उसने सोचा न था
जो भी उस पल हुआ
वो चिल्लाती रही
वो रोती रही
छोड दो छोड दो
वो भडिया न रुका
वो भेडिया न थमा
वो पुकारती रही
मदद करो मदद करो
वो दरिंदे सभी
राक्षस थे कहीं
दू:शासन थे वो तो
वो बढते रहे
वो चढ़ते रहे
वो कहती रही
नहीं नहीं नहीं
उसने सोचा न था
जिंदगी थमेगी यूँही
उसने सोचा न था
इंसान गिर जायेगा
इतना भी कभी
वो खोती रही
उसने खोना जो था
खून में लथपथ थी वो
रात भर से यूँही
रक्त भी न थमा
वो भी बहता रहा
उसने सोचा न था
वो छोड कर के उसे
ऐसी हालत में ही
गायब हो गए
ऐसी धुंध में कहीं
सुबह जागी तो वो
पर कभी भूली नहीं
वो रात न थी
एक सूली थी वो
जिसपे झूली थी वो
जिंदगी साथ ले गई
एक दर्द दे गई
उम्र भर के लिए
उसने सोचा न था
उसने सोचा न था