गुलपोश चेहरे पर उसके
गुलाबी हंसी गुलज़ार है
मंद मुस्कान होठों की
उस रुखसार में शुमार है
अदा उसके इतराने की
दिल में वाबस्ता रहती हैं
सोच कर क्या मैं लिख दूं
हसरतें मेरी जो कहती हैं
उन्स की खुशबू ओढ़ कर
फ़ना हो जाऊं इस इश्क में
शोला-बयाँ आरज़ू कर तर
जवां हो जाऊं इस इश्क़ में
सदा जा-बजा आती है
'निर्जन' सुनता रहता है
आज भी गुलाबों के दिन
सपने बुनता रहता है
गुलपोश : फूलों से भरे
रुखसार : गाल
शुमार : शामिल
वाबस्ता : संलग्न
हसरत : कामना
उन्स : लगाव
फ़ना : नष्ट
शोला-बयाँ : आग उगलने वाली
सदा=आवाज़
जा-बजा=हर कहीं
बहुत सुन्दर अहसासों को समेटे रचना
जवाब देंहटाएंवाह बहुत खूब !
जवाब देंहटाएंगुलपोशों-दामन वाबस्ता, शोला-बयाँ रुखसार तिरा..,
जवाब देंहटाएंइज़ाफ़तो-उल्फ़त में फ़ना, हाले-तबाह बीमार तिरा..,
ग़म ख़ारी में शामिल कुल्फ़त भी सदाएं देती हैं..,
इजहारी ये तकरीरी मिरी हाय बारहा इंकार तिरा.....
Waah neeti bahut khoob :)
हटाएंसुन्दर
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर रचना....
जवाब देंहटाएंसुन्दर...
:-)
सुन्दर प्रस्तुति...!
जवाब देंहटाएंगुलपोश चेहरे पर उसके
जवाब देंहटाएंगुलाबी हंसी गुलज़ार है
मंद मुस्कान होठों की
उस रुखसार में शुमार है
अदा उसके इतराने की
दिल में वाबस्ता रहती हैं
सोच कर क्या मैं लिख दूं
हसरतें मेरी जो कहती हैं
बहुत ख़ूबसूरती ख्याल दरिया सा उठा। और आख़िरी तक भाव लयबद्ध रहा ।
लफ्जों के मायने बता कर सरस कर दिया पाठकों के लिए
खूब भाई