मेरी ताबीर-ए-हुस्न तेरा दिल-ए-दिल-गीर हूँ मैं
तेरे मचलते ख़्वाबों की इबारत-ए-ताबीर हूँ मैं
कल तलक थे बुझे ख़द-ओ-ख़ाल-ए-हयात मेरे
आज रौशन-रू तेरे इश्क़ की एक तस्वीर हूँ मैं
दिल-ओ-जिस्म-ओ-जाँ से तेरा हूँ तू ही संभाले
दम-ए-दीगर से महकी शोख़ी-ए-तहरीर हूँ मैं
बुझ रह था मैं हर पल ज़िंदगी-ए-क़फ़स में
आजकल इश्क़ में तेरे सहर-ए-तनवीर हूँ मैं
शरीक-ए-हयात हो जाए काश तू जल्दी मेरी
वस्ल-ए-जानाँ को तरसता हुआ राहगीर हूँ मैं
ताबीर-ए-हुस्न: interpretation of beauty
दिल-ए-दिल-गीर: heart attracting heart,appealing heart
इबारत: composition
ताबीर: interpretation, explanation, elucidation
बुझे: extinguished
ख़द-ओ-ख़ाल-ए-हयात: features of life
रौशन-रू: bright faced
दम-ए-दीगर: breath
शोख़ी-ए-तहरीर: playfulness/mischief of writing mischievous writing, jotting
ज़िंदगी-ए-क़फ़स: cage of life
सहर-ए-तनवीर: morning brightness
शरीक: a partner,a colleague,a comrade,a friend
वस्ल-ए-जानाँ: union with beloved
#तुषारराजरस्तोगी #ग़ज़ल #इश्क़ #मोहब्बत #इंतज़ार #तड़प
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