रे मुसाफ़िर चलता ही जा -
नहीं तो राहों से चूक जायेगा
पहुंचेगा कहाँ, वहाँ जहाँ तू
अपने आप को भूल जाएगा
तू तनहा राह में रह जायेगा
जीवन है काँटों की झाड़ी
उलझ अटक रह जायेगा
आधी को संजोने खातिर
तू पूरा जीवन गंवाएगा
छूट जायेगा अपने से तू
भूल जायेगा जीवन को तू
रे मुसाफ़िर मंज़िल को भी
तू, फिर छोड़ कर जायेगा
इस दुनिया से तू बेगाना सा
तेरे ख्वाबों के रंग उड़ जायेंगे
सब राहे होंगी अनजानी तब
सबसे छूटेगा अपने से टूटेगा
मंजिल कभी खत्म ना हो तेरी
मंजिल से कभी तू भटके ना
यही प्रार्थना करता हूँ मैं
लिए हाथों में यह दीपशिखा
राह में जब अंधियारा छाएगा
निर्भय होकर तू चलता चल
यह दीपशिखा तुझको पल पल
तेरा मार्ग दिखलाएगी
रे मुसाफ़िर तू चलता चल
नहीं तो राह में रह जायेगा
पीछे मुड़कर ना देख ज़रा
वरना जीवन में पछतायेगा
रे मुसाफ़िर चलता ही जा....
आपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल शुक्रवार (25.04.2014) को "चल रास्ते बदल लें " (चर्चा अंक-1593)" पर लिंक की गयी है, कृपया पधारें और अपने विचारों से अवगत करायें, वहाँ पर आपका स्वागत है, धन्यबाद।
शुक्रिया राजेंद्र भाई
हटाएंजीवन चलने का नाम ,,,,,,,,,,,,,,,,,,, पीछे न देखो बस बढ़ते चलो, सुनदर अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंआपका स्नेह है भाई - आभार
हटाएंबहुत सुंदर !
जवाब देंहटाएंसुशील भाई आभार
हटाएंबढ़िया लेखन , अग्र मार्ग को अग्रसर , तुषार भाई धन्यवाद !
जवाब देंहटाएंनवीन प्रकाशन -: बुद्धिवर्धक कहानियाँ - ( ~ सच्चा साथी ~ ) - { Inspiring stories -part - 6 }
~ ज़िन्दगी मेरे साथ -बोलो बिंदास ! ~( एक ऐसा ब्लॉग जो जिंदगी से जुड़ी हर समस्या का समाधान बताता हैं )
धन्यवाद् भाई ....
हटाएंजिंदगी चलते रहने का नाम है
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर !
शुक्रिया भाई जी
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जवाब देंहटाएंसार्थक सोच की भावमय और प्रभावपूर्ण रचना
उत्कृष्ट प्रस्तुति
आग्रह है----
और एक दिन
jewan ke satya ko pribimbit karti sarthak rachna ke liye badhai..
जवाब देंहटाएंसार्थक भाव......
जवाब देंहटाएंHello
जवाब देंहटाएंमैं आपका ब्लॉग कुछ दिनों से पढ़ना शुरू किया है और मुझे आपके पोस्ट अच्छे लगे। मैंने भी इसी तरह एक हिंदी में ब्लॉग लिखना शुरू किया है। अगर आप को पढ़ कर कोई टिपणी या सुझाव दे तो मुझे अच्छा लगेगा। मेरे ब्लॉग का नाम है: दैनिक ब्लॉगर (http://dainikblogger.blogspot.in/)
धन्यवाद
Ayaan
bas likhte rahein dost yahi ek tarika hai :)
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