मंगलवार, मार्च 29, 2011

कुछ इस तरह

कुछ इस तरह अपनी आँखों के अश्क
मेरी आँखों में सिला दे 
कुछ इस तरह मेरी यादों 
का हर लम्हा तू जलादे 

कुछ इस तरह अपनी आँखों के अश्क
मेरी आँखों में सिला दे 
कुछ इस तरह मेरी यादों 
का हर लम्हा तू जलादे

एक कतरा भी मेरे ख्याल का बाकी न रहे
चांदनी शब् में मेरे निशानात भी  बाकी न रहे
मेरा हर रोज़ तेरे ख्वाबों में आना न रहे
हर तरफ प्यार के अपने तू दीवारें उठा दे

कुछ इस तरह अपनी आँखों के अश्क
मेरी आँखों में सिला दे 
कुछ इस तरह मेरी यादों 
का हर लम्हा तू जलादे

आज की रात तू मुझको अपनी यादों से भुला दे
इश्क की वोह महकती खुशबू भी मिटा दे
मेरे लफ़्ज़ों में है जो दर्द वोह कभी नहीं दिखता
सुन मेरी तू गुज़ारिश इस दर्द की दावा दे

कुछ इस तरह अपनी आँखों के अश्क
मेरी आँखों में सिला दे 
कुछ इस तरह मेरी यादों 
का हर लम्हा तू जलादे....

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