इलाज के लिए सिंगापुर भेजा गया। पीड़िता के दोस्त ने यह भी बताया कि पुलिस के कुछ अधिकारी ऐसे भी थे जो यह चाहते थे कि वह यह कहें कि पुलिस मामले में अच्छा काम कर रही है। 
उन्होंने बताया, ‘पुलिस अपना काम करने का श्रेय क्यों लेना चाहती थी? सभी लोग यदि अपना काम अच्छी तरह करते तो इस मामले में कुछ ज्यादा कहने की जरूरत नहीं पड़ती।’ पीड़िता के दोस्त ने कहा, ‘हमें लम्बी लड़ाई लड़नी है। मेरे परिवार में यदि वकील नहीं होते तो मैं इस मामले में अपनी लड़ाई जारी नहीं रख पाता।’
उन्होंने कहा, ‘मैं चार दिनों तक पुलिस स्टेशन में रहा, जबकि मुझे इसकी जगह अस्पताल में होना चाहिए था। मैंने अपने दोस्तों को बताया कि मैं दुर्घटना का शिकार हो गया हूं।’ उन्होंने कहा, ‘मामले में दिल्ली पुलिस को स्वयं आकलन करना चाहिए कि उसने अच्छा काम किया है अथवा नहीं।’
उन्होंने  कहा, ‘यदि आप किसी की मदद कर सकते हैं तो उसकी मदद कीजिए। उस रात किसी एक व्यक्ति ने यदि मेरी मदद की होती तो आपके सामने कुछ और तस्वीर होतीं। मेट्रो स्टेशन बंद करने और लोगों को अपनी बात कहने से रोकने की कोई जरूरत नहीं है। व्यवस्था ऐसी होनी चाहिए कि जिसमें लोगों का विश्वास कायम रहे।’
उन्होंने बताया, ‘हादसे की रात मैं अपनी दोस्त को छोड़कर भागने के बारे में कभी नहीं सोचा। ऐसी घड़ी में यहां तक कि जानवर भी अपने साथी को छोड़कर नहीं भांगेंगे। मुझे कोई अफसोस नहीं है। लेकिन मेरी इच्छा है कि शायद उसकी मदद के लिए मैं कुछ कर पाया होता। कभी-कभी सोचता हूं कि मैंने ऑटो क्यों नहीं किया, क्यों अपनी दोस्त को उस बस तक ले गया।’

शनिवार, जनवरी 05, 2013

किसी की नज़र न लगे

तेरी आशिकी का मिजाज़
मुझे क़ातिलाना लगे
जो बुरा न माने तू
कुछ अदाएँ चुरालूं तुझसे
आलम दिल का ये है अब
न जाने क्यों हर बेगाना
मुझे दीवाना लगे

तेरी नज़रों में बहता सागर
मुझे मयखाना लगे
जो बुरा न माने तू
कुछ जाम चुरालूं इनसे
आलम नज़रों का ये है अब
न जाने क्यों सियाह रात
तेरा काजल लगे

अब और क्या कहे
'निर्जन' तुझसे
बस इतनी दुआ है रब से
मेरे इन एहसासों को
किसी की नज़र न लगे

सोच

जागते बीत गयी ज़िन्दगी यूँ ही 
नज़रे गाफिल हैं ख्वाबों से अब तो 
नींद तो अब क्या ही आएगी 'निर्जन'
मौत आएगी तब सो लेंगे ज़रा...

गुरुवार, जनवरी 03, 2013

पराजय, नुकसान, असफलता, द्वेष, इर्ष्या के लक्षण

वो सर्वप्रथम स्मरण शक्ति को प्रभावित करता है | आप भूल जाते हैं आप क्या कर रहे थे, क्या किया था तथा क्या करने वाले थे | विचार शीघ्रगामी तरीके से मस्तिष्क छोड़ने लगते हैं जब तक खालीपन की प्रतिध्वनि सुनाई नहीं देने लगती | फिर सपने | फिर विलम्ब, सम्मिश्रण, प्रतिगम - परिवर्तन | फिर अनुभव | फिर भाषा | फिर सन्तुलन | और इसके पश्चात आपकी मृत्यु |

आपका मस्तिष्क कुतूहलपूर्ण ढंगे से जल्दी जल्दी आपको विचलित करेगा | अलगाव की भावना सामान्यतः प्रारम्भिक प्रतीक है: आपने अपने आप को बिसूरना प्रारंभ कर दिया है | जैसे जैसे मर्ज़ अग्रगमन करता है, आप नुक़सान करने लगेंगे और पराजित होने लगेंगे | आप मुलाक़ात और मेल मिलाप में असफल होने लगेंगे जो आपकी ज़िन्दगी की तरक्क़ी में अहमियत रखती हैं | आपक निजी जीवन अस्त व्यस्त होने लगेगा | आपका मंजन आपके घर की चाबी और चाबियाँ आपकी बीवी और बीवी आपकी दुश्मन और दुश्मन आपके माता पिता बन जायेंगे |

इस परिस्थिति की सम्पूर्णता एक अनाम वियोग के इन्द्रियज्ञान से अधिकृत होगी | आप संभवतः समझेंगे और प्रतीत होगा जैसे आप भूतग्रस्त, आत्मसात्, अपहृत, मृत, बदले हुए इंसान हैं | आपके ज़िन्दगी के ज़ायके पुनर्भिविन्यासित होंगे | आप नई उत्कट इच्छाओं, अधिहृषता, अंधभक्ति की उधारना करेंगे | इसी समय आपकी अरुचि विसर्जित होने लगेगी | समस्त संसार से विच्छेद होने लागेगा | आपके विचार स्वयं प्रभावशून्य होते प्रतीत होंगे |

प्रारंभिक आसार अहानिकर होंगे; सामान्य परिणाम जैसे तनाव और हार्मोनल असंतुलन: हलकी अन्यमनस्कता, एकाग्रता में कठिनाई, स्तब्ध भावनाएं, कुत्सित स्मृति | लपस के लिए आकस्मिक उत्तेजना | काल्पनिक विचारधारा का सत्याभास होना | ख्वाबों का अत्यंत आक्रामक होना और सपनो को स्मरणशक्ति द्वारा याद करने में क्षीर्ण होना | अनिश्चितता के भाव द्वारा अनुसरण अन्यथा प्रत्यक्ष वस्तुएं के लिए जैसे स्पष्ट सरूपता | संदेह, सामान्य स्तिथि में सभी वस्तुओं पर |

सनकीपन - ज़बर्दस्त प्रवृत्ति उत्पन्न होना | विश्वास, क्रियापद्धति तथा अन्य ज्ञानरहित आचरण - जिसमें बढ़ी हुई आध्यात्मिकता - असामान्य नहीं है | संभवतः आप अंतर्निहित दिमाग़ी संवेदना से त्रस्त - खाना, पीना, सोना, करना, धोना सभी निष्फल होंगे |

आप प्रायः तुच्छ तथा निरर्थक वस्तुओं से, सम्भावित वस्तुओं से और पूर्वकालिक वस्तुओं से भयभीत होंने लगेंगे | आपके विचार जो अपने दिमाग में दौड़ रहे होंगे - ऐसे प्रतीत होंगे जैसे किसी बंद परिपथ पर रफ़्तार से दौड़ रहे हों | और समय के साथ वो विचार अस्पष्ट, अस्पृश्य और सहभागी करने योग्य नहीं रहेंगे | आपकी चित्त वृत्ति का प्रकृति प्रत्यक्षीकरण का भी यही हाल होगा जब तक वो गूढ़ नहीं होते और फिर बाद मे वह धुंधले पड़ने लग जायेंगे |

ध्यान केन्द्रित करने, तर्क सिद्ध निष्कर्ष निकलने, संचारण करने, जानकारी ग्रहण करने में कठिनाई उत्पन्न होगी | दूसरों के सुझाव, वार्तालाप, व्याख्यान सभी व्यर्थ लगेंगे | आपको कुछ भी याद नहीं रहेगा | आपकी सोचने, समझने, सुनने, देखने, जानने की क्षमता कुंद हो जाएगी | आप रंग भेद का फर्क भी अलग दिखने लगेगा | ये भी हो सकता है के इस स्तिथि में आप पढ़ना-लिखना, चेहरे पहचानना भूल जाएँ | यह भी मुमकिन है और सत्याभास है के आप मतिभ्रम हो जाएँ या आगे जाकर पूर्ण रूप से दृष्टिहीन हो जाएँ | आप दूसरों पर चढ़ने लगें, उन्हें गिराने लगें, ठोकरें खाने लगें तथा आखिर में पूर्ण रूप से ध्वस्त हो जाएँ |

अंत में वो घूम फिर कर आपकी याददाश्त में वापस आता है | आप भूल जाते हैं आप कौन हैं | आप किस तरह ज़िन्दगी जीते हैं | किस तरह कार्य करने में विश्वास रखते हैं | इस बीमारी के कुछ विशेष निर्धारित लक्षण होते हैं जो अच्छे से अच्छे व्यक्ति की स्मृति, प्रवीणता, कौशल, विवेक, निपुणता, विद्या, हुनर तथा गुण को नष्ट कर देते है | आपको जकड़ लेते हैं | यदि आप इसकी ओर ध्यानाकर्षित करते हैं, इसका इंतज़ार करते हैं तो समझिये आप ख़त्म और उसके आगे, उसके बाद कुछ नहीं है |

अतः इन लक्षणों से सदा ही बच कर जीवन जियें |