एक कली खिली चमन में
बन गई थी वो फूल
बड़ा गर्व हुआ अपने में
सबको गई थी वो भूल
कहा चमन ने फिर उससे
यहाँ रहता स्थिर नहीं कोई
मत कर तू गुमान इतना
उसको बहुत समझाया
आज तो यौवन है पर
कल तू ठूंठ भी हो जाएगी
तब कोई तेरे दर्द में
सहानुभूति न दिखलायेगा
हंसकर मिलजुल कर मिल
फिर से सब में खो जा तू
अलग बनाया अस्तित्व जो तूने
अपने से भी तू जायेगी
कोई माली, राहगीर ही
तुझको तोड़ ले जायेगा
मिट जायेगा जीवन तेरा, फिर
अन्तकाल तक तू पछताएगी
बहुत सुन्दर!
जवाब देंहटाएंशाश्वत कौन कब हुआ है ।
जवाब देंहटाएंसच बात ।
bhavnatmk kavita...................
जवाब देंहटाएंitna jaldi kahan samajh me aayega ....bahut acchi abhiwayakti ..tushar jee ...
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर....
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर प्रस्तुति,आभार.
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जवाब देंहटाएंअच्छी सलाह अच्छी अभिव्यक्ति पर जवानी की जोश में समझ नहीं आती
डैश बोर्ड पर पाता हूँ आपकी रचना, अनुशरण कर ब्लॉग को
अनुशरण कर मेरे ब्लॉग को अनुभव करे मेरी अनुभूति को
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बेहतरीन रचना खासकर आखरी दो लाइन ने दिल जीत लिया
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा लाजबाब प्रस्तुति !!! तुषार जी
जवाब देंहटाएंRecent post: तुम्हारा चेहरा ,
जीवन की नश्वरता काया का समय के साथ क्षीण होते जाना इस सत्य को समझाया है आपने .इस काया को चलाने वाली एक और अदृश्य सूक्ष्म शक्ति है -आत्मा जिसका क्षय नहीं होता जो संस्कार और कर्म छाप लिए आती भी है जाती भी है इस लिए हे कलि तू श्रेष्ठ कर कर देह अभिमान तज ,अपने रंग रूप में न इठला .
जवाब देंहटाएंबढ़िया पोस्ट .
तुषार बहुत सरल है कविता दिखने में मगर उतनी ही गहरी बात कह डाली रचना ने तुम्हारी ..भावनात्मक और गहरी सोच वाली रचना बधाई :-)
जवाब देंहटाएंवाह तुषार जी।
जवाब देंहटाएंबढिया कही...
सादर
कविता में बहुत गहन भाव छिपे हैं |बढ़िया प्रयास
जवाब देंहटाएंwaaah
जवाब देंहटाएंread a hindi poem after a long time :) back to good ones i read in pre college years :) beautiful
जवाब देंहटाएंआज के सदर्भ में एकदम सटीक और सुन्दर रचना। (कली शब्द ठीक कर लें)
जवाब देंहटाएंहृदयस्पर्शी..
जवाब देंहटाएंहृदयस्पर्शी..
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर और सटीक रचना..बधाई तुषार..
जवाब देंहटाएंकहाँ समझती है कली फिर भी...
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा रचना! वाह!!
Gahre bhao...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना है
जवाब देंहटाएंहिन्दी तकनीकी क्षेत्र की रोचक और ज्ञानवर्धक जानकारियॉ प्राप्त करने के लिये क़पया एक बार अवश्य देंखें
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चिर सत्य..
जवाब देंहटाएंजो आता है वो जाता भी है ... ओर गुमान करना ठीक नहीं ... हाँ भरपूर जीवा जरूरी है ...
जवाब देंहटाएंजीवन की हकीकत को दर्शाती एक शानदार रचना ..लाजबाब
जवाब देंहटाएंjindagee kee hakeekat ko dikhaatee shandaar rachna ..sadar badhayee ke sath
जवाब देंहटाएंश्री तुषार जी, आपकी कविता में संजीदगी, यथार्त और जीवन के अनेक रंगों का समावेश है!
जवाब देंहटाएंसार्थक रचना लिखने के लिए साधुवाद!
"
डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश'
तुषार भाई ,बड़ी सहजता से गंम्भीर बात को रचना में
जवाब देंहटाएंकह दिया,सलाह भी जानकारी भी
बहुत सुंदर और भावपूर्ण रचना
उत्कृष्ट प्रस्तुति
वर्तमान परिदृश्य में एकदम सटीक....
जवाब देंहटाएंआभार ....
बहुत ही शानदार रचना.
जवाब देंहटाएंरामराम.
कली समय रहते चेत जाये
जवाब देंहटाएंएक अच्छी सीख
हार्दिक शुभकामनायें
भावनात्मक शब्दचित्र है.
जवाब देंहटाएंउम्मीद है, आगे अच्छी रचनायें लिखेंगे.
बधाई...
विजय
क्या खूब लिखा!
जवाब देंहटाएंबहुत ही सार्थक संदेश देती हुई रचना हेतु बधाई स्वीकार कीजिये......
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