रविवार, अप्रैल 28, 2013

कली














एक कली खिली चमन में
बन गई थी वो फूल
बड़ा गर्व हुआ अपने में
सबको गई थी वो भूल
कहा चमन ने फिर उससे
यहाँ रहता स्थिर नहीं कोई
मत कर तू गुमान इतना
उसको बहुत समझाया
आज तो यौवन है पर
कल तू ठूंठ भी हो जाएगी
तब कोई तेरे दर्द में
सहानुभूति न दिखलायेगा
हंसकर मिलजुल कर मिल
फिर से सब में खो जा तू
अलग बनाया अस्तित्व जो तूने
अपने से भी तू जायेगी
कोई माली, राहगीर ही
तुझको तोड़ ले जायेगा
मिट जायेगा जीवन तेरा, फिर
अन्तकाल तक तू पछताएगी

34 टिप्‍पणियां:

  1. शाश्वत कौन कब हुआ है ।

    सच बात ।

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  2. itna jaldi kahan samajh me aayega ....bahut acchi abhiwayakti ..tushar jee ...

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  3. बहुत ही सुंदर प्रस्तुति,आभार.

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  4. अच्छी सलाह अच्छी अभिव्यक्ति पर जवानी की जोश में समझ नहीं आती
    डैश बोर्ड पर पाता हूँ आपकी रचना, अनुशरण कर ब्लॉग को
    अनुशरण कर मेरे ब्लॉग को अनुभव करे मेरी अनुभूति को
    latest postजीवन संध्या
    latest post परम्परा

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  5. बेहतरीन रचना खासकर आखरी दो लाइन ने दिल जीत लिया

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  6. जीवन की नश्वरता काया का समय के साथ क्षीण होते जाना इस सत्य को समझाया है आपने .इस काया को चलाने वाली एक और अदृश्य सूक्ष्म शक्ति है -आत्मा जिसका क्षय नहीं होता जो संस्कार और कर्म छाप लिए आती भी है जाती भी है इस लिए हे कलि तू श्रेष्ठ कर कर देह अभिमान तज ,अपने रंग रूप में न इठला .

    बढ़िया पोस्ट .

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  7. तुषार बहुत सरल है कविता दिखने में मगर उतनी ही गहरी बात कह डाली रचना ने तुम्हारी ..भावनात्मक और गहरी सोच वाली रचना बधाई :-)

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  8. वाह तुषार जी।
    बढिया कही...
    सादर

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  9. कविता में बहुत गहन भाव छिपे हैं |बढ़िया प्रयास

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  10. read a hindi poem after a long time :) back to good ones i read in pre college years :) beautiful

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  11. आज के सदर्भ में एकदम सटीक और सुन्दर रचना। (कली शब्द ठीक कर लें)

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  12. बहुत ही सुन्दर और सटीक रचना..बधाई तुषार..

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  13. कहाँ समझती है कली फिर भी...

    बहुत उम्दा रचना! वाह!!

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  14. बहुत सुन्‍दर रचना है
    हिन्दी तकनीकी क्षेत्र की रोचक और ज्ञानवर्धक जानकारियॉ प्राप्त करने के लिये क़पया एक बार अवश्य देंखें
    MY BIG GUIDE

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  15. जो आता है वो जाता भी है ... ओर गुमान करना ठीक नहीं ... हाँ भरपूर जीवा जरूरी है ...

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  16. जीवन की हकीकत को दर्शाती एक शानदार रचना ..लाजबाब

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  17. jindagee kee hakeekat ko dikhaatee shandaar rachna ..sadar badhayee ke sath

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  18. श्री तुषार जी, आपकी कविता में संजीदगी, यथार्त और जीवन के अनेक रंगों का समावेश है!
    सार्थक रचना लिखने के लिए साधुवाद!
    "
    डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश'

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  19. तुषार भाई ,बड़ी सहजता से गंम्भीर बात को रचना में
    कह दिया,सलाह भी जानकारी भी
    बहुत सुंदर और भावपूर्ण रचना
    उत्कृष्ट प्रस्तुति

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  20. वर्तमान परिदृश्य में एकदम सटीक....

    आभार ....

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  21. कली समय रहते चेत जाये
    एक अच्छी सीख
    हार्दिक शुभकामनायें

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  22. भावनात्मक शब्दचित्र है.
    उम्मीद है, आगे अच्छी रचनायें लिखेंगे.
    बधाई...
    विजय

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  23. बहुत ही सार्थक संदेश देती हुई रचना हेतु बधाई स्वीकार कीजिये......

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