दिल के दर्द क्यों दिखलाऊं
दिल की बातें क्यों बतलाऊं
दिल को अपने मैं समझाऊं
जीवन में बस चलता जाऊं
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दर्द मेरा बस मेरा ही है
दर्द तेरा बस मेरा भी है
दर्द से बनते रिश्तों में
एहसास बड़ा गहरा भी है
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खुशियाँ मेरी जब दी हैं
दुआएं दिल से तब ली हैं
ज़िन्दगी मेरी सब की है
हंसी लबों पर अब भी हैं
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रात काली थी चली गई
सुबह सुहानी दिखी नही
किस्मत का ये देखो ज़ोर
सन्नाटे में सुनता हूँ शोर
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बातें उनसे होती हैं कई
दिल फिर भी मिलते नहीं
बातें बस बातें ही रहती हैं
ख़ामोशी ही सच कहती हैं
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परदे के पीछे वो चुप है
परदे के आगे मैं चुप हूँ
आखीर क्यों वो चुप है
आखीर क्यों मैं चुप हूँ
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धोखा कोई देता नही
धोखा कोई खाता नही
सब किस्मत का खेला है
दर्द ही बस अकेला है
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