गज़ब पागल सी एक लड़की
मुझे हर वक़्त कहती है
मुझे तुम याद करते हो ?
तुम्हे मैं याद आती हूँ ?
मेरी बातें सताती हैं ?
मेरी नींदें जगाती हैं ?
मेरी आंखें रुलाती हैं ?
सर्दी की सुनहरी धुप में क्या
तुम अब भी टहलते हो ?
उन खामोश रास्तों से
क्या तुम अब भी गुज़रते हो ?
ठीठुरती सर्द रातों में क्या
तुम अब भी छत पर बैठते हो ?
फ़लक पे चमकते तारों को
क्या मेरी बातें सुनाते हो ?
मई की तेज़ गर्मी में
क्या अब भी गोला खाते हो ?वोह छम छम बारिशों में क्या
तुम अब भी बेख़ौफ़ नहाते हो ?
यूँ मशरूफ होकर भी
क्या तुम्हारे इश्क में कोई कमी आई ?
या मेरी याद आते ही
तुम्हारी आँख भर आई ?
अजब पागल सी लड़की है
यह क्या सवाल करती है
जवाब उसे मैं दूँ क्या ?
बस इतना ही कहेगा 'निर्जन'
तू कितनी बेवक़ूफ़ लड़की है
जो यह सवाल करती है
भला इस जिस्म से वो जान
कभी जुदा हो सकती है
अगर यह जिस्म है मेरा
तो सासें बन तू बहती है
तुझे मैं भूलूंगा कैसे
तू पल पल साथ रहती है
अजब पागल सी लड़की है
गज़ब पागल सी लड़की है
क्या क्या सवाल करती है
क्या क्या सवाल करती है ......