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मंगलवार, अगस्त 21, 2012

My Autobiography

I Lie down
Close my eyes.
And see you
Your face
Your eyes
Your nose
Your lips
Your tongue
Your cheek
But you aren't really there.

I again tried
Close my eyes.
And see you
Your body
Your boobs
Your nipples
Your stomach
Your belly button
Your thighs
Your buttocks
Your pussy
Your feet
But you really aren't there.

I have a knack
Sometimes
Occasionally
For figuring people out.
And you
And me
Are meant to be together.

How can I explain?

Once,
I thought that you were there.
I couldn't feel your body
Or anything fun like that.
But I could feel
You.
You know what I mean.

You're one of those people who can feel things, too.

I haven't put much thought into this poem.
It's been
Few minutes
Since I've started writing.
It's not
Pretty
Artistic
Stylish
Or
Freakishly Amazing.

This is not Dante's Inferno.
It is not written to be beautiful.
It is just the truth.
The naked truth of my life.
This
is not
A story.

It's an Autobiography.

I'm telling you exactly how it is,
What I've seen.

Because I know that you can see it, too.

शुक्रवार, जून 15, 2012

सोमवार, मई 28, 2012

Meaning of Life...

"meaning to life ?
you are the problem
and the solution too
and everything that lies between
is also you
and so goes on
the endless struggle
to find meaning to life "

read these lines somewhere and remembered them... awesome lines

हज़ारों ख्वाहिशें ऐसी की हर ख्वाहिश पे दम निकले

मिर्ज़ा साब की लिखी इन पंक्तियों का असल मतलब आज मेरे रूबरू हुआ है जब जिंदगी से जुड़े कुछ ऐसे अहम किरदारों ने भी बेवजह बड़ी ही बेतकुल्लफी से मेरे दिल को तोड़ कर मेरे ख्वाबों, ख्वाहिशों और जज्बातों को बेज़ार और तार तार कर के रख दिया | उन किरदारों के रवईये से यह साफ़ ज़ाहिर था के दिली-मुरव्वत और बेपनाह मोहब्बत की ख्वाइशें के असल मायेने क्या होते हैं और किसी के किसी के लिए बेपनाह मोहब्बत के जज्बातों की कद्र और कीमत क्या होती है यह उन्हें कभी एहसास न हो सका था और न हो सकता है और न कभी हो सकेगा | काश कोई मुझे और मेरे दिल को पढ़ सकता कोई तो ऐसा होता जो मुझे समझ सकता |

पर  मेरी मोहब्बत और मेरी ख्वाहिशों का बयां हमेशा वही रहेगा जो रहा था और वही काफ़िर सनम उन सपनो और जज्बातों में रहेगा जो हमेशा रहा है | दुनिया के बदलने से अगर मैं भी बदल जाऊंगा तो दुनिया में और मेरे में क्या फर्क रह जायेगा .......... काश कोई होता !!!!!!!!!!

हज़ारों ख्वाहिशें ऐसी की हर ख्वाहिश पे दम निकले,
बहुत निकले मेरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले ।

निकलना खुल्द से आदम का सुनते आये हैं लेकिन,
बहुत बेआबरू हो कर तेरे कूचे से हम निकले ।

मुहब्बत में नही है फर्क जीने और मरने का,
उसी को देख कर जीते हैं जिस काफिर पे दम निकले ।

ख़ुदा के वास्ते पर्दा ना काबे से उठा ज़ालिम,
कहीं ऐसा ना हो यां भी वही काफिर सनम निकले ।

क़हाँ मैखाने का दरवाज़ा 'ग़ालिब' और कहाँ वाइज़,
पर इतना जानते हैं कल वो जाता था के हम निकले।


शनिवार, मार्च 10, 2012

सोमवार, अगस्त 29, 2011

मेरा घर

शाहजहानाबाद के दिल में बसा
सुकून-ओ-अमन-चैन से परे 
शोरगुल के दरमियाँ
एक दिलकश इलाके में
एक उजडती बेनूर पुरानी हवेली
दीवारों पर बारिश के बनाये नक़्शे 
इधर उधर पान की पीकों की सजावट
और मेरे माज़ी की यादें इधर उधर
काई बनकर हरी हो रही हैं रोज़
एक जानी पहचानी सी ख़ामोशी
वो अंधेरों में भी गुज़रते सायों का एहसास
गमलों के पौधों के पत्तों के बीच
चहल कदमी करते चूहे
जगह जगह फर्श पर जंगली कबूतरों की बीट की सजावट
इन सबके बीच 
छोटा सा टुकड़ा आसमान का
और उस आसमान में
पिघलते काजल सी सियाह रात का कोना पकडे 
बादलों के बीच से गुज़रता चाँद
पहले भी ऐसे ही आता था मेरे घर
बारिश के बाद की मंद गर्मी में
छज्जे पर खड़े 
मैं 
यूँ ही ख्वाब बुना करता था
दीवारों से लिपटे पीपल के
दरीचों के साए में
तुम्हे भी याद किया करता था
सर्दियों की सीप सी सर्द रातों में
नर्म दूब के बिछोने पर
अक्सर मेरा जिस्म तपा करता था
तेरे जाने से भी कुछ नहीं बदला था
तेरे आने से भी कुछ नहीं बदला है
आज फिर रात भी वही है
और चाँद भी वही आया है
और आज भी वही तपिश 
सीने में जल रही है
मैं वीरान घर के बरामदे में
खामोश खड़ा
महसूस करता हूँ
वोह तेरे आगोश की तपिश
सहर होने तक
और बस यूँ ही
बन जाते हैं यह आसमानी सितारे 
सियाह रात की कालिख में जड़े सितारे
लफ्ज़ बन उठते हैं अपने आप
लिख जाते हैं हर रात एक कविता
मेरे दिल का हाल 
यही है मेरे दिल की दास्तान 
यही है मेरे दिल की दास्तान

मंगलवार, जुलाई 05, 2011

अब वो नहीं है साथ मेरे

दिल धड़कता था जिसके नाम से
अब वो नहीं है साथ मेरे
सांसें चलती थी जिसके दम से 
अब वो नहीं है साथ मेरे
आँखें चमकती थी जिसके नूर से 
अब वो नहीं है साथ मेरे 
ज़िन्दगी जिंदा दिल थी जिसकी रूमानियत से
अब वो नहीं है साथ मेरे 
कुछ तो ऐसा हुआ जो 
आज कोई नहीं है साथ मेरे 
बस इस बात से डरता है दिल 
कभीं ज़िन्दगी यूँ ही खाख न हो जाये 
और कोई न हो साथ मेरे....

मंगलवार, जून 28, 2011

वो जज़्बात जो थे मेरे दिल के

वो जज़्बात जो थे मेरे दिल के 
न वो सुन सकी 
न मैं कह सका
शब्-ए-तन्हाई में वो याद आई
तो दिल इज़्तिराब से मचल उठा [ इज़्तिराब - restlessness]
सिर्फ चंद लम्हे मिले थे मुझे 
और मैं वो अलफ़ाज़ न कह सका 
वो जज़्बात जो थे मेरे दिल के 
न वो सुन सकी 
न मैं कह सका

ज़ख्म ज़िन्दगी ने जितने दिए 
भुला दिए चंद रोज़ में 
वो आई जब दर पर मेरे
हाल-ए-दिल को पूछने
दिन ज़िन्दगी के तब से मैंने 
नाम उसके कर दिए
वो जज़्बात जो थे मेरे दिल के 
न वो सुन सकी 
न मैं कह सका

वक़्त गुज़ारा था जो उसके साथ 
हसीन खवाब सा लगने लगा
लम्हे यूँ ही गुज़र जायेंगे
ऐसा तो सोचा न था 
एक पल ऐसा भी आया
जब उसने बिछडने की बात की
मैंने भी ख़ामोशी से 
मुस्करा के बात टाल दी 
वो जज़्बात जो थे मेरे दिल के 
न वो सुन सकी 
न मैं कह सका

पर बात उसकी सच ही थी 
कुछ ही पल में वो 
मुझसे बिछड गई 
लेकिन मेरे दिल-ए-बेचैन मैं 
अपनी सुन्दर यादें छोड़ गई 
न चाहा था कभी उसकी 
आँखों में अश्क देखूंगा 
पर उस रोज़ वोह भी 
कम्बक्त छलक ही गए 
उस रोज की ख़ामोशी
एक ख्वाब बन कर रह गई 
वो जज़्बात जो थे मेरे दिल के 
न वो सुन सकी 
न मैं कह सका

गर मालूम होता मुझे 
ज़िन्दगी ऐसी बेवफा होगी 
तू मिलकर भी जुदा होगी 
और हसरतें यूँ फनाह होंगी 
ग़म-ए-दोराह पर 
मुलाकात भी होगी कभी 
ऐसा कभी सोचा न था 
बस यही अफ़सोस है दिल में 'निर्जन' 
वो जज़्बात जो थे मेरे दिल के 
न वो सुन सकी 
न मैं कह सका

शनिवार, जून 04, 2011

कृपया सोचें

भ्रष्टाचार यह एक ऐसा शब्द है जिससे चाहे अनचाहे देश का हर एक व्यक्ति जुड़ा हुआ है | हर एक इंसान ने कभी न कभी जाने अंजाने इससे बढ़ने में सहयोग ही दिया है | कोई भी व्यक्ति किसी भी भ्रष्टाचारी नेता, सरकारी मुलाजिम या फिर हर वो जरिया जिससे उसका कार्य सिद्ध होता हो वह कोई भी विलम्ब किये बिना अपना पूर्ण सहयोग दे देता है | उसे इस बात से कोई सरोकार नहीं है के उसके इस आचरण से देश के भविष्य पर या देश में बढती भ्रष्टाचार की बीमारी में उन्नति होगी या हमारा देश इस दलदल में कितना और धंस जायेगा | अन्ना हजारे और बाबा राम देव जी जैसे सरीखे व्यकतित्व जब ऐसे विषयों को अपने आन्दोलनों में उठाते हैं तो वही लोग बोखला जाते हैं और उट पटांग टिप्पणियां करना शुरू कर देते हैं | उन्हें इस बात से कोई सरोकार नहीं होता के इससे देश को क्या फायदा होगा उन्हें तो सिर्फ अपने फायदे से मतलब होता है | शाहरुख़ खान, सलमान खान इत्यादि लोग भी इसी श्रेणी में आते हैं जो सिर्फ अपने फायदे के बारे में सोचते हैं | कहने को तो ऐसे लोग समाज सेवा में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेते हैं जिसके पीछे कारण होता है इन लोगों का निजी स्वार्थ पर जब मुद्दा होता है ऐसा जिसमें बाबाजी जैसे लोग भाग लेते हैं तब इन जैसे लोगों का असली चेहरा सामने आता है | ऐसे मौकों पर यह लोग कन्नी काट लेते हैं क्यों की इन्हें लगता है के इन्हें अपने व्यापार पर कोई असर न पड़े क्योंकि वोह भी तो पुर्णतः भ्रष्टाचार से भरा हुआ है | अपने काम निकलवाने के लिए यह लोग कितनो को रिश्वत देते हैं और भी न जाने क्या क्या प्रलोभन दे कर यह अपने टेड़े काम सिद्ध करवाते हैं | इन जैसे लोगों को सिर्फ अपनी और अपने परिवार के भविष्य की चिंता होती है न की देश की नौजवान पीढ़ी की | अपनी जेब भरने से फुर्सत मिले तो यह लोग ऐसे क्रन्तिकारी आन्दोलनों में सहयोग दें | मैं अपने तन मन और धन से पुर्णतः बाबाजी के आन्दोलन में उनके साथ हूँ और अपने मित्र नवीन द्वारा लिखी गईं इन पंक्तियों का पुरजोर समर्थन करता हूँ. | मेरी आजके और आने वाली नई नौजवान पीढ़ी से गुज़ारिश करता हूँ के वो इस आन्दोलन में बाबाजी का सहयोग कर इस आन्दोलन को सफल बनाने में अपना योगदान दें | जय भारत | वन्दे मातरम | भ्रष्टाचार मुर्दाबाद | भ्रष्टाचारी सहयोगी मुर्दाबाद |

मंगलवार, अप्रैल 19, 2011

Beyond Forgetting

I just felt that i need to share this with you...it is such a beautiful poem by Rolando Carbonnel which dates back in the 70s. I hope you'll like it...

For a moment I thought I could forget you. For a moment I thought
I could still the restlessness in my heart.
I thought the past could no longer haunt me nor hurt me.
How wrong I was!
For the past, no matter how distant, is as much a part of me as life itself.
And you are part of that life.
You are so much a part of me, of my dreams,
my early hopes, my youth and my ambitions
that in all my tasks I can't help but remembering you.
Many little delights and things remind me of you.
Yes, I came. And would my pride mock my real feelings?
Would the love song, the sweet and lovely smile on your face,
be lost among the deepening shadows?
I have wanted to be alone.
I thought I could make myself forget you in silence and in song...
And yet I remembered.
For who could forget the memory
of the once lovely, the once happy world such as ours?
I came because the song that I kept through the years is waiting to be sung.
I cannot sing it without you.
The song when sung alone will lose the essence of its tune,
because you and I had been one.
I have wanted this misery to end, because it is part of my restlessness.
Can't you understand?
Can't you define the depth and the tenderness of my feelings towards you?
Yes, can't you see how I suffer in this even darkness without you?
You went away because you mistook my silence for indifference.
But silence, my dear, is the language of my heart.
How could I essay the intensity of my love
when silence speaks a more eloquent tone?
But, perhaps, you didn't understand...
Remember, I came because the gnawing loneliness is there
and will not be lost until the music is sung, until the poem is heard,
until the silence is understood....until you come to me again.
For you alone can blend the music and memory
into one consuming ecstasy.
You alone...

पूर्ण पुरुष

मानव जन्म 
क्या
एक बुदबुदा है 
और 
उसका जीवन 
एक कर्म 
कर्म 
अपूर्व कर्म 
पर 
जब यह कर्म 
अधूरा रह जाता है 
किसी के प्रति 
तब
एक तड़प
मन मस्तिष्क 
में लिए 
वोह बुदबुदा 
नया रूप लिए 
फिर आता है 
क्यों क्या 
कर्म पूरा 
करने को 
या 
किसी को 
कर्म में लगाने को 
नहीं जानता
जीवन 
तू अपने नाम 
में पूर्ण है 
लेकिन 
आत्मा में 
पूर्ण नहीं 
वोह 
तुझसे
कहीं परे 
अपने विस्तार
को बढ़ाये हुए
होने पर
सिमटी है 
तुझ में 
छिपी है 
तुझे, शायद 
यश देने को 
उस की 
आवाज़ सुन 
उस की बात गुन
तभी तू 
पूर्ण जीवन 
कहलायेगा 
कहलायेगा 
पूर्ण पुरुष ||   

मंगलवार, अप्रैल 05, 2011

आंसू

आँखों से छूटा एक आंसू 
घरती पर जब गिर पड़ा
पछताया क्यों बिछड़ा नैनों से  
घबराया मैं क्यों टूट गया
समझ बूझ कर सोया होता 
क्यों अपनों से छूट गया 
आँख का वोह मोती आज 
मिटटी में खो गया 
आँखों से निकला एक आंसू 
अस्तित्वा विहीन हो गया

जीवन क्या है ?

कोई मुझे समझा दे
जीवन क्या है ?
विष का प्याला 
जीवन क्या है ?
बहता दरिया 
जीवन क्या है ?
मृग तृष्णा 
जीवन क्या है ?
सूनेपन सा 
क्या, कभी किसी ने जाना है ?
क्या इसको पहचाना  है ?
जीवन क्या है ?
दर्द का प्याला 
जीवन क्या है ?
एक दहकती ज्वाला 
एक दिन सबको भस्म हो जाना है
जीवन क्या है ?
एक सुन्दर धोखा 
जीव उसमें फंसा होता है 
धोखा खाना 
धोखा देना
क्यों यह अजब तमाशा है 
कभी कुछ पाता
कभी कुछ खोता 
क्यों जीव माया का दीवाना है ?
जीवन क्या है ?
कोई मुझे समझा दे....

सोमवार, मार्च 28, 2011

मोहब्बत

उस दिन रो रो कर कहा उसने
मुझे तुमसे मोहब्बत है 'निर्जन'
जो मोहब्बत ही करनी थी
तो फिर इतना रोये क्यों ??

सोमवार, मार्च 14, 2011

शाम

हर एक शाम आती है तेरी यादें लेकर 
हर एक रात जाती है तेरी यादें देकर
उस शाम की अब भी तालाश है मुझे
जो शायद आये तुझे अपने साथ लेकर ... 

सफ़र

मंज़िल कितनी है दूर अभी,
लम्बा मेरा सफ़र बहुत है
उस मासूम दिल को मेरे,
देखो तो मेरी फ़िक्र बहुत है
जान ले लेती तन्हाई मेरी,
सोचा मैंने इस पर बहुत है
सलामत है वजूद 'निर्जन',
उनकी दुआ में असर बहुत है...

--- तुषार राज रस्तोगी ---

एक दोस्त








आज फिर आँख क्यों भरी सी है
एक अदद दोस्त की कमी सी है

शाम-ए-ज़िन्दगी फिर ढली सी है
ख़लिश ये दिल में फिर बढ़ी सी है

तेरी ख्वाहिश दिल में जगी सी है
एक आग ख्वाहिशों में लगी सी है

कभी किसी रोज़ तो बहारें आएँगी
साथ अपने हज़ार खुशियाँ लायेंगी

बस ये सोच आँख अभी लगी सी है
सपनो में मुझे ज़िन्दगी मिली सी है

आज फिर आँख क्यों भरी सी है
एक अदद दोस्त की कमी सी है

--- तुषार राज रस्तोगी ---

मंगलवार, सितंबर 14, 2010

The Scars of Love

do the scars of love ever really heal
do they change your mind about the way you feel
do they stay forever locked inside your mind
do they ever leave and leave the past behind
do they stay a lifetime will they ever go
do they ever heal will we ever know