"सुनो ! ये तुम अपनी कॉपी पर क्या लिख रही हो ?"
"कुछ भी तो नहीं "
"चलो भी यार! तुम्हारा हमेशा कुछ नहीं होता है। अरे! बता भी दो अब।" इतना कहते के साथ ही उसने, झट से अचानक ही उसके हाथ से कॉपी झपट ली। अभी वो शुरू के कुछ ही शब्दों को पढ़ पाई थी कि उसने तुरंत ही, उसके हाथ से कॉपी वापस छीन ली।
"प्यार का वजूद नहीं है ?" उसने बड़ी व्याकुलता से उससे सवाल किया
"ओह हो! कुछ नहीं है, सब ठीक है।"
"नहीं...कुछ तो है। तुम मुझसे कुछ छिपा रहे हो...बताओ ना क्या नहीं बताना चाहते हो मुझे ?"
"मैंने कहा ना...कुछ नहीं है।" उसने गुस्से से रोष भरी आवाज़ में दनदनाते हुए जवाब दिया। उसके क्रोध को देख कर वो दंग रह गई और डर के मारे सहम कर चुप हो गई।
कुछ पल मौन के बाद, आख़िरकार उसने जवाब दिया।
"मुझे माफ़ कर दो, प्लीज़...मुझे ऐसे, इतनी बुरी तरह से पेश नहीं आना चाहियें था। ऐसे आपा खोकर गुस्से से रियेक्ट नहीं करना चाहियें था। आई ऍम सॉरी।“
"ठीक है। कोई बात नहीं। इसमें तुम्हारी गलती नहीं है।"
"दरअसल...बात ऐसी है कि, मैं नहीं चाहता के लोग इस बारे में जानें कि मैं कुछ चीज़ों और बातों के बारे में कैसा महसूस करता हूँ।"
"तुम मुझसे बात कर सकते हो। मुझसे हाल-ए-दिल बयां कर सकते हो। तुम्हे मालूम है, मैं भरोसे के क़ाबिल हूँ। प्लीज़ बताओ मुझे। मैं तुम्हारी मदद करना चाहती हूँ। तुम्हारी कड़वाहट को दूर करना चाहती हूँ। तुम कैसे कह सकते हो कि प्रेम का कोई वजूद नहीं होता ? तुम्हारी माँ - उनके बारे में क्या ? एक माँ तो हमेशा अपनी औलाद को दिल से चाहती है। फिर ऐसा क्या है जो तुम बताना नहीं चाहते ? बोलो ना - प्लीज।"
"मेरी माँ ने मुझे और मेरे पिता को तब छोड़ दिया था जब मैं सिर्फ पांच बरस का था वो भी किसी दुसरे आदमी के लिए।" उसका जवाब एकदम रूखा और ठंडा था।
"आह! मुझे माफ़ कर दो। मेरा दिल दुखाने का इरादा नहीं था और ना ही तुम्हारे ज़ख्मों को कुरेदने की मंशा से मैंने ऐसा कहा था। मुझे...मुझे इसके बारे में कुछ नहीं मालूम था। बस तुम्हारी फ़िक्र रहती है इसलिए पर तुम्हारे पिता...वो तो तुम्हे बहुत चाहते हैं ना ? सही कह रही हूँ ना ?"
"माँ के जाने के बाद से सब बदल गया। पिताजी भी पहले जैसे नहीं रहे। वो भी बदल गए। मुझसे कभी बात नहीं करते। सच कहूँ तो मैं उनको माँ की याद दिलाने वाला सिर्फ़ एक अनचाहा ज़रिया हूँ। अगर कभी भूले से वो मुझसे बात करते भी हैं तो वो मेरी गलतियाँ निकालने के लिए, मारने पीटने के लिए या फिर गलियां देने के लिए, इसलिए मैं ज़्यादातर अपने दादा-दादी के साथ रहता हूँ।
"तो तुम्हारे दादा-दादी तो तुम्हारी देखभाल करते होंगे ? तुमसे प्यार करते होंगे ?"
"नहीं ऐसा नहीं है! मेरी दादी की तबियत बहुत ख़राब रहती है, मेरे दादा का सारा वक़्त उनके सिरहाने बैठे रहने में बीत जाता है। वो लोग अपनी परेशानियों में इतने व्यस्त रहते हैं कि मेरे बारे में किसी को ख़याल तक नहीं रहता।"
"अच्छा तभी...इसलिए तुम प्यार में यकीन नहीं करते ? किसी पर भरोसा नहीं करते ? क्यों ?"
"हाँ"
"देखो मेरी एक सुनो, तुम्हारे पिताजी तुम्हारी माँ से बेहद मोहब्बत करते थे इसलिए वो कभी पहले जैसे नहीं हो सके और अपने साथ अपनी परिस्थितियों को भी संभाल नहीं पाए। इसका सिर्फ एक ही कारण है कि वो तुम्हारी माँ से बेतहाशा प्रेम करते हैं और तुम्हारे दादा इतने बरसों के बाद भी तुम्हारी दादी को पूरे दिल से चाहते हैं। तुम देख ही नहीं पा रहे हो, अगर ध्यान से देखोगे तो तुम्हे नज़र आएगा कि तुम्हारे आसपास कितना प्यार है। हाँ! अपनी आँखें खोलो और देखो प्यार का अस्तित्व है, और क्या तुम्हे पता है ? कोई है जो तुमसे भी दीवानों की तरह, पागलों की तरह इश्क़ करता है। कम से कम उसको एक मौका देकर तो देखो जिससे वो तुम्हे दिखा सके, जता सके, बता सके कि असली सच्चा प्यार कैसा होता है। तुम कोशिश तो कर ही सकते हो, नहीं ?"
"उसे मालूम था वो किसके बारे में बात कर रही थी। "तो क्या वो सच में मुझसे इतना प्यार करती है ?" वो अपने आप से ये सवाल करता रहा और बैठा उसके चेहरे को ताकता रहा।
"हाँ - यही तो है वो - बिलकुल यही है"
"आज, अभी, इसी वक़्त, खुल कर बता दे उसको - तू भी उसे उतना ही चाहता है। तू भी तो दीवाना है उसके लिए। तू भी तो हर पल उसी के सपने बुनता है।" यही सोचते हुए वो जीवन में पहली बार वास्तव में मुस्कुराता रहा।
दुनिया में हर व्यक्ति के लिए प्यार मौजूद है। एक तरह से नहीं तो दूसरी तरह से, ऐसे नहीं तो वैसे ये हर किसी को मिल ही जाता है। उम्मीद का दामन कभी भी छोड़ना नहीं चाहियें। ज़िन्दगी और प्यार दोनों से कभी हार नहीं माननी चाहियें। यदि आपको ऐसा एहसास होता है कि आपसे कोई प्यार नहीं करता, आपको कोई नहीं चाहता, तो बस इतना याद रखना कि भगवान् आपको चाहता है आपसे बेंतेहा प्यार करता है और जिसे वो चाहता है उसे सारी दुनिया चाहती है, प्यार करती है। किसी ना किसी दिन, कहीं ना कहीं, कभी ना कभी वो नीली छतरी वाला आपकी मुलाक़ात आपके प्यार से करवा ही देगा। प्यार का अस्तित्व हमेशा से था, है और रहेगा और प्यार हर किसी को मिलता है बस ज़रा सा भरोसा और विश्वास बनाए रखने की ज़रुरत होती है।
--- तुषार राज रस्तोगी ---
"कुछ भी तो नहीं "
"चलो भी यार! तुम्हारा हमेशा कुछ नहीं होता है। अरे! बता भी दो अब।" इतना कहते के साथ ही उसने, झट से अचानक ही उसके हाथ से कॉपी झपट ली। अभी वो शुरू के कुछ ही शब्दों को पढ़ पाई थी कि उसने तुरंत ही, उसके हाथ से कॉपी वापस छीन ली।
"प्यार का वजूद नहीं है ?" उसने बड़ी व्याकुलता से उससे सवाल किया
"ओह हो! कुछ नहीं है, सब ठीक है।"
"नहीं...कुछ तो है। तुम मुझसे कुछ छिपा रहे हो...बताओ ना क्या नहीं बताना चाहते हो मुझे ?"
"मैंने कहा ना...कुछ नहीं है।" उसने गुस्से से रोष भरी आवाज़ में दनदनाते हुए जवाब दिया। उसके क्रोध को देख कर वो दंग रह गई और डर के मारे सहम कर चुप हो गई।
कुछ पल मौन के बाद, आख़िरकार उसने जवाब दिया।
"मुझे माफ़ कर दो, प्लीज़...मुझे ऐसे, इतनी बुरी तरह से पेश नहीं आना चाहियें था। ऐसे आपा खोकर गुस्से से रियेक्ट नहीं करना चाहियें था। आई ऍम सॉरी।“
"ठीक है। कोई बात नहीं। इसमें तुम्हारी गलती नहीं है।"
"दरअसल...बात ऐसी है कि, मैं नहीं चाहता के लोग इस बारे में जानें कि मैं कुछ चीज़ों और बातों के बारे में कैसा महसूस करता हूँ।"
"तुम मुझसे बात कर सकते हो। मुझसे हाल-ए-दिल बयां कर सकते हो। तुम्हे मालूम है, मैं भरोसे के क़ाबिल हूँ। प्लीज़ बताओ मुझे। मैं तुम्हारी मदद करना चाहती हूँ। तुम्हारी कड़वाहट को दूर करना चाहती हूँ। तुम कैसे कह सकते हो कि प्रेम का कोई वजूद नहीं होता ? तुम्हारी माँ - उनके बारे में क्या ? एक माँ तो हमेशा अपनी औलाद को दिल से चाहती है। फिर ऐसा क्या है जो तुम बताना नहीं चाहते ? बोलो ना - प्लीज।"
"मेरी माँ ने मुझे और मेरे पिता को तब छोड़ दिया था जब मैं सिर्फ पांच बरस का था वो भी किसी दुसरे आदमी के लिए।" उसका जवाब एकदम रूखा और ठंडा था।
"आह! मुझे माफ़ कर दो। मेरा दिल दुखाने का इरादा नहीं था और ना ही तुम्हारे ज़ख्मों को कुरेदने की मंशा से मैंने ऐसा कहा था। मुझे...मुझे इसके बारे में कुछ नहीं मालूम था। बस तुम्हारी फ़िक्र रहती है इसलिए पर तुम्हारे पिता...वो तो तुम्हे बहुत चाहते हैं ना ? सही कह रही हूँ ना ?"
"माँ के जाने के बाद से सब बदल गया। पिताजी भी पहले जैसे नहीं रहे। वो भी बदल गए। मुझसे कभी बात नहीं करते। सच कहूँ तो मैं उनको माँ की याद दिलाने वाला सिर्फ़ एक अनचाहा ज़रिया हूँ। अगर कभी भूले से वो मुझसे बात करते भी हैं तो वो मेरी गलतियाँ निकालने के लिए, मारने पीटने के लिए या फिर गलियां देने के लिए, इसलिए मैं ज़्यादातर अपने दादा-दादी के साथ रहता हूँ।
"तो तुम्हारे दादा-दादी तो तुम्हारी देखभाल करते होंगे ? तुमसे प्यार करते होंगे ?"
"नहीं ऐसा नहीं है! मेरी दादी की तबियत बहुत ख़राब रहती है, मेरे दादा का सारा वक़्त उनके सिरहाने बैठे रहने में बीत जाता है। वो लोग अपनी परेशानियों में इतने व्यस्त रहते हैं कि मेरे बारे में किसी को ख़याल तक नहीं रहता।"
"अच्छा तभी...इसलिए तुम प्यार में यकीन नहीं करते ? किसी पर भरोसा नहीं करते ? क्यों ?"
"हाँ"
"देखो मेरी एक सुनो, तुम्हारे पिताजी तुम्हारी माँ से बेहद मोहब्बत करते थे इसलिए वो कभी पहले जैसे नहीं हो सके और अपने साथ अपनी परिस्थितियों को भी संभाल नहीं पाए। इसका सिर्फ एक ही कारण है कि वो तुम्हारी माँ से बेतहाशा प्रेम करते हैं और तुम्हारे दादा इतने बरसों के बाद भी तुम्हारी दादी को पूरे दिल से चाहते हैं। तुम देख ही नहीं पा रहे हो, अगर ध्यान से देखोगे तो तुम्हे नज़र आएगा कि तुम्हारे आसपास कितना प्यार है। हाँ! अपनी आँखें खोलो और देखो प्यार का अस्तित्व है, और क्या तुम्हे पता है ? कोई है जो तुमसे भी दीवानों की तरह, पागलों की तरह इश्क़ करता है। कम से कम उसको एक मौका देकर तो देखो जिससे वो तुम्हे दिखा सके, जता सके, बता सके कि असली सच्चा प्यार कैसा होता है। तुम कोशिश तो कर ही सकते हो, नहीं ?"
"उसे मालूम था वो किसके बारे में बात कर रही थी। "तो क्या वो सच में मुझसे इतना प्यार करती है ?" वो अपने आप से ये सवाल करता रहा और बैठा उसके चेहरे को ताकता रहा।
"हाँ - यही तो है वो - बिलकुल यही है"
"आज, अभी, इसी वक़्त, खुल कर बता दे उसको - तू भी उसे उतना ही चाहता है। तू भी तो दीवाना है उसके लिए। तू भी तो हर पल उसी के सपने बुनता है।" यही सोचते हुए वो जीवन में पहली बार वास्तव में मुस्कुराता रहा।
दुनिया में हर व्यक्ति के लिए प्यार मौजूद है। एक तरह से नहीं तो दूसरी तरह से, ऐसे नहीं तो वैसे ये हर किसी को मिल ही जाता है। उम्मीद का दामन कभी भी छोड़ना नहीं चाहियें। ज़िन्दगी और प्यार दोनों से कभी हार नहीं माननी चाहियें। यदि आपको ऐसा एहसास होता है कि आपसे कोई प्यार नहीं करता, आपको कोई नहीं चाहता, तो बस इतना याद रखना कि भगवान् आपको चाहता है आपसे बेंतेहा प्यार करता है और जिसे वो चाहता है उसे सारी दुनिया चाहती है, प्यार करती है। किसी ना किसी दिन, कहीं ना कहीं, कभी ना कभी वो नीली छतरी वाला आपकी मुलाक़ात आपके प्यार से करवा ही देगा। प्यार का अस्तित्व हमेशा से था, है और रहेगा और प्यार हर किसी को मिलता है बस ज़रा सा भरोसा और विश्वास बनाए रखने की ज़रुरत होती है।
--- तुषार राज रस्तोगी ---
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