रविवार, जून 17, 2012

You Never Know

Out here you see
A normal guy
But in my head
The turmoil swirls
So many thoughts
A whole other world
The who's and what's
The how's and why's
An inkling of
A brilliant mind
Then gone....
Off and running
The next charade
I march alone
An endless parade
The brilliant make-up
The perfect hair
But 'deep' inside
What's really there
Or not so perfect
Wrinkled clothes
No make-up
Maybe kinda slow
But within inside
You never know

शुक्रवार, जून 15, 2012

अब तक

मुझे तेरा इंतज़ार था अब तक
तुझसे मिलने को दिल बेकरार था अब तक
तू मेरी है हाँ! सिर्फ मेरी है
दिल की यही पुकार थी अब तक
उठी थी जो वो पहली नज़र तेरी जानिब
इन आँखों में वही खुमार था अब तक
तुझ से बिछड कर बहुत रोया था ये दिल
पर फिर भी तुझसे मिलने को बेकरार था अब तक
वो तेरा बार बार दिखाना बेरुखी
बस तेरी इसी बात से इनकार था अब तक
आखिर दिल को समझा ही लिया मैंने
जो नहीं तेरा उसे भूल जा 'निर्जन'
आखिर किसका इंतज़ार तुझे था अब तक....

Greater Plan

Sifting through the truth and lies
Exciting for a while
Crushed in discovery
Returning to real life
Existing for one thing
Time that I realized
Sometimes there's a greater plan

शनिवार, जून 09, 2012

Its Not Fair ???

I don't know what to do
You love me and I love you
But somehow you are with him
You say it’s been awhile
And he's serious with you
But do you love him?
Does he love you?
Like I do?
I don't know what to do
I don't want you to feel pressured
But I don't see how it's fair
When you love me
And I love you

I Miss Her

I miss her...
Can she hear my heart calling her?
Can she hear my soul scream?
Can she see the desperation on my face
When she say I won‘t see you again?
Can she feel the tears
That fall like summer rain?
I miss her
I miss the conversations we make
And all the easy laughs
I miss the way we used to sit
And watch the people pass
I miss my best friend
And all the times we had
I miss all the jokes we would make
About the life we persuade and persist
I could talk to her about anything
There weren’t any taboos
I could tell her everything
My deepest secrets she knew
If she ever wonder and think
Let the knowledge ring through
Know that deep within my heart
I miss her... I miss her... I miss her...

मंगलवार, जून 05, 2012

क्या समझती हो कि तुमको भी भुला सकता हूँ मैं

एक बहुत ही उम्दा शायर "जानब मजाज़ लखनवी" की लिखी चंद पंक्तियाँ प्रस्तुत कर रहा हूँ | इनका तर्जुमा मैंने अपनी मौजूदा अक्ल के हिसाब की किया है | उम्मीद है के मेरी हिमाकत कुछ तो रंग लाएगी | पेश-ए-खिदमत है आपके रुबरु ....

अपने दिल को दोनों आलम से उठा सकता हूँ मैं
क्या समझती हो कि तुमको भी भुला सकता हूँ मैं

You think I can’t let go of both worlds, I can
You think I can’t forget you, I can

कौन तुमसे छीन सकता है मुझे क्या वहम है
खुद जुलेखा से भी तो दामन बचा सकता हूँ मैं

It’s your misgiving that you can lose me to her
I can myself be indifferent to that beauty, I can

दिल मैं तुम पैदा करो पहले मेरी सी जुर्रतें
और फिर देखो कि तुमको क्या बना सकता हूँ मैं

Sow in yourself the same audacity I have
and I will make you someone else, I can

दफ़न कर सकता हूँ सीने में तुम्हारे राज़ को
और तुम चाहो तो अफसाना बना सकता हूँ मैं

I can bury your deepest secrets If I will
and I can make them a legend if you want, I can

तुम समझती हो कि हैं परदे बहुत से दरमियाँ
मैं यह कहता हूँ कि हर पर्दा उठा सकता हूँ मैं

You think that there are lots of curtains that hide
I say I will lift each one of them if I wish, I can

तुम कि बन सकती हो हर महफ़िल मैं फिरदौस-ए-नज़र
मुझ को यह दावा कि हर महफ़िल पे छा सकता हूँ मैं

Yes you may be the heavenly gaze in any gathering
But I challenge that I can be the life of any party, I can

आओ मिल कर इन्किलाब ताज़ा पैदा करें
दहर पर इस तरह छा जाएं कि सब देखा करें

Let’s get together and start a a revolution afresh
and be such that everyone looks at us and says, Wow!!!

- जानब मजाज़ लखनवी 

अब ऐसे इज्तिरार नहीं है...

तेरे सवालातों की गुज़ारिश हो
और मैं न बताऊँ
अब ऐसे इज्तिरार नहीं है
दिल्दोज़ है मेरा, और कोई बात नहीं है
बेखबर था, के यह बादल बिन बरसे उड़ जाने हैं
नौबहार आया, मगर मेरी काजा में बरसात नहीं है
जब टूट ही गया दिल, तो इन तरानों के क्या मायने हैं
गूंजती है क्यों यह आवाज़, जब कोई साज़ नहीं है
गम-ए-तारीक में तुझको अपना हम्जलीस, क्यों समझूँ ?
तू तो फिर तू है, मेरा साया भी मेरे साथ नहीं है
हयात-ए-इंसान मोहब्बत, एक बार करता है
फिर मुझको ये बता, क्या तू इंसान नहीं है ?
खत्म हुआ मेरा अफसाना, अब आबेचश्म पोछ भी ले
जिस रात में फसनाह हो, आज वो रात नहीं है
मेरे गमगीन होने पर, एहबाब हैं यूँ हैरान
मैं तो जैसे पत्थर हूँ, मेरे सीने में जज़्बात नहीं है...

इज्तिरार - मजबूर/हालात
दिल्दोज़ - ज़ख़्मी दिल
नौबहार - सावन
काजा - किस्मत
गम-ए-तारीक - अंध्रेरा
हम्जलीस - दोस्त
हयात-ए-इंसान - जिंदगी में इंसान
आबेचश्म - आंसू
फसनाह - प्यार/रोमांस
एहबाब - दोस्त
जज़्बात - अरमान

अजनबी

तब ये समां था कि क्या मैं बात करूं तुझसे,
आज ये आलम है कि क्या मैं तुमसे करूं बात ?

I thought then that I should talk to you.But what ?

Now I think that what should I talk to you ? If at all…