आज कुछ और
एहसास मर गए
जो बचे थे अरमान
वो भी कुचल गए
दिल में जगे जज़्बात
चिता चढ गए
अब उम्मीद क्यों करें
किसी से 'निर्जन'
जो कहने को थे अपने
वो किनारा कर गए
आज कुछ और
एहसास मर गए
एहसास मर गए
जो बचे थे अरमान
वो भी कुचल गए
दिल में जगे जज़्बात
चिता चढ गए
अब उम्मीद क्यों करें
किसी से 'निर्जन'
जो कहने को थे अपने
वो किनारा कर गए
आज कुछ और
एहसास मर गए