गुरुवार, जनवरी 02, 2014

नज़र उसकी











अदा उसकी
अना उसकी
अल उसकी
आब उसकी
आंच उसकी

रह गया फ़कत
अत्फ़ बाक़ी 'निर्जन'
बस वो तेरा, फिर तेरी

जान उसकी
चाह उसकी
वफ़ा उसकी
क़ल्ब उसकी
ग़ज़ल उसकी

जो कुछ बाक़ी
रहा हमदम
गोया मुस्कुराते
कर देगा

नज़र उसकी
नज़र उसकी ...

*अदा : सुन्दरता, अना : अहं, अल : कला, आब : चमक, आंच : गर्मी, अत्फ़ : प्यार, क़ल्ब : आत्मा, नज़र : समर्पण

7 टिप्‍पणियां:

  1. अदा उसकी अता उसकी अल्ल उसका आब उसका..,
    ज़र्रे उसके जमीं उसकी फ़लको-मह्र महताब उसका.....

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत सुंदर प्रस्तुति...!
    नव वर्ष की हार्दिक बधाई और शुभकामनाए...!
    RECENT POST -: नये साल का पहला दिन.

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत सुन्दर प्रस्तुति। ।

    जवाब देंहटाएं

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