राहों में चलते चलते
जीवन की सुलगती
आग में जलते जलते
जीवन की कंटीली
चुभन में घुटते घुटते
याद आती है
सुकोमल बचपन की
कर्तव्यों की बेड़ी में
जकड़े जीवन में
याद आती है
उस स्वछंदता की
सुकोमल स्वच्छ बचपन
सुगंधों से भरा बचपन
पाप, पुण्य से मुक्त बचपन
अब घिर गया है अनेक
समस्याओं में जीवन
साँसों की डोर जुड़ गई
अश्रु की लड़ी में
हे ईश्वर! कब टूटेगी
ये अश्रु की लड़ी
हे ईश्वर! कब छूटेगी
ये दुखों की झड़ी
हे ईश्वर! कब फूटेगी
मुरझाए होटों पर हंसी
कब वापस आएगा
सलोना बचपन
हर ग़म हर दर्द से दूर
अनजाना खिलखिलाता
बचपन
कभी कभी नानी की कहानी
कभी माँ का वो आँचल
स्वर्ग से ज्यादा हसीन\
था मेरा बचपन
एक धुंधली से छवि है
बचपन अब वो तेरी
खोजता जाता हूँ, कहाँ
छिप गया मेरा बचपन
बहुत सुंदर रचना 'मेरा बचपन 'ने बचपन की याद ताजा कर दी .
जवाब देंहटाएंशुक्रिया रंजना | आप ब्लॉग पर आये और अपनी प्रतिक्रिया ज़ाहिर की उसके लिए धन्यवाद् |
हटाएंमन को छूती रचना.... जीवन के अपने रंग हैं..... सब जीना होता है
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार डाक्टर साहिबा |
हटाएंबहुत प्रभावी उम्दा प्रस्तुति !!!
जवाब देंहटाएंrecent post : भूल जाते है लोग,
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंनवसम्वत्सर-२०७० की हार्दिक शुभकामनाएँ स्वीकार करें!
शुभप्रभात बेटे !!
जवाब देंहटाएंdo't worry ,be happy ......
नव वर्ष, नव संवत्सर एवँ गुड़ी पड़वा की हार्दिक शुभकामनायें !!
मैं खुश हूँ माँ | कल आपसे बात कर के दिल हल्का हो गया | अब कोई चिंता नहीं | आपको भी नव वर्ष, नव संवत्सर और गुडी पड़वा की मंगल शुभकामनायें |
हटाएंअति सुन्दर रचना..
जवाब देंहटाएंबहुत ही बेहतरीन .....आपको नवसंवत्सर की हार्दिक मंगलकामनाएँ!
जवाब देंहटाएंबचपन जाने के बाद नहीं आता ... उसको याद करना ही रह जाता है ..
जवाब देंहटाएंलाजवाब रचना ...
बचपन के दिन भी क्या दिन थे, उड़ते-फिरते तितली बन के........मासूम बचपन सी मासूम कविता।
जवाब देंहटाएंकितना भी आगे बढ़ जाएँ, बचपन सदैव साथ रहता है...बहुत भावपूर्ण रचना...
जवाब देंहटाएंआपकी यह कला पूर्ण रचना 'निर्झर टाइम्स' पर लिंक की गई है।कृपया http://nirjhar-times.blogspot.com पर अवलोकन करें।आपकी प्रतिक्रिया सादर आमंत्रित है।
जवाब देंहटाएंकोई लौटा दे मेरे वो बीते हुए दिन....
जवाब देंहटाएंचाहे सारी ख़ुशियाँ लेलो ,दो दिन फिर बचपन लौटा दो.
जवाब देंहटाएंचाँद मुझे पूनम का दे दो ,सारा नील गगन लौटा लो !
-किसी कवि ने कहा था.